‘दूसरी माँ’ के एक्टर मोहित शर्मा ने कहाः साइकल चलाना मेरे लिये एक थेरैपी है

कई लोगों के लिये साइक्लिंग कार्डियो वर्कआउट का एक पसंदीदा प्रकार है जिसके बहुत सारे फायदे होते हैं। रेडियो जाॅकी से एक्टर बने मोहित शर्मा एण्डटीवी के शो ‘दूसरी माँ‘ में मनोज का किरदार अदा कर रहे हैं और साथ ही एक पेशेवर साइकलिस्ट भी हैं। उन्हें साइक्लिंग से प्यार है और वे पैडल मारने के लिये हमेशा अपने व्यस्त शेड्यूल से वक्त निकाल ही लेते हैं और उन्हें इसमें बहुत सुकून मिलता है।

‘दूसरी माँ‘ में मनोज बने मोहित शर्मा ने साइक्लिंग के लिये अपने प्यार के बारे में बात करते हुए कहा, ‘‘मैं स्कूल के दिनों में अपने दोस्तों के साथ साइक्लिंग का मजा लेता था। गलियों में साइकल दौड़ाते हुए हमारा अच्छा वक्त बीतता था। हालांकि समय गुजरने के साथ हम सभी ने बाइक और कार चलाना शुरू कर दिया। लेकिन लाॅकडाउन के बाद मैंने एक साइकल खरीदकर अपने बचपन की यादों को दोबारा जीने का फैसला किया। वह मेरे सबसे समझदार फैसलों में से एक था। उस समय मुझे अपनी साइकल चलाने और जयपुर की खाली गलियों, पुराने मंदिरों, स्मारकों को खोजने का वक्त मिला और मैंने आस-पड़ोस के सारे इंफ्रास्ट्रक्चर का मजा लिया। कार में बैठकर मैं इन खूबसूरत नजारों को देखने से चूक सकता था। मैं गूगल मैप से अपने नजदीक के तालाबों और प्राकृतिक जगहों को खोजता था और साइकल से वहाँ पहुँच जाता था। इससे मुझे ऐसी कई चीजों को खोजने में मदद मिली, जिनके बारे में मुझे पहले पता नहीं था। उसी वक्त के दौरान मैंने अपने घर के पास एक खूबसूरत तालाब खोजा। मैंने 300 साल पुराना एक मंदिर भी खोजा और पास के एक गांव के एक मास्टरजी से मिला, जो वहाँ भारत की आजादी के साल से रह रहे थे। साइक्लिंग के कारण मैं अब जहाँ भी जाता हूँ, इस तरह की कई खूबसूरत जगहों के बारे में जान पाता हूँ, वहाँ बैठता हूँ और आराम करता हूँ।’’ साइक्लिंग अब केवल इनका शौक नहीं है, बल्कि स्वस्थ रहने के लिये जीने का एक तरीका भी है। मोहित ने आगे कहा, ‘‘शारीरिक रूप से फिट और मानसिक रूप से मजबूत रहना महत्वपूर्ण है। अपने फिटनेस रूटीन के तहत मैं अपने दिन की शुरूआत साइक्लिंग से करता हूँ। मैंने शारीरिक रूप से फिट रहने के लिये साइक्लिंग को चुना था, लेकिन अब यह मेरे लिये एक थेरैपी बन चुकी है। साइक्लिंग करने से मेरा तनाव और चिंता कम होती है और मुझे इससे खुशी मिलती है। जब मैं साइक्लिंग करता हूँ, तब सड़क या अपनी लय पर ध्यान देने से मुझे एकाग्र होने में मदद मिलती है और मैं मौजूदा पल को लेकर जागरूक रहता हूँ। अब मैं 50 किलोमीटर से ज्यादा साइक्लिंग कर सकता हूँ और साइक्लिंग की मैराथन और रेस में मुकाबला भी करता हूँ।’’

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