एण्डटीवी के ‘दूसरी माँ‘, ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ के किरदार अपने प्रयासों में असफल रहेंगे। एण्डटीवी के ‘दूसरी माँ‘ की कहानी के बारे में बताते हुये यशोदा ने कहा, ‘‘यशोदा (नेहा जोशी) बाबूजी (सुनील दत्त) से 15 हजार रूपये उधार मांगती है, वरना वह रणधीर (दर्शन दवे) का नौकरी का आॅफर स्वीकार कर लेगी। उनकी हरकतें यशोदा को रुला देती है। उसे सांत्वना देते समय, कृष्णा (आयुध भानुशाली) अशोक (मोहित डागा) की प्राॅपर्टी का जिक्र करता है, जिसे सुनकर यशोदा के दिमाग में एक आइडिया आता है। वह मनोज (आरजे मोहित) से सम्पर्क कर अशोक के बंद पड़े आॅफिस को किराये पर लगाने के लिये कहती है। यशोदा सभी को अशोक के आॅफिस को किराये पर लगाने की बात बताती है। वह सारे बिल भर देती है, लेकिन तभी दादाजी किरायेदार के साथ आ धमकते हैं और कहते हैं कि उन्होंने वह आॅफिस बेच दिया है और यशोदा को किरायेदार से लिये गये पैसे वापस लौटाने होंगे।‘‘
एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कहानी के बारे में बताते हुये योगेश त्रिपाठी कहते हैं, ‘‘गब्बर (साहेब दास माणिकपुरी) राजेश (कामना पाठक) से दस लाख रूपये मांगता है। राजेश हप्पू (योगेश त्रिपाठी) से पैसों का इंतजाम करने के लिये कहती है। हप्पू जब अगले दिन पुलिस स्टेशन पहुंचता है, तो कमिश्नर (किशोर भानुशाली) को भड़का हुआ पाता है। कमिश्नर कहता है कि वह खुद को बूढ़ा महसूस करने लगा है और चाहता है कि उसकी उम्र 10 साल कम हो जाये। घर वापस लौटते समय हप्पू को एक बाबा मिलते हैं, जो उसे पौधा देकर कहते हैं कि इस पौधे पर लगने वाले फूल को जो भी खा लेता है, उसकी उम्र 10 साल कम हो जायेगी और वह पहले से ज्यादा जवान हो जायेगा। हप्पू को 10 लाख रूपये का इंतजाम करने का उपाय सूझता है। इस बीच बेनी (विश्वनाथ चटर्जी) को फूल के बारे में पता चलता है और वह हप्पू से उस फूल को देने का अनुरोध करता है। वह बताता है कि उसने बिमलेश और राजेश की बात सुनी है, जिसमें बिमलेश राजेश से कहती है कि बेनी कितना बूढ़ा लगने लगा है और वह इससे परेशान है।‘‘ एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की कहानी के बारे में बताते हुये विभूति नारायण मिश्रा कहते हैं, ‘‘तिवारी (रोहिताश्व गौड़) टीका (वैभव माथुर) और टीलू (सलीम जैदी) का अपमान करता है। विभूति (आसिफ शेख) यह देख लेता है और तिवारी को सबक सिखाने के लिये टीका और टीलू के साथ मिलकर एक प्लान बनाता है। अनीता (विदिशा श्रीवास्तव) को रेशनलिस्ट ग्रुप का प्रेसिडेंट निर्वाचित किया जाता है और वह लोगों को धोखेबाजों के बारे में शिक्षित करती है। तीनों (टीका, टीलू और विभूति) तिवारी एवं अंगूरी (शुभांगी अत्रे) को उनके घर में परालौकिक गतिविधियों का अनुभव कराते हैं। अगले दिन जब वे विभूति से उन गतिविधियों के बारे में चर्चा कर रहे होते हैं, तो वह कहता है कि वह भूत पकड़ सकता है और उनकी समस्या का समाधान कर सकता है, यदि तिवारी उसे पैसे दे। तिवारी काफी डरा हुआ होता है और अपने घर पर यज्ञ करने के लिये विभूति को मोटी रकम देता है, लेकिन सक्सेना (सानंद वर्मा) उन तीनों को तिवारी को मूर्ख बनाते देख लेता है।‘‘