बिहार के एक बेहद प्रतिभाशाली अभिनेता सानंद वर्मा, एण्डटीवी के शो ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में अनोखे लाल सक्सेना के अपने किरदार के लिये मशहूर हैं। बिहार स्थापना दिवस के मौके पर उन्होंने अपने गृहनगर बिहार की भव्यता और वैभव के बारे में बात की। उनके शो ने हाल ही में नौ सालों का शानदार सफर पूरा किया है और इसमें सानंद वर्मा के अनूठे डायलाॅग ‘‘आई लाइक इट‘‘ को बेहद पसंद किया जाता है। अपने इसी अंदाज में उन्होंने बताया कि बिहार के जीवंत इतिहास, परंपराओं, विरासत स्थलों, खान-पान, भाषा, संगीत, नृत्य और कला से जुड़ी क्या चीजों उन्हें आकर्षित करती हैं। अपने किरदार के माध्यम से वह बिहार की चटपटी जिंदगी को जीवंत कर देते हैं, जो दर्शकों को बेहद पसंद आती है।
1 क्या आप बिहार के इतिहास से जुड़े कुछ रोचक किस्से और बातें बता सकते हैं, जो आपके दिल को छूती हैं।
बिहार का इतिहास समृद्ध है, जो अपनी बौद्धिक और आध्यात्मिक अहमियत के लिए जाना जाता है। नालंदा विश्वविद्यालय, जो कभी शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था, दुनिया भर के विद्वानों को अपनी ओर आकर्षित करता था। बिहार प्रसिद्ध गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट की जन्मभूमि भी है, जिनके योगदान ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। ये प्रसिद्ध हस्तियां राज्य की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिन्होंने प्राचीन भारत के बौद्धिक परिदृश्य को आकार दिया और मानव इतिहास पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
2 बिहार में कई ऐतिहासिक स्थल हैं; क्या आपको इनमें से कहीं भी जाने का मौका मिला है? यदि हां, तो आपको उनमें से सबसे ज्यादा क्या पसंद आया और किन बातों ने उस यात्रा को यादगार बना दिया?
मैं बिहार का रहने वाला हूं और मेरी खुशनसीबी रही है कि यहां के कई ऐतिहासिक स्थलों पर घूमने का सौभाग्य मुझे मिला। इनमें से बोध गया का महाबोधि मंदिर मुझे सबसे ज्यादा पसंद आया। यह एक पवित्र स्थल है, जहां पर भगवान बुद्ध का ज्ञानोदय हुआ था। यह जगह एक शांत वातावरण और आध्यात्मिक गहराई से ओत-प्रोत है, जिसने मेरी आत्मा को अंदर से स्पर्श किया है और मुझे बिहार की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत की याद दिलाता है। इसके अतिरिक्त, मुंडेश्वरी मंदिर की भी मेरे दिल में एक खास जगह है, क्योंकि मैं भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त हूं। यह भारत का सबसे पुराना मंदिर है, जो शिव एवं शक्ति को समर्पित है। ये दोनों ही स्थान बिहार की सांस्कृतिक स्मृद्धि का प्रतीक हैं और इसके विरासत स्थलों के प्रति सम्मान का भाव जगाते हैं।
3 बिहार के कौन से व्यंजन आपको सबसे ज्यादा पसंद हैं?
बिहार अपने समृद्ध और विविधतापूर्ण व्यंजनों के लिये जाना जाता है, जो तरह-तरह के फ्लेवर्स और टेक्सचर्स को पेश करता है। बिहारी व्यंजनों में मुझे लिट्टी चोखा सबसे ज्यादा पसंद है, जिसे चने के सत्तू से बनाया जाता है और इसके साथ आलू एवं टमाटर की चटनी परोसी जाती है। यह बेहद स्वादिष्ट होती है और इसका स्वाद मुझे अपने घर की याद दिलाता है। बिहार की पाककला विरासत सिर्फ सत्तू या परवल की मिठाई तक ही सीमित नहीं है। यहां पर खाने-पीने की कई और स्वादिष्ट चीजें भी मशहूर हैं, जैसे कि चना घुघनी, दाल पीठा, खजूरिया, कढ़ी बड़ी और सत्तू शर्बत, जो अनूठे फ्लेवर्स और स्किल्स को प्रदर्शित करते हैं।
4 बिहार में भाषा के नजरिये से काफी विविधता है। क्या आपने बिहार में बोली जाने वाली भाषाओं और अपनी भाषा में किसी विभिन्नता या समानता पर गौर किया है?
मैं बिहार में पला-बढ़ा हूं और इस दौरान मुझे बिहार की अलग-अलग भाषाओं के सम्पर्क में आने का मौका मिला। इस राज्य में कई भाषायें बोली जाती हैं, जैसे कि मगही, भोजपुरी, मैथिली, अंगिका और बैजिका, जोकि मेरी मूल भाषा के साथ हमारी सांस्कृतिक जड़ों को समृद्ध बना रही हैं। इनकी जड़ों के समान होने के बावजूद, बिहार की बोलियों में एक अनूठापन होता है, जो मेरे भाषाई दायरे को बढ़ाती हैं और हमारी बहुभाषायी पहचान के साथ मेरे जुड़ाव को गहरा कर रही हैं।
5 आपकी तरह कई कलाकारों ने मनोरंजन उद्योग में अपनी एक पहचान बनाई है। आप किसे अपनी प्रेरणा मानते हैं और क्यों?
बिहार ने फिल्म इंडस्ट्री को कई प्रतिभाशाली कलाकार दिये हैं; जब उन्हें कोई सम्मान मिलता है, तो ऐसा लगता है कि यह हमारे पूरे राज्य के लिये गौरव की बात है। मैं मनोज बाजपेयी, पंकज त्रिपाठी और संजय मिश्रा को सबसे ज्यादा पसंद करता हूं। उन्होंने अपनी लगन और निष्ठा से इंडस्ट्री में जो मुकाम हासिल किया है, वह वाकई में उल्लेखनीय है। अपनी उपलब्धियों के अलावा, अपने किरदारों के माध्यम से वह जिस बिहारी बोली को प्रस्तुत करते हैं, उसने हिन्दी सिनेमा को काफी समृद्ध किया है। देश में बिहारी भाषा के अतिरिक्त कोई और दूसरी भाषा नहीं है, जो इतनी भावनात्मक गहराई और दृढ़ विश्वास के साथ दर्शकों के साथ जुड़ाव बनाती है।