एक बच्चे की जिंदगी को संवारने में पैरेंट्स यानि उसके माता-पिता की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, जिनका बच्चे के विकास पर बहुत गहरा असर पड़ता है। नेशनल पैरेंट्स डे एक वार्षिक उत्सव है, जो जिम्मेदारीपूर्ण परवरिश को बढ़ावा देता है और पैरेंट्स को अपने बच्चों के लिये सकारात्मक पालन-पोषण उपलब्ध कराने के लिये प्रोत्साहित करता है। इस विशेष दिन पर, टेलीविजन कलाकारों और एण्डटीवी के रियल लाइफ पैरेंट्स ने आज की दुनिया में पैरेंटिंग की अहमियत पर चर्चा की और इसके महत्व एवं प्रभाव पर प्रकाश डाला। इन कलाकारों में शामिल हैं मोहित डागा (‘दूसरी माँ‘ के अशोक), योगेश त्रिपाठी (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के दरोगा हप्पू सिंह) और शुभांगी अत्रे (‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अंगूरी भाबी)। ‘दूसरी माँ‘ के अशोक ऊर्फ मोहित डागा ने कहा, ‘‘आधुनिक पैरेंटिंग की जटिलताओं से गुजरते हुये अपनी बेटी पर सकारात्मक प्रभाव डालना और उसके लिये रोल माॅडल बनना काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। हालांकि, मेरे लिये यह सफर बेहद संतोषजनक रहा। घर पर मैं हमेशा एक बहुत अच्छा माहौल बनाने का प्रयास करता रहता हूं, जहां मैं उपयुक्तता, सम्मान, ईमानदारी, दयालुता और सहिष्णुता दिखाने के बजाए इस बात को ज्यादा तवज्जो देता हूं कि मेरी बेटी अश्विका को क्या करना चाहिये या क्या नहीं। उसके आचरण को बेहतर बनाने के लिये मैं किसी पुरस्कार की अपेक्षा किये बगैर निःस्वार्थ भाव से किये गये कार्यों को बढ़ावा देता हूं और आभार जताने की अहमियत पर जोर देता हूं। हालांकि, इन सबके अलावा, मेरा दृढ़ विश्वास है कि खुलकर और ईमानदारी से बातचीत करना किसी भी रिश्ते को सफल बनाने से लिये सबसे ज्यादा जरूरी है। और इसलिये मैं एक पैरेंट की भूमिका को आत्मसात करने से पहले अश्विका के साथ दोस्ती कायम करने की कोशिश करता रहता हूं, ताकि मैं उसकी दुनिया को और भी बेहतर तरीके से समझ सकूं।‘‘
योगेश त्रिपाठी ऊर्फ ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के दरोगा हप्पू सिंह ने कहा, ‘‘पैरेंट्स होने के नाते, हम अपने बच्चों को बेस्ट देना चाहते हैं। आज की तेजी से भाग रही दुनिया में, आधुनिक पैरेंटिंग के तरीकों को अपनाने और अपने बच्चों को क्वाॅलिटी टाइम देने के बीच संतुलन बनाना समान रूप से महत्वपूर्ण है। मेरा शेड्यूल काफी डिमांडिंग है, लेकिन इसके बावजूद जब बात अपने बच्चों को समय देने की आती है, तो मैं इससे किसी तरह का समझौता नहीं करता। मैं समय-समय पर ब्रेक्स जरूर लेता हूं और कुछ दिन अलग से निर्धारित करता हूं, जब मेरा पूरा समय उनके साथ ही बीते। इसके अलावा, मैं जानबूझकर फैमिली ट्रिप्स प्लान करता हूं, ताकि हमारे बच्चे अपने ग्रैंडपैरेंट्स और दूसरे रिश्तेदारों के साथ एक मजबूत रिश्ता बना पायें। बतौर पैरेंट्स, हमें फोन्स या प्लेस्टेशन्स जैसी चीजों पर निर्भर रहने के बजाय, अपने बच्चों को समय देना चाहिये और उन्हें अपना पूरा अटेंशन देना चाहिये। सच तो यह है कि, हम बच्चों को जो सबसे अच्छा उपहार दे सकते हैं, वह है हमारी मौजूदगी और उनके साथ खुशी के पल बिताना।‘‘ शुभांगी अत्रे ऊर्फ ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अंगूरी भाबी ने कहा, ‘‘हम जिस आधुनिक दुनिया में रहते हैं, उसमें पैरंेटिंग के सिर्फ पारंपरिक तरीकों पर निर्भर होना काफी नहीं है। जिंदगी बदलाव का दूसरा नाम है और इसलिये हमें पैरेंटिंग के अपने प्रयासों सहित हर चीज में लचीलता को अपनाना चाहिये। आशी ने जैसे ही इस दुनिया में कदम रखा, मेरे अंदर एक जिम्मेदारी की भावना पैदा हो गई और मैंने इसे दिल से अपनाया। जब प्यार और जिम्मेदारी एकसाथ मिलती है, तो इसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। एक आधुनिक पैरेंट के रूप में, मैं दिल से चाहती हूं कि आशी की परवरिश अच्छे से हो और उसका अपना एक व्यक्तित्व हो। मैं अपने वैल्यू सिस्टम को उस पर थोपना नहीं चाहती, बल्कि एक ऐसा परिवेश बनाना चाहती हंू, जिसमें वह अपनी मान्यताओं और पहचान को आत्मविश्वास के साथ एक्सप्लोर कर पाये। सौ बात की एक बात यह है कि मैं चाहती हूं कि उसे पता हो कि मैं उसके लिये हमेशा खड़ी रहूंगी। इस नये युग में पैरेंट़ को मेंटर, दोस्त, मार्गदर्शक, अटेंटिव लिसनर की भूमिका को अपनाना चाहिये और रिश्ते के इन पहलुओं को सबसे ज्यादा प्राथमिकता देनी चाहिये।‘‘