एरियल #SharetheLoad मूवमेंट की चैंपियन बनी विद्या बालन, महिलाओं को अपनी आवाज उठाने और बराबरी की मांग करने के लिए प्रोत्साहित किया

अभिनेत्री विद्या बालन ने एरियल #ShareTheLoad मूवमेंट में अपनी आवाज देते हुए भारतीय महिलाओं से कहा, ‘अपने खुद के चैंपियन बनें और घर में समानता का व्यवहार किए जाने की मांग करें’

फिल्ममेकर शिमित अमीन, अभिनेत्री नेहा धूपिया और पी एंड जी के शरत वर्मा ने भी मीडिया में महिलाओं की बराबरी और प्रतिनिधित्व दिए जाने के बारे में बात की

अपने अवार्ड विनिंग मूवमेंट #ShareTheLoad के माध्यम से एरियल इंडिया, सात वर्षों से घर में लैंगिक समानता की वकालत कर रहा है। उनके लेटेस्ट एडिशन #SeeEqual को सभी तिमाहियों से अभूतपूर्व प्रतिक्रिया मिली है और इसने गति पकड़ ली है। फिल्म ने सभी को ये सोचने पर मजबूर किया है – “यदि पुरुष दूसरे पुरुषों के साथ समान रूप से लोड शेयर कर सकते हैं, तो अपनी पत्नियों के साथ क्यों नहीं कर सकते?”। फिल्म की नायिका आज की बहुत सी महिलाओं के मूड को रीप्रेजेंट करती है, जहां वे बदलाव की रफ्तार से खुश नहीं हैं, और इसलिए सीधे इस सवाल – क्या आप मुझे अपने बराबर के तौर पर देखते हैं? के साथ समानता का व्यवहार किए जाने मांग कर रही हैं क्योंकि हम जानते हैं कि जब हम #SeeEqual कहते हैं, तो हम समान रूप से #ShareTheLoad अमल में लाते हैं।

आज शहर में, एक रोमांचक पैनल जिसमें जानी-मानी बॉलीवुड अभिनेत्री विद्या बालन, निर्देशक शिमित अमीन – जिन्होंने कई #ShareTheLoad फिल्मों का निर्देशन किया है और पी एंड जी इंडिया के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर तथा फैब्रिक केयर, पी एंड जी इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट, शरत वर्मा शामिल हैं, एक साथ आया। पैनल का संचालन एंकर, एक्ट्रेस और एक मां, नेहा धूपिया ने किया, जो वास्तव में शेयरिंग द लोड के मूल्यों को आत्मसात करती हैं। पैनल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह कैसे अब महिलाओं के सामने आने वाली असमानताओं के खिलाफ बोलने का समय है, ताकि वे समान रूप से व्यवहार किए जाने की मांग कर सकें। पैनल ने इस बात पर भी चर्चा की कि मीडिया में हमारे आस-पास की इमेजरी किस तरह लंबे समय से व्याप्त कंडीशनिंग और पूर्वाग्रहों को ध्वस्त करने में मददगार हो सकती है तथा एक समान आने वाले कल का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। इवेंट में, एरियल ने सभी से महिलाओं से कहानियां, इमेजरी और किरदार गढ़ने में अपना योगदान देने का आग्रह किया, जो स्टीरियोटाइपिकल जेंडर मॉड्यूल से परे हैं और उन्हें प्रामाणिक, प्रगतिशील और इक्वल डिपिक्शंस में पेश करते हैं।

पैनल ने दिल्ली में घरेलू असमानता के संबंध में कुछ कठोर तथ्यों को भी उजागर किया। 78%* पुरुष इस बात से सहमत थे कि जब वे दूसरे पुरुषों या रूममेट्स के साथ रहते थे तो वे अपने हिस्से का घरेलू काम करते थे। 96%* पुरुष मानते हैं कि घर के काम का लोड समान रूप से शेयर करने से उनके पार्टनर्स के साथ उनके संबंध बेहतर होगा। इसलिए, अगर पुरुषों को पता है कि लोड शेयर करने से उनके रिलेशनशिप को फायदा हो सकता है, और अतीत में उन्होंने घरेलू काम की जिम्मेदारी उठाई है, तो पार्टनर के रूप में ऐसा करने से कौन सी बात उन्हें रोकती है? इसके कई कारण हो सकते हैं लेकिन यह सामने आना कि चिंताजनक था कि 80% महिलाएं मानती हैं कि उनके पति घरेलू काम करना जानते हैं लेकिन वे करना नहीं चाहते। यह ‘च्वाइस’ वर्षों के अचेतन मन के पूर्वाग्रह से उत्पन्न एक मानसिकता की और संकेत करता है। 82% महिलाओं ने महसूस किया कि जब घरेलू काम करने की बात आती है तो पुरुष, महिलाओं को बराबर नहीं मानते। इसलिए, एक प्रासंगिक प्रश्न उठाकर कि – “अगर पुरुष, दूसरे पुरुषों के साथ समान रूप से लोड शेयर कर सकते हैं, तो वे अपनी पत्नियों के साथ ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं?” एरियल परिवारों को रिमाइंड करा रहा है कि सच्ची समानता केवल तभी दिखाई पड़ती है जब घरेलू काम शेयर किए जाते हैं। क्योंकि जब हम महिलाओं को बराबरी का मानते हैं, तो लोड शेयर करते हैं!( when we SEE EQUAL, we SHARE THE LOAD!)

