नेशनल गर्ल चाइल्ड डे के मौके पर, एण्डटीवी के कलाकारों ने एक बेटी के पैरेंट बनने पर अपनी खुशी जाहिर की

हर साल 24 जनवरी को लड़कियों के अधिकारों, उनकी शिक्षा को लेकर जागरुकता फैलाने और लैंगिक भेदभाव को रोकने के लिये नेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाया जाता है। इस अवसर पर, एण्डटीवी के कलाकारों विशाल नायक (मनीष अग्रवाल, ‘घर एक मंदिर- कृपा अग्रसेन महाराज की‘), फरहाना फातेमा (शांति मिश्रा, ‘और भई क्या चल रहा है?‘), अंबरीश बॉबी (रमेश प्रसाद मिश्रा, ‘और भई क्या चल रहा है?‘), आसिफ शेख (विभूति नारायण मिश्रा, ‘भाबीजी घर पर हैं), रोहिताश्व गौड़ (मनमोहन तिवारी, ‘भाबीजी घर पर हैं‘), शुभांगी अत्रे (अंगूरी भाबी, ‘भाबीजी घर पर हैं‘) ने बताया कि उन्हें अपनी बेटियों पर कितना गर्व है और उन्होंने देश की सभी बेटियों को शुभकामनायें दी।

‘घर एक मंदिर- कृपा अग्रसेन महाराज की‘ के विशाल नायक ऊर्फ मनीष अग्रवाल कहते हैं, “मुझे आज भी याद है जब मैंने पहली बार अपनी बेटी को अपनी गोद में लिया था। उसके नन्हें-नन्हें हाथों और पैरों का मेरे जीवन पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने मुझे हमेशा के लिये बदल दिया। वह अब मेरी सबसे बड़ी प्रशंसक और आलोचक है। उसे अपने जीवन में पाकर हमेशा आभारी रहूंगा। जब भी वह स्कूल में कोई उपलब्धि हासिल करती है या किसी एक्टिविटी में उसे सर्टिफिकेट मिलता है, मुझे अपनी बेटी पर गर्व महसूस होता है। मुझे ऐसा लगता है, जैसे यह उसकी नहीं बल्कि मेरी उपलब्धि हो।‘‘

‘और भई क्या चल रहा है?‘ की फरहाना फातेमा ऊर्फ शांति मिश्रा कहती हैं, ‘‘मुझे 10 साल की बेटी की मां होने पर बेहद गर्व है। उसके साथ मेरा एक खास रिश्ता है। जैसे-जैसे वह बड़ी हो रही है, उसके साथ मेरा रिश्ता एक खूबसूरत दोस्ती में बदलता जा रहा है। इस दिन मैं सभी माता-पिता को बताना चाहूंगी कि हमारी बेटियां लड़कों से कम नहीं हैं, इसलिये हमें उनकी पढ़ाई और परवरिश वैसी ही करनी चाहिये, जैसे हम अपने लड़कों की करते हैं। जेंडर को लेकर पूर्वाग्रह मिटाने से हमें दुनिया को रहने के लिये एक बेहतर जगह बनाने में मदद मिलेगी।“

और भई क्या चल रहा है?‘ के अंबरीश बॉबी ऊर्फ रमेश प्रसाद मिश्रा कहते हैं, ’बेटियां वरदान हैं। हमारे बीच एक अद्भुत रिश्ता है और मैं अपनी बेटी से हर दिन बहुत कुछ सीखता हूं। मेरा दिन अधूरा रहता है जब तक मैं उससे बात नहीं करता। लड़कियों के बिना दुनिया अधूरी है, इसलिये उन्हें समान अधिकार और आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिये।“

‘भाबीजी घर पर हैं‘ के आसिफ शेख ऊर्फ विभूति नारायण मिश्रा कहते हैं, “मेरी बेटी नेकदिल, प्यार करने वाली और प्यारी है। लोग कहते हैं कि शादी के बाद बाप-बेटी का रिश्ता बदल जाता है और वे उतने करीब नहीं रह जाते, लेकिन मैं इससे पूरी तरह असहमत हूं। शादी के बाद भी मैं उसके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को नहीं छोड़ूंगा और उससे उतना ही प्यार करूंगा जितना मैं आज उससे करता हूं।“

‘भाबीजी घर पर हैं‘‘ के रोहिताश्व गौड़ ऊर्फ मनमोहन तिवारी कहते हैं, “मैं हमेशा अपने जीवन में एक लड़की चाहता था। मैं खुशकिस्मत हूं कि भगवान ने मुझे दो खूबसूरत बेटियों का उपहार दिया है जो मेरे जीवन में सिर्फ और सिर्फ अच्छे बदलाव लेकर आयी हैं। मैं उनके होने के लिये आभारी हूं और देश की हर बच्ची को अपना आशीर्वाद और प्यार देता हूं।”

‘भाबीजी घर पर हैं की शुभांगी अत्रे ऊर्फ अंगूरी भाबी कहती हैं, “मेरी बेटी मेरी सबसे बड़ी ताकत है। मुझे याद है, मेरे कॅरियर के शुरुआती दिनों में मुश्किलें आईं और कई बार मुझे उससे काफी दिनों तक दूर रहना पड़ा। लेकिन वह हमेशा से समझदार रही है और आज भी उसकी समझ मुझे उसकी मां होने पर आभारी महसूस कराती हैं। हम दोनों एक साथ काफी समय बिताते हैं और घर के काम करते हैं, गेम्स खेलते हैं, पौधे लगाते हैं और खूब बातें करते हैं। मैं कामना करती हूं कि हर बच्ची का जीवन प्यार और खुशियों से भरा हो।“

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