विभूति नारायण मिश्रा बने फोटोग्राफर!

एण्डटीवी का कल्ट क्लासिक काॅमेडी शो ‘भाबीजी घर पर हैं‘ एक नाॅन-स्टाॅप मजेदार एडवेंचर है, जिसमें आपको हंसाने के लिए ढेर सारे हास्यास्पद पल होते हैं। इसके किरदार हमेशा मजेदार स्थितियों में होते हैं और दर्शकों को भीतर तक गुदगुदा देते हैं। अबकी बार दर्शकों को सबसे ज्यादा मजा आने वाला है, क्योंकि आसिफ शेख द्वारा अभिनीत विभूति नारायण मिश्रा फोटोग्राफर बनने जा रहे हैं। इस नई कहानी पर अपना रोमांच जाहिर करते हुए, आसिफ शेख, यानि विभूति नारायण मिश्रा ने कहा, ‘‘इस शो में मुझे जो बेहतरीन किरदार निभाने के लिये मिलते हैं, उन्हें मैं पसंद करता हूँ और उनका पूरा आनंद उठाता हूँ! यह असीमित संभावनाओं वाली एक दुनिया में जाने का मौका मिलने जैसा है! सिर्फ पटकथा के मुताबिक चलना भूल जाइये। मैं इंतजार नहीं कर पाता हूँ कि अगले एपिसोड में मुझे पागलपंती का कौन-सा रूप मिलेगा (हंसते हैं)। और इसके लिये हमारे बेहतरीन लेखक को धन्यवाद, जो मुझे उन किरदारों में जादुई ढंग से गढ़ देते हैं, जिन्हें निभाना मुझे बहुत अच्छा लगता है। मेरे परफाॅर्मेंसेस ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया है। मौजूदा कहानी में मुझे एक फोटोग्राफर बनना है और लेंस के पीछे से पलों को संजोना है! इस कहानी के आगे बढ़ने के साथ अनीता (विदिशा श्रीवास्तव) विभूति की बेहतरीन फोटोग्राफी से प्रभावित होकर उसे एक फोटाग्राफी स्टूडियो खोलने की सलाह देती है। वे दोनों तिवारी (रोहिताश्व गौड़) के पास जाते हैं और उसकी दुकान किराये पर लेने के लिये पूछते हैं और तिवारी मान जाता है। विभूति अपने नये स्टूडियो में अंगूरी (शुभांगी अत्रे) का स्वागत करता है और उसकी खूबसूरत तस्वीरें खींचता है। हालांकि, जब विभूति तिवारी को 8000 रूपये का बिल थमाता है, तब तिवारी गुस्सा हो जाता है। बाद में विभूति से अंगूरी कहती है कि वह रात में उसके घर आये और उसकी और तिवारी जी की रोमांटिक तस्वीरें खींचे। विभूति को कैमरा के साथ अपने घर में आते देखकर तिवारी का गुस्सा बढ़ जाता है और वह विभूति से तुरंत अपनी दुकान खाली करने के लिये कहता है।’’

इस सीक्वेंस की शूटिंग को लेकर अपना अनुभव बताते हुए, आसिफ शेख ने आगे कहा, ‘‘मैं तस्वीरें खींचने में बहुत बुरा हूँ। आजकल लोगों के लिये सेल्फी लेना और फोन कैमरे से दूसरे फिल्टर्स का इस्तेमाल करना आम बात है। मैं ऐसा नहीं कर पाता हूँ। लेकिन मैं कहूंगा कि इस कहानी से तस्वीरें खींचने के लिये मेरा प्यार जगा है। सीन्स के बीच एक डीएसएलआर कैमरा लेकर मुझे उसका इस्तेमाल करने का मन हुआ, चाहे मैं इसका हिस्सा नहीं था। मैंने सीन्स के दौरान अपने साथी कलाकारों और सेट के दूसरे लोगों की तस्वीरें खीचीं। मैं दावा नहीं करूंगा कि वे सबसे अच्छी तस्वीरें थीं, लेकिन उनमें से कुछ तस्वीरें अच्छी हैं। लोग प्रभावित हुए (हंसते हैं)। हमारे दौर में तुरंत तस्वीरें खींच लेने और उन्हें साझा करने की ताकत ने फोटोग्राफी को ज्यादा रोमांचक बना दिया है। लेकिन मुझे अब भी वे दिन याद हैं, जब फोटोग्राफर्स बगीचों, खूबसूरत दृश्यों, आसमान और जंगलों के कई तरह के मनोरंजक बैकड्राॅप्स के साथ एक सेटअप बनाते थे और हमें पोज़ देने के लिये कहते थे। हम उत्सुकता से इंतजार करते थे कि कैसी तस्वीरें आई हैं। मेरे घर में अब भी एक एलबम है, जिसमें ऐसी तस्वीरें हैं और वे तस्वीरें हमेशा खास रहेंगी। शूटिंग के दौरान मैंने क्रियेटिव फिल्टर्स और फोन कैमरा की फैंसी तकनीकों में दिलचस्पी ली, जिनका मुझे पता भी नहीं था। मतलब कि जैसे मैंने फोटोग्राफी के अजूबों की एक छुपी हुई दुनिया खोज ली! इसलिये मैं कहूंगा कि यह कहानी दर्शकों का मनोरंजन करेगी और मुझे फोटोग्राफी की सुंदरता दिखाएगी। मैं इस कला में माहिर नहीं हूँ, लेकिन मुझे इसे जानने में मजा आया और मैंने कुछ यादगार लम्हों को संजोया।’’

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