Happy Pride Month,जून महीना LGBTQ+ समुदाय के लिए होता है खाश

नई दिल्ली, Pride Month 2022: प्राइड महीना एक ऐसा समय होता है, जब ब्रांड्स से लेकर सहयोगी तक हर कोई समाज में LGBTQ+ लोगों का समर्थन और उन्हें सेलीब्रेट करने के लिए इस समय निकलते हैं और उन पर प्यार बरसाते हैं।LGBTQ+ समुदाय के लोग जिस संघर्ष और चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, वह समझ से परे है, और प्राइड मंथ का उत्सव सकारात्मक बदलाव लाने और इन चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटने के बारे में है।

LGBTQ+ प्राइड मंथ एक ऐसा आयोजन है जिसकी शुरुआत भले ही अमेरिका से हुई लेकिन अब कई देशों में इसे मनाया जाने लगा है।अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति बिल क्लिंटन ने साल 2000 में पहली बार ‘प्राइड मंथ’ की ऑफिशियल घोषणा की थी। हालांकि इसकी कहानी इससे काफी पुरानी है।

साल 1969 में जून के महीने में मैनहट्टन पुलिस ने समलैंगिक समुदाय पर छापेमारी शुरू कर दी थी। जगह-जगह पुलिस ने घुसकर मारपीट की और समलैंगिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया। यह वह समय था, जब समलैंगिक कम्यूनिटी के पास कानूनी अधिकार नहीं थे। लेकिन इसके बावजूद इस कम्यूनिटी ने पुलिस के अत्‍याचार का पूरा जवाब दिया। यह प्रतिशोध एक प्रतीक बन गया और साल 1970 में बड़े आंदोलन के रूप में सामने आया।

साल 1969 में जून के महीने में ही यह हिंसा हुई थी, जिसकी याद में हर साल जून का पूरा महीना ‘प्राइड मंथ’ को समर्पित है। इस दौरान LGBTQ+ समुदाय के उन लोगों को याद किया जाता है, जिन्‍होंने HIV या फिर हेट क्राइम की वजह अपनी जान गंवा दी। पहली बार इसे हिंसक घटना के एक साल बाद 1970 में मनाया गया था।

ट्रांस वूमेन उरोज हुसैन उर्फ सोनी ने बताया कि प्राइड मंथ के दौरान दुनियाभर में कई तरह के कार्यक्रम होते हैं। लोग सड़कों पर रैंबो कलर के झंडे लेकर निकलते हैं। कई जगह कार्निवाल भी होते हैं। इस दौरान LGBTQ+ को लेकर जागरूकता भी फैलाई जाती है।प्राइड मंथ को LGBTQ+ समुदाय के ख़िलाफ़ हो रही यातनाओं के विरोध में भी देखा जाता है। साथ ही, इस महीने का इस्तेमाल राजनैतिक तौर पर  LGBTQ+ कम्युनिटी  के बारे में सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए भी होता है। पूरे महीने  गे, लेस्बियन और ट्रांसजेंडर समूह के लोग परेड निकालते हैं। LGBTQ+  समुदाय के प्रति समर्थन ज़ाहिर करने के लिए कई संस्थाएं भी इस महीने को ज़ोर शोर से मनाती हैं।

ट्रांस वोमेन उरोज हुसैन उर्फ सोनी ने कहा कि हर दिन हमारा संघर्ष से भरा होता है हम हर रोज अपनी जिंदगी के लिए संघर्ष करते है,हमे इस समाज से कुछ नही बस एक इज्जत की नजर चाहिए। उरोज ने आगे कहा की हम जून के महीने में प्राइड मंथ हर साल जोर सोर से मनाते हैं। इस महीने में हम सब LGBTQ+ के लोग जश्न मनाते है और समाज को एक मैसेज देते है की हमको अलग न समझा जाए हम भी इंसान है।

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