रोहिताश्व गौड़ ने एण्डटीवी की कल्ट काॅमेडी ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में मनमोहन तिवारी बनकर अपनी चतुराई और खूबसूरती से दर्शकों को बहुत रोमांचित किया है। अनीता भाबी (विदिशा श्रीवास्तव) का दिल जीतने के लिये तिवारी की लगातार कोशिशें उसे एक चहेता किरदार बना चुकी हैं। लेकिन पर्दे के पीछे रोहिताश्व का सफर जुनून, दृढ़ता और कड़ी मेहनत की एक मिसाल है। इस बेबाक इंटरव्यू में उन्होंने एक मशहूर किरदार को निभाने, अपनी निजी जिन्दगी, संघर्षों और एक्टिंग से लगातार प्यार करने के बारे में बताया है।
मनमोहन तिवारी प्रशंसकों का पसंदीदा किरदार बन गया है। आपके हिसाब से उसे कौन-सी बात इतना चहेता बनाती है?
मनमोहन तिवारी की अपनी अनोखी आदतों और विरोधाभासों से भरे हुये हैं और मुझे लगता है कि यही बातें उसे इतना चहेता बनाती हैं। वह आकर्षक है, पुराने जमाने के रोमांस से सराबोर और शरारती भी है, लेकिन भीतर से वह एक आम आदमी है, जो आम आदमी के ही संघर्षों का सामना कर रहा है। अनीता भाबी का ध्यान आकर्षित करने के लिये उसका तरीका, विभूति (आसिफ शेख) के साथ उसकी अनबन और बिजनेस तथा निजी जिन्दगी के बीच उसका संतुलन उसे मनोरंजक एवं चहेता बनाता है। तिवारी जैसा कोई इंसान हर किसी की जिन्दगी में है। ऐसे लोग गलतियाँ करते हैं, लेकिन जिन्दगी की मुश्किलों का सामना दिल से और मजेदार तरीके से करते हैं।
तिवारी के लुक और मशहूर कुर्ता-पजामा स्टाइल के पीछे का राज़ क्या है?
कंफर्ट सबसे ज्यादा जरूरी चीज है! तिवारी का स्टाइल एक आम मध्यम-वर्ग के कारोबारी जैसा है- वह एकदम सिम्पल, पारंपरिक, लेकिन शानदार है। मुझे पर्दे के पीछे भी कुर्ते पहनना पसंद है। इनसे बड़ा आराम मिलता है और ये हमारी समृद्ध भारतीय संस्कृति दिखाते हैं।
आप रोजाना तिवारी के किरदार की तैयारी कैसे करते हैं?
मैं उसकी मानसिकता समझने पर ध्यान देता हूँ। तिवारी के पास आत्मविश्वास के साथ-साथ कमजोरी भी है, इसलिये मैं उसकी अभिव्यक्तियों, आवाज में उतार-चढ़ाव और बाॅडी लैंग्वेज पर ध्यान देता हूँ। इतने साल तक यह किरदार निभाने के बाद अब मुझे बड़ा नैचुरल लगता है। अब वह मेरा ही दूसरा पहलू बन गया है!
पर्दे पर ज्यादा चुनौतीपूर्ण क्या है, अनीता पर डोरे डालना या अंगूरी का सामना करना?
(हंसते हैं) दोनों में ही बराबर चुनौती मिलती है! अंगूरी की मासूमियत के कारण उसके साथ होने वाली हर बात अनूठी हो जाती है, जबकि अनीता का आधुनिक और मजबूत इच्छाशक्ति वाला व्यवहार तिवारी को उसका दीवाना बना देता है। इन दोनों के बीच संतुलन रखने से मजा बढ़ जाता है और शो दिलचस्प तथा मनोरंजक हो जाता है।
क्या असल जिन्दगी में आपकी कोई बात तिवारी जैसी है?
