हर साल 22 अप्रैल को वल्र्ड अर्थ डे मनाया जाता है ताकि प्रकृति को पुनर्जीवित करने और भविष्य के लिए एक स्वस्थ ग्रह बनाने के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके। इस मौके पर एण्डटीवी की अभिनेत्रियों ने पर्यावरण और संसाधनों की रक्षा के लिए अपनाए गए अपने तरीके और सुझाव साझा किए। इनमें शामिल हैं- स्मिता सेबल (धनिया, भीमा), हिमानी शिवपुरी (कटोरी अम्मा, हप्पू की उलटन पलटन) और शुभांगी अत्रे (अंगूरी, भाबीजी घर पर हैं)। स्मिता सेबल, जो ‘भीमा’ में धनिया की भूमिका निभा रही हैं, कहती हैं, “मैं हमेशा से एक सादगीपूर्ण और टिकाऊ जीवन में विश्वास रखती आई हूं। हमारे घर में हम कचरे को अलग-अलग करने और रसोई के कचरे से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया अपनाते हैं, जिससे हमारे छोटे से घर के बगीचे को पोषण मिलता है। मैं कपड़े के थैले इस्तेमाल करना पसंद करती हूं और अपने बेटे को भी स्कूल और घर में प्लास्टिक से बचने के लिए प्रेरित करती हूं। मेरा मानना है कि हर छोटा कदम मायने रखता है, और अगर हम सब थोड़ा-थोड़ा योगदान दें, तो बड़ा असर हो सकता है। इस अर्थ डे पर आइए हम सब मिलकर पर्यावरण की रक्षा करने का संकल्प लें और अगली पीढ़ी को भी इसके लिए प्रेरित करें।”
‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कटोरी अम्मा, ऊर्फ हिमानी शिवपुरी ने बताया, ‘‘मैं देहरादून से आती हूँ और वह शहर पहाड़ियों और प्राकृतिक सुंदरता के बीच बसा है। ऐसे माहौल में परवरिश होने के कारण पर्यावरण से मुझे गहरा प्यार और आदर है। मैंने हाल ही में उत्तराखण्ड में अपने पैतृक गांव को गोद लिया है, ताकि उस धरती के लिये कुछ कर सकूं, जहाँ मेरा बचपन बीता। मैंने वहाँ टेरेस फार्मिंग का प्रचार किया है, जो कि एक महत्वपूर्ण पहल है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण टेरेस फार्मिंग संवहनीय होने के साथ-साथ मिट्टी के कटाव को रोकने और जमीन का सक्षम तरीके से इस्तेमाल करने का एक आदर्श तरीका है। खेती की इस पर्यावरण के अनुकूल तकनीक में ग्रामीणों की रुचि देखकर मुझे बड़ी खुशी हुई। स्थानीय कृषि को बढ़ावा देकर हम पहाड़ियों से शहरी क्षेत्रों की ओर लोगों का पलायन कम कर सकते हैं और ग्रामीण जीवन की आत्मनिर्भरता का उत्साह लौटा सकते हैं। इस अर्थ डे पर मैं सभी से आग्रह करती हूँ कि वे अपनी जड़ों से जुड़ें , संवहनीय पद्धतियों में सहयोग करें और सार्थक कदम उठायें। यह कदम चाहे जितने छोटे हों, हमारे ग्रह की सुरक्षा और पोषण के लिये काम ही आएंगे।’’ भाबीजी घर पर हैं की अंगूरी, ऊर्फ शुभांगी अत्रे ने बताया, ‘‘आॅर्गेनिक खेती के फायदे जानने के बाद मैंने एक फ्रूट फार्म पर काम शुरू किया और महाराष्ट्र में अपने फार्महाउस पर अमरूद, चीकू, आम, कटहल और जामुन उगाये। खेती ने प्रकृति के साथ मेरे जुड़ाव को गहरा किया है और जब भी मेरी शूटिंग नहीं होती है, मैं खेती में ही ज्यादातर वक्त बिताती हूँ। सच कहूं, तो आॅर्गेनिक खेती कोई नई चीज नहीं है। हमें दशकों पुराने खेती के तरीके पर ही लौटना होता है और हानिकारक रसायनों या कीटनाशकों के इस्तेमाल से बचना होता है। इस अर्थ डे पर मेरा लोगों से कहना है कि वे ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगायें और आॅर्गेनिक खेती करें।’’