‘‘विभूति का किरदार मेरे सर्वश्रेष्ठ स्वरूप को बाहर लेकर आता है’’, आसिफ शेख

आसिफ शेख हिन्दी टेलीविजन और फिल्मों की दुनिया का एक जाना-माना नाम हैं और उन्हें एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में विभूति नारायण मिश्रा के किरदार से काफी शोहरत मिली है। अपनी बेहतरीन काॅमिक टाइमिंग से उन्होंने दर्शकों को कई सालों तक हंसाया है और वे निश्चित तौर पर दर्शकों के चहेते बन गये हैं। एक बेबाक इंटरव्यू में वह विभूति के किरदार के साथ अपने सफर के बारे में बात कर रहे हैं और बता रहे हैं कि आठ सालों के बाद भी इस भूमिका के लिये वह वचनबद्ध क्यों हैं।

1. आठ साल और 2000 एपिसोड्स पूरे होने की उपलब्धि हासिल करने पर बधाई!
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

2000 एपिसोड्स और आठ साल का लंबा वक्त पूरा करना हमारी टीम और मेरे लिये एक बड़ी उपलब्धि है। सीख, हंसी और आनंद से भरे इस बेहतरीन सफर को देखकर हमें बहुत गर्व और खुशी होती है। मुझे इस शो का हिस्सा बनाने के लिये मैं प्रोड्यूसर्स और चैनल का शुक्रगुजार हूँ। मैं विभूति नारायण मिश्रा जैसे बेजोड़ किरदार के लिये आभारी हूँ। इन आठ सालों में मैंने जो भी मजेदार किरदार निभाये हेै, उसे दर्शकों ने काफी पसंद किया है और वह दर्शकों को अच्छे लगे हंै। मैं 50 साल से ज्यादा की उम्र में 30 साल के विभूति का किरदार निभाना और इतने बेहतरीन कलाकारों का साथ पाना अपनी खुशकिस्मती समझता हूँ।

2. क्या आप विभूति नारायण मिश्रा की भूमिका को अपने कॅरियर के लिये एक महत्वपूर्ण क्षण मानते हैं?

विभूति नारायण मिश्रा का किरदार मिलना मेरे लिये एक महत्वपूर्ण क्षण रहा है। इन आठ सालों में मैंने इस शो में 300 से ज्यादा किरदार निभाये हैं, जोकि बतौर एक्टर मेरे लिये एक बड़ी उपलब्धि है। मुझे गर्व है कि मैं इस उम्र में यह सब कर पा रहा हूँ। इस शो से मुझे नाम, शोहरत और पैसा मिला है और मैंने तब तक काम करने का फैसला किया है, जब तक कि अपनी लाइनें याद रख सकूं। इस शो ने मुझे एक नई शुरूआत दी है। आमतौर पर मेरी उम्र का एक्टर मान लेता है कि उसे स्क्रीन पर बुजुर्ग वाले  सपोर्टिंग रोल ही करने होंगे। मैं भी उम्मीद छोड़ रहा था और मैंने खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लिया था कि मैं पारंपरिक कुर्ता पायजामा पहनूंगा और मुख्य कलाकारों के पीछे खड़ा  रहूंगा। हालांकि मैं अब भी उस एक मौके के लिये ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ, जिसमें विभूति जैसी भावों से भरी भूमिका मिले। शुरूआत में मुझे एक शालीन कलाकार के रूप में देखा गया, लेकिन इस शो ने मुझे सिंहासन पर बैठाया। यह एक बेहतरीन एहसास है। यह मेरे जीवन की जमा पूंजी है।

3. आमतौर पर एक्टर्स महिलाओं के किरदार निभाना चुनौती से भरा मानते हैं और इससे बचने की कोशिश करते हैं, लेकिन आप एक अपवाद रहे हैं…

