मयूर लाडः ‘‘बाला के किरदार में ग्रे शेड है। वह दिल का तो अच्छा है लेकिन उसका रास्ते और तरीके गलत हैं। इतनी लेयर वाला किरदार निभाना मुश्किल है, जिसका मुझे हर दिन सामना करना पसंद है।‘‘

एण्डटीवी के मशहूर शो, ‘एक महानायक-डाॅ बी.आर.आम्बेडकर‘ में बाला का किरदार निभा रहे, मयूर लाड ने अभिनय के अपने कॅरियर में काफी लंबा रास्ता तय किया है। फिल्मों और टेलीविजन का हिस्सा रहे, मयूर ने मनोरंजन जगत में अपने सफर के बारे में बात की और बताया कि किस तरह उनका यह शो उनके कॅरियर का ऐतिहासिक क्षण बन गया।

1.‘एक महानायक-डाॅ बी.आर. आम्बेडकर‘ में आपको बाला की भूमिका कैसे मिली?

इस शो में भीमराव के पिता, रामजी का किरदार निभा रहे जगन्नाथ निवानगुने जी ने मुझे ‘एक महानायक-डाॅ बी.आर. आम्बेडकर‘ के मेकर्स से मिलवाया था। मैं उन्हें काफी सालों से जानता हूं और हमने एक साथ काफी काम किया है। मैं उनका आभारी हूं कि उन्होंने मुझे इस मौके के बारे में बताया। एक रात उन्होंने मुझसे कहा कि इस शो के मेकर्स, बाला के किरदार के लिये किसी एक्टर की तलाश कर रहे हैं और मुझे आॅडिशन जरूर देना चाहिए। मैंने तुरंत ही अपना आॅडिशन वीडियो भेजा और अगले ही दिन मुझे प्रोडक्शन टीम की ओर से काॅल आया। बाकी, तो सब जानते ही हैं। बाला का किरदार दर्शकों के बीच खासा चर्चित है। इसलिए, मैं कह सकता हूं कि मैं सही समय पर सही सही जगह और सही मौके के साथ था। यह काफी सीखने वाला अनुभव रहा है।

2.बाला के किरदार के बारे में बताएं।

मैं डाॅ बी.आर. आम्बेडकर के बड़े भाई बाला राम का किरदार निभा रहूं। बाला का किरदार थोड़ा ग्रे शेड लिए हुए है। वह दिल का तो अच्छा है, लेकिन उसके रास्ते और तरीके गलत हैं। इस तरह की कई लेयर वाली भूमिका करना चुनौतीभरा है, जिसका हर दिन मुझे सामना करना पसंद है। इस किरदार के लिये मैंने काफी सारा होमवर्क किया। सबसे पहले तो मैंने इस किरदार के बारे में काफी गहराई से पढ़ा और उसके व्यक्तित्व और इस शो में उसके सफर के बारे में जाना। इससे मुझे अपने किरदार की बारीकियों को समझने और उसके अनुसार काम करने में मदद मिली।

4.अथर्व के अलावा, सेट पर आपके ज्यादा करीबी कौन हैं?

सेट पर हर कोई मेरे लिये परिवार की तरह है। चाहे वो हमारे डायरेक्टर हों, मेरे सारे को-स्टार्स और पूरा क्रू। भले ही इस शो में मैं सबसे आखिर में आया, लेकिन वो गर्मजोशी और सपोर्ट बेहद प्रेरणादायक है। जैसा कि मैंने पहले भी कहा, मैं जगन्नाथ निवानगुने जी को एक दशक से ज्यादा समय से जानता हूं और उन्होंने हमेशा ही मेरा पूरा साथ दिया है। वह एक दोस्त, एक मेंटर और गाइड रहे हैं। उन्होंने जो सलाह और सुझाव दिए, उससे मुझे काफी मदद मिली और मैं उनसे परामर्श लेता हूं।

5.आपके अभिनय का सफर कैसे शुरू हुआ?

