कलाकारों ने बताया संस्कृत ने कैसे उनके अभिनय को निखारा है

संस्कृत दिवस बस आने ही वाला है और कई कलाकारों का मानना है कि संस्कृत सीखने से उन्हें अपनी कला को बेहतर बनाने में मदद मिली है। एण्डटीवी के कलाकारों ने बताया कि कैसे इस भाषा ने भाषाई बारीकियों और अभिव्यक्ति की उनकी समझ को और भी गहरा बनाते हुये उनकी कलात्मक प्रस्तुति को निखारा है। इन कलाकारोंमें अमित भारद्वाज (एण्डटीवी के नये शो ‘भीमा‘  के मेवा), आशुतोष कुलकर्णी (‘अटल‘ के कृष्ण बिहारी वाजपेयी), हिमानी शिवपुरी (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कटोरी अम्मा) और रोहिताश्व गौड़ (‘भाबीजी घर पर हैं‘ के मनमोहन तिवारी) शामिल हैं। अमित भारद्वाज, जोकि ‘भीमा‘ में मेवा का किरदार अदा कर रहे हैं, ने बताया, ‘‘संस्कृत ने मेरे जीवन पर काफी गहरा प्रभाव डाला है और मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि मुझे इसके सम्पर्क में आने का मौका मिला। ऐक्टर होने के नाते संस्कृत की समझ से मुझे भारतीय पुराणों और साहित्य की बारीकियों को गहराई से समझने में मदद मिली, जिसे अक्सर अभिनय और संवादों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। इसने मेरे परफाॅर्मेंस को बेहतर बनाया है। संस्कृत ने मुझे अनुशासन, फोकस और मानसिक स्पष्टता की अहमियत भी सिखाई है। मेरा मानना है कि संस्कृत ज्ञान का खजाना है और इसे सीखकर मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई और इसके लिये इस भाषा का आभारी हूं।‘‘ आशुतोष कुलकर्णी, जोकि ‘अटल‘ में कृष्ण बिहारी वाजपेयी का किरदार निभा रहे हैं, का कहना है, ‘‘संस्कृत सिर्फ एक भाषा नहीं है, यह हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को जानने का एक जरिया है। संस्कृत पढ़ना मेरे लिये एक जीवन बदलने वाला अनुभव रहा है। इससे मुझे न सिर्फ भारतीय दर्शन और साहित्य की बारीकियों को समझने में मदद मिली, बल्कि इसने मेरे भीतर अनुशासन और गंभीर चिंतन करने की भावना भी विकसित की है। बतौर अभिनेता संस्कृत ने मेरे परफाॅर्मेंस में गहराई और वास्तविकता को प्रस्तुत करने में मेरी मदद की है, खासतौर से कृष्ण बिहारी वाजपेयी की मेरी मौजूदा भूमिका में, जहां अपने डायलाॅग्स के दौरान मुझे अक्सर संस्कृत बोलनी पड़ती है।‘‘

हिमानी शिवपुरी, जोकि ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कटोरी अम्मा के रूप में मशहूर हैं, ने कहा, ‘‘अपने गहन ज्ञान और समृद्ध विरासत के कारण संस्कृत मेरी कलात्मक यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। इस भाषा ने पारंपरिक कलाओं के प्रति मेरी समझ को बेहतर बनाया और हमारे सांस्कृतिक उद्भव के लिए प्रशंसा का भाव लाने में मदद मिली है। संस्कृत के ज्ञान ने मेरे काम को निखारा है और मुझे हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित रखने और उन्नत बनाने के लिये प्रेरित किया है। संस्कृत को अपनाना एक परिवर्तनकारी अनुभव रहा है और यह मुझे हमारी परंपराओं के सार से जोड़ती है और मेरी कला को एक नये मुकाम पर ले जाती है।‘‘ रोहिताश्व गौड़, जोकि ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में मनमोहन तिवारी का किरदार निभा रहे हैं, ने कहा, ‘‘संस्कृत हमारी संस्कृति की आत्मा है और मैं खुशकिस्मत हूं कि मैंने इसे सीखा है। इससे मुझे अपने डायलाॅग्स को सटीकता और प्रमाणिकता के साथ प्रस्तुत करने में मदद मिली है। मेरा मानना है कि संस्कृत सिर्फ एक भाषा नहीं है, बल्कि जीने का एक तरीका है। वास्तव में इसने मुझे अपनी जड़ों से जुड़ने में मदद की है।‘‘

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