Movie Review ‘अनेक’

फिल्म ‘अनेक’ में अनुभव समाज से आगे निकलकर देश की बात कर रहे हैं। वह इस बार देश के उन हिस्सों में पहुंचे हैं, जिनकी शक्ल सूरत देखकर उन्हें अपना मानने की कोशिश देश के मुख्य क्षेत्र में कम ही हो पाई है। फिल्म जरूरी बात करती है। सिनेमाई दायरे में रहकर करती है। धारा से विपरीत जाकर कहानियों को कहने का जोखिम भी उठाती है। फिल्म ‘अनेक’ देश के सबसे मशहूर नारे ‘जय जवान जय किसान’ को दो हिस्सों में बांटकर एक दूसरे के आमने सामने ले आती है।…

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