तिवारी से एकदम उलट, मैं किसी से फ्लर्ट नहीं करता हूँ (हंसते हैं)! लेकिन मेरे पास उसके जैसी लगन है। फिर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितनी बार अम्माजी (सोमा राठौड़) उसे डांटें या अनीता उसे नकारे, तिवारी कभी हार नहीं मानता है। ऐसी लगन मेरे भीतर भी है।
एंटरटेनमेन्ट इंडस्ट्री में अपनी पहली जाॅब के बारे में आपको क्या याद है?
मेरा पहला रोल 90 के दशक की शुरूआत में नीम के पेड़ टेलीविजन धारवाहिक में था। मैंने 1000 रूपये कमाये थे और हिमाचल प्रदेश के कालका से आकर मुंबई में पहला ब्रेक पाना मेरे लिये बहुत महत्वपूर्ण और बड़ा कदम था। इससे मुझे मुंबई में बने रहने के लिये मदद मिली और मेरा आत्मविश्वास बढ़ा कि मैं एक्टिंग में कॅरियर बनाना जारी रख सकता हूँ।
क्या एक्टिंग करना हमेशा से आपका सपना था? आपने किन चुनौतियों का सामना किया?
एक्टिंग बचपन से ही मेरा जुनून रही है, लेकिन मेरे परिवार में से किसी की इंडस्ट्री में कोई पहचान नहीं थी। इसलिये मेरा सफर चुनौतीपूर्ण हो गया। ऐसा वक्त भी आया, जब गुजारा करना मुश्किल था। लेकिन थियेटर में वक्त बिताकर मैंने अपनी जड़ें बनाई और अनुशासन सीखा। धीरे-धीरे, लेकिन निश्चित रूप से, मैंने टेलीविजन में अपने पैर जमा लिये।
अपने कॅरियर में आपको परिवार से किस तरह सहयोग मिला?
मेरी पत्नी और बेटियाँ मेरा सबसे ज्यादा उत्साह बढ़ाती हैं। संघर्ष के दौरान मेरी पत्नी ने पूरा घर संभाला और मुझे काम पर ध्यान देने दिया। मेरी बेटियाँ ईमानदारी से आलोचना करती हैं। वे अक्सर मुझे परफाॅर्मेंस पर फीडबैक देती हैं और यह मेरे लिये बहुत मायने रखता है।
रोहिताश्व गौड़ के लिये छुट्टी का एक दिन आमतौर पर कैसा होता है?
मैं अपने परिवार के साथ वक्त बिताता हूँ- हम फिल्में देखते हैं, डिनर के लिये बाहर जाते हैं या घर पर ही बातचीत करते हैं। मुझे बागबानी में भी मजा आता है, क्योंकि वह थेरैपी जैसी लगती है और आराम देती है।
प्रशंसकों के साथ होने वाली बातों के बारे में बताइये?
लोग अक्सर चिल्लाते हैं ‘‘तिवारी जी, कैसे हो?’’ या मुझे मेरे तकियाकलाम दोहराने के लिये कहते हैं। कुछ लोग अंगूरी भाबी या कच्छे बनियान के बिजनेस के बारे में भी पूछते हैं। तिवारी के लिये लोगों का प्यार देखकर दिल को बड़ा सुकून मिलता है।
‘भाबीजी घर पर हैं’ के कलाकारों के साथ काम करना कैसा लगता है?
परिवार के साथ होने जैसा लगता है। हम इतने लंबे वक्त से साथ में काम कर रहे हैं कि हमारा रिश्ता अटूट हो गया है। सेट पर हमेशा हंसी-मजाक का माहौल होता है और पर्दे पर भी हमारा रिश्ता खूबसूरत दिखता है।
मनमोहन तिवारी को पसंद करने वाले अपने प्रशंसकों के लिये कोई संदेश?
आपके इतने प्यार और सपोर्ट के लिये धन्यवाद। आपने तिवारी को घर-घर में जाना-पहचाना नाम बना दिया है और आपका मनोरंजन करना मेरा सौभाग्य है। भाबीजी घर पर हैं देखते रहिये और हंसी तथा सकारात्मकता फैलाते रहिये।