हर किसी के जीवन में गुरू की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। अपने टीचर्स के साथ हमारा बड़ा ही प्यारा रिश्ता होता है और उनसे मिले कुछ अहम सबक हमें ताउम्र याद रहते हैं। एण्डटीवी के कलाकारों ने अपने टीचर्स से मिली सीख के बारे में बात की। ‘घर एक मंदिर-कृपा अग्रसेन महाराज की‘ की श्रेणू पारीख (गेंदा) और अक्षय म्हात्रे (वरुण अग्रवाल), ‘और भई क्या चल रहा है?‘ की फरहाना फातिमा (शांति मिश्रा) एवं पवन मिश्रा (जफर अली मिर्जा), तथा ‘मौका-ए-वारदात‘ के अमन वर्मा (अभय कुमार) और गौरव खन्ना (गौरव सिंह राजपूत) ने अपने टीचर्स से जुड़ी यादें ताजा कीं।
एण्डटीवी के ‘घर एक मंदिर-कृपा अग्रसेन महाराज की‘ की गेंदा यानी श्रेणू पारीख कहती हैं‘,
‘‘स्कूल में मेरे टीचर्स ने यूं तो मुझे काफी अच्छी बातें सिखायी हैं, लेकिन उनकी सबसे अहम सीख की वजह से मुझे अपनी कला को पहचानने में मदद मिली। मैं अपने म्यूजिक टीचर और प्रिंसिपल को शुक्रिया कहना चाहूंगी, जिन्होंने ना सिर्फ मुझे सपने देखने के लिये,बल्कि उसे पूरा करने के लिये भी प्रेरित किया। ये कुछ शुरूआती कदम थे, जिसने मुझे एक्टिंग की दुनिया में कदम रखने का आत्मविश्वास दिया। मेरे कॅरियर के शुरूआती दिनों में मेरी मदद करने वाले एक और अहम गुरू हैं, दिवंगत डायरेक्टर वसीम शब्बीर सर। उन्होंने मुझे बिना हार माने, अपने सपनों को पूरा करने की सीख दी, जिसके लिये मैं तहेदिल से उनका धन्यवाद करती हूं। मैं इन सभी लोगों को एक बार फिर से शुक्रिया कहना चाहती हूं, जिनकी वजह से आज मैं इस मुकाम तक पहुंच पाई हूं। मेरी ओर से आप सभी को शिक्षक दिवस की शुभकामनायें।‘‘
फरहाना फातिमा, ऊर्फ एण्डीवी के ‘और भई क्या चल रहा है?‘ की शांति मिश्रा कहती हैं,
‘‘सबसे पहले मैं अपने एकेडमिक और नाॅन-एकेडमिक दोनों ही टीचर्स को शुक्रिया कहना चाहती हूं, जिन्होंने मेरी जिंदगी और कॅरियर को संवारने में मेरी मदद की। इस टीचर्स डे मैं अपन गुरुओं-डाॅ. वीना सिंह और श्री सुरेंद्र सैकिया के प्रति आभार व्यक्त करना चाहती हूं। उन्होंने मुझे कथक के खूबसूरत डांस मूव्स सिखाये और साथ ही हर स्टेप या मुद्राओं के अर्थ को समझाया। उन्होंने म्यूजिक के अलग-अलग जोनर और भाव को पहचानने में मदद की, जिन्हें डांस के दौरान जरूर अभिव्यक्त करना चाहिये। आज मैं एक डांसर और परफाॅर्मर के तौर पर खुद को पूर्ण महसूस करती हूं और इसका श्रेय मैं उन्हें देना चाहूंगी’’
अमन वर्मा ऊर्फ ‘मौका-ए-वारदात‘ के अभय कुमार कहते हैं,
