दूरियों का दौर, मिटाया है जिसने मजबूरियों का अंधेरा हटाया है जिसने
आसमान तक अग्निकुंड में, जलते हुए, अपनी कलम से देश को संवारा है जिसने
130 करोड़ देशवासियों का डाॅ. बी.आर आम्बेडकर की 130वीं जयंती पर शतशत नमन
इस अवसर पर एण्डटीवी के कलाकारों ने बाबासाहेब को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके संगठित भारत के सपने को याद किया। उन कलाकारों में जगन्नाथ निवानगुने (‘एक महानायक डाॅ. बी. आर आम्बेडकर’ से रामजी सकपाल), अंबरीश बाॅबी (‘और भई क्या चल है?‘ के रमेश प्रसाद मिश्रा), पवन सिंह (‘और भई क्या चल रहा है?‘के जफर अली मिर्जा), आकांशा शर्मा (‘और भई क्या चल रहा है?‘ की सकीना), फरहाना फातिमा (‘और भई क्या चल रहा है?‘ की शांति), आसिफ शेख (‘भाबीजी घर पर हैं’ के विभूति नारायण मिश्रा), रोहिताश्व गौड़ (‘भाबीजी घर पर हैं’ के मनमोहन तिवारी), कामना पाठक (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश), ग्रेसी सिंह, (‘संतोषी मां सुनाएं व्रत कथाएं’ की संतोषी मां) शामिल हैं।
जगन्नाथ निवानगुने उर्फ रामजी सकपाल कहते हैं, ‘‘डाॅ. आम्बेडकर सही मायने में एक महान लीडर थे। उनके कार्यों ने सारे भारतीयों के जीवन को छुआ और उन्हें प्रभावित किया। हम बाबासाहेब की 130वीं जयंती मना रहे हैं, ऐसे में हम उस महान लीडर और समाज के प्रति उनके अद्भुत योगदान के लिये उन्हें सलाम करते हैं।‘‘
अंबरीश बाॅबी उर्फ रमेश प्रसाद मिश्रा कहते हैं, ‘‘डाॅ. बी.आर आम्बेडकर ने एक देश और एक संविधान की छत्रछाया में लाखों भारतीयों को लाकर संगठित भारत की नींव रखी। आज भी उनकी सीख और सिद्धांत देशभर के कोने-कोने में भारतीयों में मौजूद है।
पवन सिंह उर्फ जफर अली मिर्जा कहते हैं, ‘‘डाॅ. बी.आर आम्बेडकर ने समाज के लिये ज्यादा उदार भविष्य का मार्ग तैयार किया। जहां समानता हर भारतीय का अधिकार हो। उनके पास कमाल का दृष्टिकोण और विश्वास था, जिसकी वजह से ऐसे सामाजिक तथा आर्थिक बदलाव हुए, जिसने कई जिंदगियों को प्रभावित किया। जिस तरह बाबासाहेब ने इस देश को एकजुट किया, बस कुछ गिने-चुने लीडर्स ही ऐसा कर पाये।‘‘
फरहाना फातिमा उर्फ शांति मिश्रा कहती हैं, ‘‘इस साल आम्बेडकर जयंती उनकी 130वीं जयंती की वजह से विशेष है। बाबासाहेब ने महिलाओं तथा समाज के लिये बहुत ही बेहतरीन कार्य किये हैं। वह कई लोगों के लिये प्रेरणा के स्रोत हैं। उन्होंने अपनी शिक्षा का इस्तेमाल बदलाव लाने के लिये किया। उनकी यह बात हमारे लिये और आगे आने वाली पीढ़ियों के लिये प्रेरित करने वाली है।‘‘
आकांशा शर्मा, उर्फ सकीना मिर्जा कहती हैं, ‘‘बाबासाहेब सही मायने में एक दूरदर्शी लीडर हैं। आज हमारे देश जितना आगे बढ़ा है उसका काफी ज्यादा श्रेय उन्हें जाता है। उन्होंने ना केवल लोगों को एकजुट किया, बल्कि हर तरह के अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाने के लिये भी प्रेरित किया।‘‘
आसिफ शेख उर्फ विभूति नारायण मिश्रा कहते हैं, ‘‘मैं डाॅ. बी.आर आम्बेडकर की कहानियां पढ़ते हुए बड़ा हुआ हूं। समानता के लिये उन्होंने जो संघर्ष किया उसका मुझ पर काफी गहरा असर पड़ा है। आधुनिक भारत में डाॅ. आम्बेडकर समानता के सबसे बड़े हिमायती रहे हैं। उनकी जयंती के मौके पर आइये उनके योगदान और दूरदर्शिता को याद करें।‘‘
ग्रेसी सिंह उर्फ संतोषी मां कहती हैं, ‘‘भारतीय इतिहास में बाबासाहेब सबसे मुखर आवाजों में से एक हैं। चाहे समानता के लिये उनका संघर्ष हो, महिला सशक्तिकरण की बात हो या फिर शिक्षा में उनका योगदान हो। उन्होंने हर भारतीय के जीवन को प्रभावित किया है। आम्बेडकर जयंती के मौके पर आइये हम सब मिलकर समाज, इस देश के प्रति उनके असीम योगदान को याद करें और उन्हें नमन करें।‘‘
कामना पाठक उर्फ राजेश कहती हैं, ‘डाॅ. आम्बेडकर ने उदारता और समानता पर आधारित एक समाज की परिकल्पना की थी। इतने सारे लोगों को प्रभावित करने वाले सामाजिक तथा आर्थिक बदलाव के लिये एक महान दृष्टिकोण की जरूरत होती है। बाबासाहेब ने जिस तरह देश को संगठित किया, उस तरह से कुछ और लीडर्स भी कर सकते थे। तो आइये हम सब मिलकर उस महान लीडर को श्रद्धा सुमन अर्पित करें। भीम जैसा बनने के लिये हिम्मत चाहिये और देश के लिये भक्ति और बेशुमार प्यार।
‘‘ रोहिताश्व गौड़ उर्फ मनमोहन तिवारी कहते हैं, ‘‘डाॅ. बी.आर आम्बेडकर एक दूरदर्शी लीडर थे। उनका सपना था कि वे देश में कई तरह के सामाजिक और आर्थिक सुधार लाकर संगठित राष्ट्र तैयार करें। बेशक, वे भारतीय संविधान का निर्माण कर इस सपने को साकार करना चाहते थे। आम्बेडकर जयंती के मौके पर मैं सभी नागरिकों से निवेदन करना चाहूंगा कि आइए एकजुट होकर उस महान लीडर तथा सामाजिक सुधारक-डाॅ. बी.आर आम्बेडकर को श्रद्धांजलि दें और उन्हें याद करें।‘‘
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