कलाकारों ने अपने पसंदीदा खेलों और अपने जीवन में उनकी अहमियत पर बात की!

खेलों से अनेकों फायदे मिलते हैं, जैसे कि शरीर की बेहतर फिटनेस, मानसिक सेहत और सामाजिक जुड़ाव। एण्डटीवी के कलाकार बता रहे हैं कि खेल उनकी समग्र तंदुरुस्ती को कैसे बढ़ाते हैं। इन कलाकारों में शामिल हैं: अमित भारद्वाज (मेवा, ‘भीमा’), आशुतोष कुलकर्णी (कृष्ण बिहारी वाजपेयी ‘अटल’), गीतांजली मिश्रा (राजेश, ‘हप्पू की उलटन पलटन’) और आसिफ शेख (विभूति नारायण मिश्रा, ‘भाबीजी घर पर हैं’)। भीमा में मेवा की भूमिका निभा रहे अमित भारद्वाज ने बताया, ‘‘मुझे शतरंज और क्रिकेट खेलना पसंद है। हालांकि, शतरंज को मैं ज्यादा महत्व देता हूँ। जब भी मुझे खाली समय मिलता है, मैं अपने बच्चों और दोस्तों के साथ शतरंज खेलने का मजा लेता हूँ और अकेला होने पर आॅनलाइन शतरंज भी खेलता हूँ। मेरे लिये शतरंज एक खेल से कहीं बढ़कर है और उससे दिमाग की बेहतरीन कसरत होती है। इससे याददाश्त तेज होती है, चुनौती की स्थितियों में जल्दी से सोच लेने की क्षमता बढ़ती है और दिमाग को दबाव की स्थिति में भी अच्छी तरह से काम करने में मदद मिलती है। एक्टर होने के नाते मैं समस्या को हल करने और याद रखने की कुशलताओं का महत्व समझता हूँ। क्योंकि, इनका इस्तेमाल में अक्सर शूटिंग के दौरान करता हूँ। शतरंज से सकारात्मक सहज बुद्धि को भी बढ़ावा मिलता है और समझ में गहराई आती है। यह फायदे शतरंज खेलने से अलग वक्त में भी मिलते हैं।’’ अटल में कृष्ण बिहारी वाजपेयी की भूमिका निभा रहे आशुतोष कुलकर्णी ने बताया, ‘‘बास्केटबाॅल मेरा पसंदीदा खेल है। यह खेल मैं बचपन से खेल रहा हूँ। मैं अपने स्कूल और काॅलेज की टीमों में सक्रिय रहता था। हालांकि, अब मैं कम खेलता हूँ, लेकिन कोर्ट में जाने का मौका फिर भी नहीं छोड़ता हूँ। चाहे यह मौका पब्लिक पार्क में मिले, रेसिडेंशियल काॅम्प्लेक्स में या होटल में। स्कोर करने का रोमांच और खुशी बेजोड़ होती है। बास्केटबाॅल से लचीलापन और एकाग्रता बढ़ती है, शरीर को ऊर्जा मिलती है, सेहत सुधरती है और मांसपेशियों में ताकत आती है। इसमें अनुशासन, टीम के साथ काम करने और तेजी से फैसला करने को बढ़ावा मिलता है और दिमाग ज्यादा केन्द्रित रहता है। कुल मिलाकर इससे पूरे शरीर की कसरत हो जाती है और यह गतिविधि मजेदार तथा फायदेमंद होती है।’’

‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश, ऊर्फ गीतांजली मिश्रा ने बताया, ‘‘क्रिकेट मेरे लिये एक खेल से कहीं बढ़कर है; वह मेरा जुनून है! एक्टर होने के नाते मुझे क्रिकेट का अनुषासन, रणनीति और टीमवर्क हमेषा से पसंद रहा है। क्रिकेट खेलने से मुझे जीवन की महत्वपूर्ण कुशलताएं मिली हैं, जैसे कि दृढ़ता, एकाग्रता और संवाद। इससे मेरा आत्मविश्वास बनता है, मैदान पर और उसके बाहर भी। मैंने दबाव को संभालना, अपने दम पर सोचना और नई स्थितियों में ढलना सीखा है। क्रिकेट से मुझे वह दोस्ती करने में भी मदद मिली है, जो मेरे दिल के बहुत करीब है। क्रिकेट की सबसे अच्छी बात यह है कि उसमें छक्का लगाने या विकेट लेने का रोमांच बेमिसाल होता है! उस भावना को शब्दों में नहीं समझाया जा सकता, लेकिन उसी के लिये मैं बार-बार क्रिकेट की तरफ आती हूँ।’’ ‘भाबीजी घर पर हैं‘ के विभूति नारायण मिश्रा, ऊर्फ आसिफ शेख ने बताया, ‘‘क्रिकेट हमेशा से मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है, खासकर स्कूल और काॅलेज के दिनों में। इस खेल ने मुझे टीकवर्क, अनुशासन और दृढ़ता सिखाई है। मुझे अपनी टीम के साथ सुबह-सुबह के प्रैक्टिस सेशंस याद है, हर मैच कितना रोमांचक होता था और मैदान पर मैंने कितने कीमती सबक सीखे। क्रिकेट मेरे लिये सिर्फ एक खेल नहीं है, बल्कि जीने का तरीका है, जिसने मेरे व्यक्तित्व को आकार दिया है और मुझे चुनौतियों से निपटना सिखाया है। क्रिकेट में जरूरी रणनीतिक चिंतन, एकाग्रता और स्टेमिना ने एक्टिंग के कॅरियर में मेरी काफी मदद की है। चाहे शूटिंग के दौरान ध्यान केन्द्रित रखना हो या तरह-तरह के कलाकारों के साथ मिलकर काम करना हो, क्रिकेट के मैदान से मिली कुशलताएं अब भी मेरे काम आ रही हैं।’’

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