एण्डटीवी के ‘एक महानायक-डाॅ बी.आर. आम्बेडकर‘ के कलाकारों ने बाबासाहेब की 66वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी

हर साल 6 दिसंबर को डाॅ. बी. आर. आम्बेडकर, जिन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से पुरस्कृत किया गया था, की पुण्यतिथि को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। एक न्यायविद, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक के रूप में उनके योगदान ने कई लोगों को प्रेरित किया है और आगे भी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। उनकी 66वीं पुण्यतिथि पर, एण्डटीवी के ‘एक महानायक-डाॅ बी.आर. आम्बेडकर‘ के प्रमुख कलाकारों अथर्व (युवा आम्बेडकर), नारायणी महेश वरणे (रमाबाई) और जगन्नाथ निवानगुणे (रामजी सकपाल) ने भारतीय संविधान के प्रमुख रचयिता डाॅ. बी.आर. आम्बेडकर को याद किया। युवा भीमराव का किरदार निभा रहे अथर्व ने कहा, ‘‘डाॅ. आम्बेडकर एक नेता, शिक्षाविद् और विचारक थे। उन्होंने शिक्षा की पुरजोर वकालत की और उनका दृढ़ विश्वास था कि शिक्षा पर सभी का एकसमान अधिकार है और यह लोगों को बाधाओं को पार करने में सक्षम बना सकती है और सामाजिक बदलाव ला सकती है। शिक्षा के सुधार में बाबासाहेब ने अनगिनत योगदान दिये है। ज्ञान के प्रति उनकी ललक ने हमेशा ही मुझे प्रेरित किया है और मुझे यकीन है कि किसी के भी व्यक्तिगत विकास के लिये ज्ञान सबसे महत्वपूर्ण साधन है। डाॅ. आम्बेडकर एक मेधावी छात्र थे और उन्होंने किसी भी व्यक्ति और किसी भी चीज को अपनी खुद की शिक्षा में भी बाधक नहीं बनने दिया। एक उत्कृष्ट कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञ के रूप में, डाॅ. आम्बेडकर को भारतीय संविधान का ड्राफ्ट लिखने के लिये चुना गया था। उनकी 66वीं पुणयतिथि पर आईये उन्हें याद करें और हमारे समाज एवं राष्ट्र के लिये उनके योगदानों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करें।’’

जगन्नाथ निवानगुणे, जोकि रामजी सकपाल का किरदार निभा रहे हैं, ने कहा, ‘‘डाॅ. बी.आर. आम्बेडकर कानून के अपने व्यापक ज्ञान की बदौलत भारत के पहले कानून मंत्री बने और संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमिटी के सदस्य थे। उनका हमेशा से ही मानना था कि ज्ञान निःशुल्क और असीमित है। उनकी शिक्षा और सिद्धांत आज भी देश भर में प्रचलित हैं। इसके साथ ही, बाबासाहेब का हमेशा से विश्वास रहा है कि सफलता का कोई शाॅर्टकट नहीं होता है और कड़ी मेहनत, समर्पण एवं दृढ़निश्चय के दम पर ही कामयाबी हासिल की जा सकती है। उनकी सीखों ने मुझे बहुत ज्यादा प्रेरित किया है और कड़ी मेहनत करने एवं अपने लक्ष्यों पर ध्यान केन्द्रित करने की प्रेरणा भी मुझे उन्हीं से मिली है।‘‘ नारायणी महेश वरणे, जोकि रमाबाई का किरदार निभा रही हैं, ने कहा, ‘‘बाबासाहेब ने नारी सशक्तिकरण में उल्लेखनीय योगदान दिया है और शिक्षा, रोजगार एवं सामाजिक एवं आर्थिक अधिकारों सहित सभी क्षेत्रों में लड़के एवं लड़कियों को एकसमान अवसर देने की वकालत की। उनका दृढ़ विश्वास था कि महिलाओं को सशक्त बनाकर ही समाज की प्रगति हो सकती है। उन्होंने कई किताबें भी लिखी  और मानवाधिकारों के संरक्षण के लिये कई आंदोलन चलाये। आजादी की लड़ाई के दौरान, उन्होंने महिला उत्पीड़न के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था। उन्होंने स्वतंत्रता मिलने से काफी पहले, 100 साल से भी अधिक समय पूर्व ही गर्भवती महिलाओं के लिये मैटरनिटी बेनिफिट्स की वकालत की थी। भारत में मैटरनिटी लीव (मातृत्व अवकाश) के बारे में बात करने वाले वह पहले व्यक्ति थे और उन्होंने सबसे पहले सभी के लिये ‘एकसमान कार्य हेतु एकसमान वेतन‘ के पक्ष में आवाज बुलंद की थी। वह कई लोगों की प्रेरणा थे और आगे भी रहेंगे।‘‘

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