डॉ आम्बेडकर ने हमेशा ही शिक्षा को जिंदगी में बदलाव लाने और कई चुनौतियों पर जीत हासिल करने का अहम साधन माना था। शिक्षा की प्रगति में उनका योगदान विविधताओं से भरा है। अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर एण्डटीवी के ‘एक महानायक डॉ बी.आर. आम्बेडकर’ के युवा भीमराव आम्बेडकर (अथर्व) और रामजी सकपाल (जगन्नाथ निवानगुणेे) ने शिक्षा के बारे में बाबासाहेब के विचार तथा सामाजिक सुधार में इसकी भूमिका के बारे में बात की।
एण्डटीवी के ‘‘एक महानायक डॉ बी.आर. आम्बेडकर‘‘ शो में युवा भीमराव आम्बेडकर की भूमिका निभा रहे अथर्व कहते हैं, “बाबासाहेब हमेश कहते थे किा, मानव जाति के अस्तित्व का परम लक्ष्य मस्तिष्क का उत्कर्ष और संवर्धन होना चाहिए।” डॉ आम्बेडकर हमेशा अन्याय और असमानता के खिलाफ मजबूती से खड़े हुए। वे शिक्षा के महानतम प्रचारकों में से एक थे और उनका मानना था कि इससे लोगों को सभी सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बाधाओं से निपटने योग्य बनाया जा सकता है। अपनी शिक्षा का उपयोग उन्होंने जातीय भेदभाव और असमानता को खत्म करने के लिए किया। बाबा साहेब का जीवन और शिक्षण कई लोगों के लिए प्रेरणा रहा है। अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर आइए हम शिक्षा के महत्व और उनके इस विश्वास से संबंधित सीख को याद करें कि अकेले शिक्षा समाज में बदलाव के रास्ते बना सकती है।“ शो में रामजी सकपाल का किरदार निभा रहे जगन्नाथ निवानगुणे ने बताया कि, ”डॉ आम्बेडकर अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल करने वाले दक्षिण एशिया के प्रथम व्यक्ति थे। साथ ही अर्थशास्त्र में दो-दो डाॅक्टरेट की उपाधि हासिल करने वाले भी दक्षिण एशिया के प्रथम व्यक्ति थे। वे विदेश में अर्थशास्त्र में डाॅक्टरेट की डिग्री पाने वाले पहले भारतीय थे और अपनी पीढ़ी के लोगों में वे सबसे उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीय थे।
बाबासाहेब के पिता रामजी सकपाल ने हमेशा उनको और अपने समुदाय में रहने वाले लोगों को उनकी जिंदगी बदलने के लिए शिक्षा के महत्व के बारे में सिखाया। अपने महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी बेटे के साथ रामजी हमेशा एक शक्ति स्तंभ की तरह खड़े रहे। युवा भीमराव को उन्होंने पढ़ाया था कि सिर्फ शिक्षा के जरिए वे लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं या बदल सकते हैं। उनके मार्गदर्शन और शिक्षण का पालन करते हुए, डॉ. बी. आर आम्बेदकर ने अपनी पहचान बनाने के लिए एक ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत की। अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर, आइए हम सब बाबा साहब के शिक्षण को याद करें और देश भर में साक्षरता के महत्व का प्रसार करने के लिए अपनी तरफ से पूरी कोशिश करें।“
एण्डटीवी के ‘एक महानायक डॉ बी.आर.आम्बेडकर‘ के मौजूदा ट्रैक में केलुस्कर गुरुजी युवा भीमराव को एक कलम उपहार में देते हैं क्योंकि वे उन्हें दूसरों के लिए अनुसरण करने योग्य एक प्रेरणा के रूप में देखते हैं। गुरुजी उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखते हैं जो सुरंग के अंत में रोशनी देखने के साथ-साथ हमेशा उम्मीद और ज्ञान चाहता है, भले ही स्थिति कितनी ही चुनौतीपूर्ण क्यों न हो। युवा भीमराव केलुस्कर गुरुजी और अपनी दिवंगत माँं भीमाबाई, पिता रामजी सकपाल और गुरुजी कृष्ण केशव आम्बेडकर के प्रति आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने उन्हें जीवन के मूल्यवान पाठ पढ़ाए और सबसे चुनौतीपूर्ण स्थितियों में भी वे सभी निरंतर उनकी सहायता के लिए खड़े रहे।
अथर्व को युवा भीमराव और जगन्नाथ निवानगुणे को रामजी सकपाल के रूप में देखिए, ‘एक महानायक डॉ बी.आर. आम्बेडकर‘ में, प्रत्येक सोमवार से शुक्रवार, रात 8:30 बजे, सिर्फ एण्डटीवी पर
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