अभिनय ने हमेशा ही मुझे अपनी तरफ आकर्षित किया है। मैं स्कूल के नाटकों में भाग लिया करता था। हालांकि, मध्यम वर्गीय परिवार से होने और एंटरटेनमेन्ट इंडस्ट्री से कोई नाता ना होने के कारण, मैंने कभी सोचा नहीं था कि मुझे इसमें काम करने का कोई मौका मिलेगा। परदे पर खुद को देखने का हमेशा से मेरा सपना रहा है। मैं एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखता हूं और काॅलेज के दिनों में मैं पटाखे बेचा करता था। ग्रेजुएशन के बाद, मैंने उपनगरों में घर-घर जाकर सिम कार्ड बेचा। मैं ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट करने के बारे में सोच रहा था। एक साल तक मैंन 5 ेजंते बारटेंडर के रूप में काम करते हुए, एमबीए के लिये अप्लाय किया। लेकिन वह भी सफल नहीं रहा, क्योंकि मेरे दादाजी की तबीयत खराब हो गई। मैं उनके काफी करीब था और मुझे याद है कि उन्होंने हाॅस्पिटल में मुझसे कहा था, ‘‘तुम अपने सपने को पूरा क्यों नहीं करते? तुम एक बेहतरीन एक्टर हो और एक्टिंग ही तुम्हारी मंजिल है।‘‘ उनकी बातों ने मुझे एक्टिंग को मौका देने के लिये प्रेरित किया और मैंने आॅडिशन देना शुरू कर दिया। आखिरकार, मैं रियलिटी शो में पहुंच गया। और इस तरह अभिनय की शुरूआत हुई। अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे खुशी होती है कि मैंने विश्वास की छलांग लगाई।

6. क्या मनोरंजन जगत में अपने पैर जमा पाना आसान था?

बिलकुल नहीं। एक मौका पाने के लिये मुझे कई सारे आॅडिशन से होकर गुजरना पड़ा। रियलिटी शो में पहला ब्रेक मिलने के बाद, मेरे लिये हिन्दी और मराठी सीरियल, सिनेमा और एड फिल्मों में अवसरों के दरवाजे खुल गए। उसके बाद मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। सारी चीजें सही हो गईं। हालांकि, मुझे जल्द ही एक झटका लगा। 2003 में मेरी मां चल बसीं और मैंने अपने परिवार की ज्यादातर जिम्मेदारियां खुद के कंधों पर ले ली। इसलिए, मैंने फुल-टाइम काॅरपोरेट नौकरी कर ली। लेकिन, किस्मत की बात थी कि मुझे बेहतरीन मराठी शोज में काम मिलना शुरू हो गया था और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। अभिनय की शुरूआत करते हुए, अब दस साल हो चुके हैं और मैंने काफी लंबा रास्ता तय किया है। यह काफी रोमांचक सफर रहा है। शुक्र है कि मुझे कभी काम की कमी नहीं रही और अपनी क्षमता दिखाने के मौके मिलते रहे। एक चीज जिसने मेरे हित में काम किया, वो ये कि कोई भी भूमिका छोटी या बड़ी नहीं होती या बड़े ब्रेक का इंतजार नहीं करना है। बस पूरी ईमानदारी और विश्वास के साथ अपना काम करते रहो और जब भी सही वक्त होगा, सही मौका आपके दरवाजे पर दस्तक देगा। आपकी लगन, कड़ी मेहनत और समर्पण मायने रखते हैं। इसके बाद तो पहचान अपने आप पीछे आती है।

7. एक्टर बनने के आपके फैसले को लेकर परिवार की क्या प्रतिक्रिया थी?

एक मध्यम-वर्गीय परिवार के लड़के के लिये स्थायी कमाई और अपने सपने को पूरा करने के बीच चुनाव करना बेहद मुश्किल काम है। लेकिन मुझे इस बात का कोई अफसोस नहीं है। यह चुनना मुश्किल था, लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने चुना। पहले तो मेरा परिवार, अस्थिरता को लेकर चिंतित था, क्योंकि मेरे ऊपर काफी सारी आर्थिक जिम्मेदारियां थीं। मैं एक पारंपरिक महाराष्ट्रियन संयुक्त परिवार से हूं, जोकि मुझसे एक फुल टाइम जाॅब चाहता था, वह भी एक स्थायी कमाई के साथ। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था और मुझे खुशी है कि मैं कुछ बेहतरीन और साथ देने वाले लोगों से मिला, जिन्होंने इस इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने में मेरी मदद की और मेरा मार्गदर्शन किया।

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