महाराज अग्रसेन जयंती’ पर एण्डटीवी के कलाकारों ने महान राजा के विचारों को याद किया

अश्विन माह के चौथे दिन, ’महाराज अग्रसेन जयंती’ मनायी जाती है। इसे महान राजा अग्रसेन महाराज के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर एण्डटीवी के शो ’घर एक मंदिर- कृपा अग्रसेन महाराज की‘ से श्रेणू पारीख (गेंदा अग्रवाल), अक्षय म्हात्रे (वरुण अग्रवाल), साई बल्लाल (कुंदन अग्रवाल), और समीर धर्माधिकारी (अग्रसेन महाराज और उनका मानव रूप) ने महान राजा, अग्रसेन महाराज के विचारों को याद किया। भारतीय टेलीविजन पर पहली बार महाराजा अग्रसेन के जीवन पर कोई शो बना है। यह एक सोशल ड्रामा है, जिसकी कहानी महाराज अग्रसेन के जीवन पर आधारित है। श्रेणू पारीख (गेंदा अग्रवाल) कहती हैं, “अग्रसेन महाराज के विचार आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं और हमारा मार्गदर्शन करते हैं। अपने एक सिद्धांत में, उन्होंने घर की महिलाओं को बड़ी ही खूबसूरती से घर की लक्ष्मी के रूप में वर्णित किया है। वह परिवार को बुरे वक्त में बिखरने नहीं देती और उसे बांधे रखती हैं। उनकी अच्छे से देखभाल करती हैं और शांति और सद्भाव बनाये रखती हैं, लेकिन उनका अपमान करने पर पूरा परिवार बिखर जाता है। इसलिये, हम सभी को घर की लक्ष्मी का सम्मान करना चाहिये और घर की समृद्धि और खुशहाली के लिए उन्हें असीम प्यार देना चाहिये। दुनिया में कोई भी धन उनकी जगह नहीं ले सकता।” समीर धर्माधिकारी (अग्रसेन महाराज और उनके मानव रूप) कहते हैं, “अग्रसेन महाराज की शिक्षाएं अमूल्य हैं और एक खुशहाल जीवन जीने में हमारा मार्गदर्शन करती हैं। वह लोगों के साथ दया, समानता और धैर्य के साथ पेश आने में विश्वास करते थे। इन सिद्धांतों पर चलने से मुझे व्यक्तिगत रूप से काफी फायदा हुआ है। इससे मैं पहले से ज्यादा दयालु और गंभीर बन गया हूं। जितना अधिक हम दूसरों की खुशी की परवाह करते हैं, हमारी सोच उतनी ही अच्छी होती जाती है। इसे अपनाने से डर या असुरक्षा की भावना दूर हो जाती है और हमें जीवन की कठिनाईयों से लड़ने की ताकत मिलती है। ”

साई बल्लाल (कुंदन अग्रवाल) कहते हैं, “हर कोई अपने काम में सफल होना चाहता है लेकिन काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना बहुत जरुरी है। यह अग्रसेन महाराज द्वारा दी गई महत्वपूर्ण शिक्षा है और यह हम सब पर लागू होती है। ’बड़ा व्यापारी सब बने दिन भर करे व्यापार, जो घर गृहस्थी तोड़ दे वो व्यापार है बेकार’। इसका मतलब है कि अगर काम किसी भी तरह से आपका पारिवारिक जीवन प्रभावित कर रहा है, तो यह मेहनत किसी काम की नहीं है, वह बेकार है। हम इसलिये काम करते हैं कि अपने परिवारों की जरूरतों और ख्वाहिशों को पूरा कर सकें।” अक्षय म्हात्रे (वरुण अग्रवाल) आगे कहते हैं,“ अग्रसेन महाराज के जिस एक सिद्धांत को मैं दिल से मानता हूं, वह है समय के साथ हमें और भी बेहतर बनने की सीख देने का सिद्धांत। परिवर्तन जरूरी है इसलिये इसे जरूर अपनायें। वास्तव में जो बदलते समय के साथ विकसित नहीं होता वह अक्सर पीछे छूट जाता है। परिवर्तन का विरोध हमेशा सफलता और खुशहाली के रास्ते में मुश्किलें लाता है। मुझे हमेशा सिखाया गया है ‘समय और तूफान किसी भी व्यक्ति का इंतजार नहीं करता’ और यह बचपन से ही मेरा गुरु मंत्र रहा है। मैं हमेशा नये ट्रेंड , टेक्नोलॉजी और स्किल्स के साथ अपडेट रहने की कोशिश करता हूं।“

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