इसके अलावा, दिल्ली में 94% महिलाएं मानती हैं कि यह समय पुरुषों से घरेलू काम में समान रूप योगदान करने के बारे में बात करने का है। महिलाओं के अंदर यही भावना व्याप्त है। भले ही हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं, लेकिन बदलाव की रफ्तार बेहद धीमी है। इसलिए, एरियल इंडिया की हालिया फिल्म इस बात का उदाहरण है कि एक विचार-प्रेरक बातचीत कैसे अधिक समानता की ओर ले जा सकती है। नायक अपनी शादी में असमानता को स्वीकार करने से इनकार करता है, और इसके बजाय वह अपने पार्टनर के साथ घरेलू काम में बराबर भागीदारी करने का विकल्प चुनता है। पैनल डिस्कशन के हिस्से के रूप में विद्या बालन, नेहा धूपिया ने पर्सनल एक्सपीरिएंस के बारे में भी बताया जहां उन्होंने आवाज उठाकर यथास्थिति को चुनौती दी। उनकी बातचीत बेहद बढ़िया रही।

ऑन स्क्रीन के साथ ही वास्तविक जीवन में एक जिंदादिल इंसान और मजबूत व्यक्तित्व की मालकिन विद्या बालन कहती हैं कि बराबरी के साथ काम को साझा करने का संदेश देने वाली एरियल की हालिया फिल्म  #SeeEqual to #ShareTheLoad को वास्तव में मैं अपने साथ जुड़ा पाती हूं। असमानता इतनी गहरी है कि अक्सर हम इसे पहचान भी नहीं पाते हैं, इस फिल्म में जब पुरुष, महिला से यह कहता है कि वह कॉलेज में अपने पुरुष रूम मेट के साथ भार साझा करता था, तो वह हताश हो जाती है और घर के काम में थोड़ी भी मदद न मिलना उसे अन्याय की तरह महसूस होता है और अनजाने में हम जो असमानता की स्थिति कायम कर रहे हैं, उस अंतर्निहित असमानता को देख उसकी आंखें खुल जाती हैं। घर में प्रत्येक चीज में समानता कपल्स के बीच मजबूत संबंधों को बढ़ावा देती हैं। हमारे आसपास इसे लेकर जितनी अधिक चर्चा होती है, अपने आस पास हमें उतने ही उदाहरण देखने को मिलते हैं, और जब हम अपने आस-पास देखते हैं कि पुरुषों और महिलाओं ने घर के कामों के साथ ही बाकी सभी चीजों की संयुक्त जिम्मेदारी ली है, तो हमारे लिए भी अपने पूर्वाग्रहों का पुनर्मूल्यांकन करने और इसमें बदलाव लाने की संभावना उतनी ही ज्यादा है। वे कहती हैं, पिछले 7 वर्षों से घरेलु समानता की वकालत कर रहे एरियल में मैं एक समान विचारधारा वाले ब्रांड को देखकर काफी खुश हूं साथ ही इस चर्चा को जीवंत रखने और इसे फैलाने में मदद करने के लिए उनके साथ जुड़कर मुझे खुशी हो रही है।

#ShareTheLoad अभियान का का समर्थन करते हुए, नेहा धूपिया ने कहा, “एरियल और #ShareTheLoad के साथ मेरा वर्षों से एक लंबा जुड़ाव रहा है। मैंने इस चर्चा को कि ‘लॉन्ड्री सिर्फ एक महिला का काम नहीं है’ से इस साल ‘See Equal’ तक विकसित होते देखा है, जो यह बताता है कि समाज ने भी प्रगति की है। मैं एक महिला को खुद के लिए बोलते हुए देखकर काफी खुश हूं। यह अत्यंत जरूरी बदलाव है। वर्षों तक एक ही ढर्रे में बने रहने की स्थिति यानी अनुकूलन (कंडीशनिंग), जहां प्राथमिक तौर पर महिलाओं को घर और बच्चे की देखभाल करने वाला माना जाता है, को तोड़ने के लिए ‘ See Equal’  प्रगतिशील और दिल को छू लेने वाला बदलाव है। मैं एक ऐसी मां हूं जिसने अपनी गर्भावस्था के दौरान और इसके बाद भी काम करना जारी रखा है, और मुझे पता है कि मेरे बराबरी के रिश्ते की इसमें बहुत बड़ी भूमिका रही है। चाहे बच्चों की देखभाल करना हो, या घर को सजाना-संवारना और चलाना, यह हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है। इसमें कुछ भी मेरा या उसका नहीं है। आसपास इस तरह के उदाहरण देखना भी काफी सशक्त हो सकता है। हम पति और पत्नी को एक साथ यह जिम्मेदारी लेने की जितनी अधिक कल्पना करते हैं, यह उतना ही सामान्य होता जाएगा और हम रूढ़िवादी लैंगिक भूमिकाओं से दूर हो जाएंगे। इस चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए एरियल के साथ साझेदारी करके, ताकि हम सभी एक समान कल की दिशा में काम कर सकें”, मुझे खुशी हो रही है।

getinf.dreamhosters.com

Related posts