मुझे महिलाओं के किरदार निभाने में मजा आता है। और मुझे नहीं लगता है कि स्क्रीन पर महिला का किरदार निभाने में उतनी चुनौती होती है, बल्कि यह बड़ा मनोरंजक होता है। दर्शकों को एक पुरूष को महिला बनते देखने में हमेशा मजा आता है। और मैं औरत बनकर बेहतरीन दिखता हूँ (हंसते हैं)। मेरे मेक-अप रूम में हर उस शेप और साइज के कपड़े हैं, जो औरत बनने के लिये काम आ सकते हैं। इस शो में मैंने हर उम्र की औरत का किरदार निभाया है, जोकि शुरूआत में चुनौती वाला, लेकिन बाद में देखने लायक था। हमने हमशा अपने दर्शकों को नया और ताजगी से भरा मनोरंजन देने की कोशिश की है। इसलिये हम रिसर्च करते रहते हैं, अपना दिमाग खर्च करते हैं और दर्शकों को बांधे रखने के लिये मनोरंजक किरदार गढ़ते हैं। दर्शक हर किरदार को देखना पसंद करते हैं और उसका मजा लेते हैं, जिससे मुझे ज्यादा खोजने और हर बार अपने से बेहतर करने का उत्साह मिलता है।

4. स्क्रीन पर आप अपने से आधी उम्र का किरदार निभा रहे हैं। इतने यंग  किरदार को निभाने के लिये आप खुद को कैसे मेंटेन करते हैं?

मुझे इंडस्ट्री में तीन दशक हो चुके हैं और मुझे अब भी अपने भीतर वही एनर्जी महसूस होती है। मैं इंडस्ट्री में लंबी पारी खेलना चाहता हूँ; और फिट रहना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके अलावा, मेरा किरदार विभूति नारायण मिश्रा भी मुझे मेरी जवानी के दिनों में ले जाता है। वह मेरे सर्वश्रेष्ठ स्वरूप को बाहर लेकर आता है; मुझे 55 की उम्र में 35 का (जवान) होने जैसा एहसास देता है। सच कहूं तो, मेरे लिये उम्र सिर्फ एक संख्या है। मैं शूटिंग के वक्त लोगों से नहीं कहना चाहता कि मेरी कमर दुख रही है या मैं ठीक नहीं हूँ। मैं दिये गये किसी भी समय में 30 साल के नौजवान की तरह मिलने वाली हर चुनौती के लिये फिट रहना चाहता हूँ। फिटनेस ही जीने के लिये मेरा मंत्र है और निरंतरता मेरी कुंजी है। मैं यंग और फिट इसलिये दिखता हूँ, क्योंकि मैं कठोर अनुशासन पर चलता हूँ, जिससे साफ दिखता है कि मेरी दिखावट कैसी है। सेहत बहुत मायने रखती है और सही खाना तथा नींद भी उतना ही मायने रखती है। और मैं बहुत अनुशासित हूँ। सबसे पहले तो कम से कम छह से आठ घंटे की नींद जरूरी है। इसके अलावा मैं संतुलित आहार लेता हूँ और जरूरत से ज्यादा नहीं खाता हूँ। कसरत करना महत्वपूर्ण है; इसलिये मैं अपनी कार में बैठकर सेट की तरफ जाते हुए योग (प्राणायाम) करता हूँ। मैं अपनी जिन्दगी से शुगर को हटा चुका हूँ और वर्कआउट भी करता हूँ।

5. आपके मुताबिक, ‘भाबीजी घर पर हैं’ की भारी सफलता का क्या कारण है?

इस शो की सफलता का सबसे बड़ा कारण है अनोखे किरदार और मनोरंजक किस्से। हमारे किरदारों की ट्रैजेडी और हंसाने वाले रूप दर्शकों को शो से बांधे रखते हैं। हमारे प्रशंसकों ने बताया है कि इस शो को देखने से उनकी जिन्दगी में कैसे खुशियाँ आई हैं। ऐसा भी हुआ है, जब कई मरीजों ने हमें लिखित संदेशों से बताया कि हमारे शो की काॅमेडी ने कैसे उनका ध्यान उनके दर्द से हटाया है। मुस्कुराहट फैलाने के लिये हमारी प्रतिबद्धता इस शो की सफलता का सबसे बड़ा कारण रही है।

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