‘‘स्कूल में मैं बहुत होशियार स्टूडेंट नहीं रहा इस वजह से बहुत सी टीचर्स मुझे जानते नहीं थे। लेकिन मैं इसे बदलना चाहता था और इसी वजह से अपनी एक्टिंग की कला पर ध्यान देते हुए मैं मुंबई शहर आया। जब लोग मुझसे कहते थे कि मुझमें कुछ करने की काबिलियत नहीं है, तो मैं उसे चुनौती के रूप में लेता था और उससे बाहर निकलने की कोशिश करता था। मेरे पूर्वाभास ही हमेशा मेरे बेस्ट टीचर रहे हैं। दिलीप साब के अलावा मेरा कोई गुरु नहीं रहा, जो निरंतर मेरे साथ हों। मैं हमेशा ही उन्हें अपने आदर्श के रूप में देखता रहा हूं और मैं उनके काम और व्यक्तित्व का कायल हूं। मैं उनके काम को बड़ी ही बारीकी से देखता हूं और अपनी एक्टिंग स्किल को परफेक्ट करने की कोशिश करता रहता हूं। इसका ज्यादा से ज्यादा श्रेय मैं उन्हें ही देना चाहता हूं।‘‘
अक्षय म्हात्रे, एण्डटीवी के ‘घर के मंदिर-कृपा अग्रसेन महाराज की‘ के वरुण अग्रवाल कहते हैं,
‘‘मैं अपने सभी शो डायरेक्टर्स, क्रिएटिव डायरेक्टर्स, साथी कलाकारों को ‘हैप्पी टीचर्स डे‘ कहना चाहता हूं। सीखने की प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होती और आपको सीखने में जिन्होंने मदद की है, वो हैं आपके टीचर्स हैं। इस दिन मैं खासतौर से समीर खांडेकर सर और रंजीत पाटिल सर को मार्गदर्शन के लिये शुक्रिया कहना चाहता हूं। साथ ही थियेटर के शुरूआती दिनों में सपोर्ट देने के लिये मैं उनका आभारी हूं।‘‘
पवन सिंह, ऊर्फ ‘और भई क्या चल रहा है?‘ के जफर अली मिर्जा कहते हैं,
‘‘स्कूल में मैं एक शरारती बच्चा हुआ करता था और हमेशा ही प्रैंक करता था। वैसे तो कई ऐसे टीचर्स रहे हैं जिन्होंने मुझे मेरे व्यवहार के लिये मुझे डांटा है और सजा दी है, लेकिन वो स्पोट्र्स सर थे जिन्होंने मुझसे निपटना और प्यार से समझाना सीख लिया था। उन्होंने तो मेरा ही प्रैंक मेरे ऊपर आजमाया था और मुझसे पूछा, अब बताओ कैसे लग रहा है। मैं उनकी इस समझदारी भरी सीख को आज भी उतना ही मानता हूं। मैं उन्हें और बाकी सभी टीचर्स को ‘हैप्पी टीचर्स डे‘ कहना चाहता हूं!‘‘
गौरव खन्ना ऊर्फ ‘मौका-ए-वारदात‘ के गौरव सिंह राजपूत कहते हैं,
‘‘मुझे ऐसा लगता है कि भले ही हम कई सारे अनुभवी टीचर्स के संपर्क में आये हों, जिन्होंने हमें ढेर सारी नई चीजें सिखायी हों, लेकिन एक मां हमेशा ही आपकी टीचर होती है। मेरी मां हमेशा ही मेरी बेस्ट टीचर थीं और रहेंगी, वे मेरी गाइड, एक आलोचक और एक दोस्त हैं। वह मुझे सबसे अच्छी तरह समझती हैं। मेरे काम को बहुत ही ध्यान से देखती हैं और उसकी समीक्षा करती हैं। उनके मार्गदर्शन की वजह से मुझे व्यक्तिगत रूप से और साथ ही प्रोफेशनल रूप में भी बेहतर होने में मदद मिली है। इस ‘टीचर्स डे’ मैं उन्हें शुक्रिया कहना चाहता हूं कि उन्होंने मुझे एक बेहतर इंसान बनाया, थैंक्यू माॅम!‘‘
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