भारत को वैश्विक पुनर्चक्रण केंद्र बनाने की दिशा में मटेरियल रिसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमआरएआई) भारत में सर्कुलर इकोनॉमी और टिकाऊ रीसाइक्लिंग संचालन की दिशा में काम करने वाले उत्प्रेरक के रूप में रहा है। लीला कन्वेंशन सेंटर, शाहदरा, दिल्ली में 9वें आईएमआरसी सम्मेलन ने 2030 तक भारत को एक हरित महाशक्ति बनाने के लिए बढ़ती चिंताओं को संबोधित किया। एमआरएआई ने उत्पादन स्तर पर कचरे के पृथक्करण, न्यूनतम प्रतिशत का उपयोग जैसे मुद्दों को संबोधित करने की मांग की। भारत में प्रत्येक विनिर्माण गतिविधि में पुनर्चक्रण योग्य स्क्रैप, भारत में रीसाइक्लिंग पार्क/क्लस्टर स्थापित करना और भारत सरकार के तहत रीसाइक्लिंग विभाग के लिए एक उद्योग का दर्जा और निकट भविष्य में कच्चे माल के लिए जीएसटी को 18 फीसदी से 5 फीसदी तक संशोधित करना जैसे मामलों पर ध्यान देने पर जोर दिया। एमआरएआई ने रिसाइकिल इंडिया अभियान को भी हरी झंडी दिखाई और भारत सरकार से जन जागरूकता के कारण को अपनाने की मांग की।
कार्यक्रम के तीसरे दिन के पूर्ण सत्र के दौरान केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बतौर मुख्यातिथि उपस्थित रहे। उनके अतिरिक्त डॉ. भागवत कराड, वित्त राज्य मंत्री भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘‘सरकार सिंगल विंडो क्लीयरेंस केंद्रों के माध्यम से स्क्रैप रीसाइक्लिंग केंद्र स्थापित करने के लिए कम अनुपालन और एक सरल प्रक्रिया सुनिश्चित कर रही है। स्क्रैपिंग केंद्र स्थापित करने से आयात प्रतिस्थापन में मदद मिलेगी। रीसाइक्लिंग उद्योग भी भारत मे भारी रोजगार के अवसर बनायेगा। भारत में अर्धचालकों की कमी है जिसे स्क्रैप प्रसंस्करण द्वारा भी संबोधित किया जा सकता है। स्क्रैपिंग नीति को इस उद्योग का हिस्सा बनने के लिए छोटी या बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों से निवेश को आमंत्रित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।“
वित्त मंत्रालय के एमओएस डॉ. भागवत कराड ने कहा, “150 सरकारी पीएसयू आज रीसाइक्लिंग गतिविधियों में शामिल हैं। रीसाइक्लिंग पर्यावरण की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और भारत को सतत रूप से विकसित करता है“। उन्होंने जीएसटी विभाग, वित्त मंत्रालय के साथ रीसाइक्लिंग उद्योग के लिए कच्चे माल पर जीएसटी को 18 फीसदी से 5 फीसदी तक संशोधित करने का भी आश्वासन दिया।
इस कार्यक्रम में “भारतीय ई-कचरा उद्योग – सिनर्जाइज करने का समय, ईएलवी द रोड फॉरवर्ड, ए पैराडाइम शिफ्टः बीआईएस स्टैंडर्ड्स, प्लास्टिक रीसाइक्लिंग टू अलाइन टू एडवांस टेक्नोलॉजी, सर्कुलर इकोनॉमी आदि जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण पैनल चर्चा हुई।
श्री संजय मेहता, अध्यक्ष, एमआरएआई ने कहा कि “भारत सरकार की नीति का जोर सर्कुलर अर्थव्यवस्था पर पुनर्चक्रण की शक्ति को स्वीकार करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके साथ, हमें पूरा विश्वास है कि ’कचरे की वसूली और पुनः उपयोग भारत की विकास कहानी में उस समय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जब भारत विनिर्माण गहन हरित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। हम बड़े पैमाने पर जागरूकता पैदा करने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को जागरूक करने के अभियान को भी हरी झंडी दिखा रहे हैं। देश भर में रीसाइक्लिंग पार्क और रीसाइक्लिंग हब विकसित करने की आवश्यकता है। अधिकांश विकसित देशों ने कबाड़ के नकद लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया है। हम इसे अपना सकते हैं क्योंकि भारत का अपना यूपीआई इकोसिस्टम है।“
आयोजन के बारे में बात करते हुए श्री अमर सिंह महासचिव एमआरएआई ने बताया, “आईएमआरसी का 9वां संस्करण एक महत्वपूर्ण मोड़ पर आयोजित किया जा रहा है जब भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र ई-मोबिलिटी की ओर मुड़ रहा है और लोग बैटरी रीसाइक्लिंग एवं ई-कचरे के निपटान के सही तरीके के बारे में जवाब ढूंढ रहे हैं। आईएमआरसी का उद्देश्य भारत सरकार को विभिन्न सामग्रियों और इसके लाभों के पुनर्चक्रण के बारे में जागरूकता पैदा करना और ज्ञान फैलाना है।”
उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, देश भर के पुनर्चक्रणकर्ताओं ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम न केवल तैयार धातु की तुलना में अधिक स्क्रैप के आयात को बढ़ावा दें, बल्कि घरेलू स्क्रैप की उपलब्धता और व्यवस्थित परिपत्र प्रवाह को अनलॉक करने की भी आवश्यकता है।
श्री संजय मेहता ने “आइए रीसायकल को पैसा कमाने के विकल्प के रूप में नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ी के प्रति एक दायित्व और जिम्मेदारी के रूप में करें“ की बात कहते हुए सत्र का समापन किया।