Movie Review ‘अनेक’

फिल्म ‘अनेक’ में अनुभव समाज से आगे निकलकर देश की बात कर रहे हैं। वह इस बार देश के उन हिस्सों में पहुंचे हैं, जिनकी शक्ल सूरत देखकर उन्हें अपना मानने की कोशिश देश के मुख्य क्षेत्र में कम ही हो पाई है। फिल्म जरूरी बात करती है। सिनेमाई दायरे में रहकर करती है। धारा से विपरीत जाकर कहानियों को कहने का जोखिम भी उठाती है।

फिल्म ‘अनेक’ देश के सबसे मशहूर नारे ‘जय जवान जय किसान’ को दो हिस्सों में बांटकर एक दूसरे के आमने सामने ले आती है। सरकार उत्तर पूर्व में शांति चाहती है। शांति वार्ता हो चुकी है। शांति समझौते पर हस्ताक्षर अब नाक का सवाल है। टेबल पर बैठे उग्रवादियों के नेता की नाक में दम करने के लिए एक अंडरकवर एजेंट जिस गुट को पालता रहा है, वही अब शांति समझौते के खिलाफ है। सरकार शांति चाहती है। फिल्म एक जगह कहती है, ‘हिंसा को बनाए रखना शांति बनाए रखने से ज्यादा आसान है।’ सच भी है युद्ध एक कारोबार है जिसमें मुनाफे की गारंटी शर्तिया होती है। शांति में क्या रखा है, सब कुछ सही चलता रहे तो न सरकारों के पास काम होगा और न ही हथियार बेचने वालों के पास कारोबार।


उत्तर पूर्व के इस दर्द को परदे पर बहुत ही सादगी और सच्चे मन से पेश करती है फिल्म ‘अनेक’। आइडो और जोशुआ के अनकहे प्रेम की कहानी इस सच का छलावा है। ये वैसा ही छलावा है जैसा उत्तर पूर्व के राज्यों के साथ लगातार होता रहा है। दिल्ली की बनिस्बत चीन और म्यांमार के ज्यादा करीब इन राज्यों के लोग खुद को ‘भारतीय’ क्यों और कैसे कहें, इस पर सवाल उठाते आयुष्मान खुराना के चेहरे की झुंझलाहट ही वहां के सामान्य नागरिक का दर्द है।

निर्देशक – अनुभव सिन्हा

निर्माता – भूषण कुमार और अनुभव सिन्हा

कलाकार – आयुष्मान खुराना , एंड्रिया केविचुसा , मनोज पाहवा , जे डी चक्रवर्ती , कुमुद मिश्रा , मेघना मलिक और आदि

रेटिंग 3 /5 ⭐⭐⭐

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