सोनी YAY! ने शोर और प्रदूषण मुक्‍त दिवाली मनाने के लिये देशभर के बच्‍चों को एकजुट किया

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शहज़ाद अहमद 

अपनी ‘पॉसम दिवाली’ मुहिम के तीसरे एडिशन के साथ इस चैनल ने दिवाली के दौरान पटाखे जलाने के दुष्‍परिणामों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये, देश के प्रमुख एनजीओ के साथ हाथ मिलाया है इसमें कोई शक नहीं कि दिवाली ऐसा मौका होता है, जिसका इंतजार देशभर में बच्‍चों को सबसे ज्‍यादा होता है। पूरा देश ही त्‍यौहार के रंग में डूब जाता है और बच्‍चे अपनी छुट्टियों के दौरान इस पूरे त्‍यौहार में धमाका करने को पूरी तरह तैयार होते हैं। इस त्‍यौहारी माहौल में, आमतौर पर लोग इतने डूबे होते हैं कि अपने आस-पास जानवरों पर पड़ रहे प्रभाव को देख नहीं पाते। जानवरों में सुनने और सूंघने की तीक्ष्‍ण क्षमता होती है, यह उनके बचाव की प्रणाली का एक हिस्‍सा है। लेकिन पटाखों की तेज आवाज और उसके बाद बचे बारूद के साथ उनकी यही खूबी उनके लिये सबसे बड़ी परेशानी और मुसीबत बन जाती है। इस बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्‍य और शोरमुक्‍त तथा स्‍वच्‍छ दिवाली मनाने के नये चलन के साथ, सोनी YAY! ने अपने चिरपरिचित कैम्‍पेन ‘पॉसम दिवाली’ के तीसरे एडिशन की घोषणा की है। और ऐसे में बच्‍चों के फेवरेट कैट्स यानी सोनी YAY! के हनी और बनी से बेहतर भला कौन हो सकता है। इस पूरी मुहिम के हिस्‍से के रूप में हनी और बनी ने अपने नन्‍हें फैन्‍स के साथ मिलकर एनिमल शेल्‍टर्स और जानवरों के हित में काम कर रहे एनजीओ को ईयर मफलर दान में दिया। इससे वे पटाखे जलाने पर होने वाले शोर से बच जायेंगे। स्‍ट्रे रिलीफ एंड एनिमल वेलफेयर दिल्‍ली में वर्कशॉप आयोजित करने में उनका सहयोग दिया। साथ ही उन्‍होंने बच्‍चों को शोरमुक्‍त दिवाली मनाने के महत्‍व के बारे में बताया। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया के सितारों ने भी सभी उम्र के लोगों तक बात पहुंचाने के लिये YAY! के साथ हाथ मिलाया। साथ ही उन्‍होंने मजेदार वीडियोज और जानकारीपरक पोस्‍ट के जरिये इस संदेश को और भी जोर देकर कहा। अपने डिजिटल पहुंच वाले प्‍लेटफॉर्म के माध्‍यम से सोनी YAY! ने जानकारीपरक पोस्‍ट, कॉन्‍टेस्‍ट तथा हनी व बनी को दर्शाते हुए मैसेज भी शेयर किये। हनी और बनी मैसेजेस में अपने फैन्‍स को अपने पेट्स तथा एनिमल फ्रेंड्स के प्रति और भी संवेदनशील होने की गुजारिश कर रहे हैं। इस बेहद अहम सोच का लक्ष्‍य नन्‍हें फैन्‍स के अंदर संवेदनशीलता का भाव डालना था, ताकि वो आने वाले सालों में ‘पॉसम’ तरीके से दिवाली मना सकें। साथ ही ना केवल अपने दोस्‍तों और परिवारवालों के जीवन में खुशियां लायें, बल्कि जानवरों की जिंदगी में भी खुशियां ला पायें।

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