फिल्म समीक्षा : हम दो हमारे दो

फिल्म ‘हम दो हमारे दो’ की कहानी ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्मों जैसी है और इसका निर्देशन डेविड धवन की फिल्मों के जैसा। इसके निर्देशक अभिषेक जैन इसी उलझन में आखिर तक फंसे रहे कि आखिर उनको किस निर्देशक की कॉपी बनना है क्योंकि फिल्म में ओरीजनल जैसा कुछ है नहीं। शादी के लिए नकली माता पिता लाने का किस्सा घिस चुका है। कॉमिक बुक हीरो ध्रुव के नाम पर अपना नाम रखने वाला कहानी का नायक भी हर फ्रेम में इतना मेकअप किए रहता है कि लगता ही नहीं वह हमारे आसपास ही कहीं रहता है।

कहानी में नायक नायिका में प्रेम होने से पहले की गलतफहमियां हैं। प्रेम का थोड़ा सा लीक से इतर इजहार है। इकरार है। लेकिन, इसरार इस बात का है कि नायिका को शादी ऐसे घर में करनी है जिसमें फैमिली हो और एक प्यारा सा कुत्ता भी हो। लेकिन नायक आसान काम यानी कि कुत्ता ढूंढने से पहले मुश्किल का यानी कि माता पिता ढूंढने का शुरू करता है। और बाकी की फिल्म चुटकुलों और जबर्दस्ती हास्य पैदा करने की कोशिशों में खर्च हो जाती है।

निर्माता दिनेश विजन की इस साल की ये आखिरी फिल्म है। ‘रुही’ सिनेमाघरों में रिलीज हुई। एक शानदार फिल्म ‘मिमी’ उन्होंने नेटफ्लिक्स को दी। डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर को वह इससे पहले ‘शिद्दत’ दे चुके हैं और ‘हम दो हमारे दो’ यूं लगता है कि जैसे इस ओटीटी को पैकेज डील में मिल गई है। ‘फिल्म हम दो हमारे दो’ में ऐसा कुछ नहीं है कि दर्शक इसमें शुरू से आखिर तक दिलचस्पी बनाए रखें। परेश रावल का अभिनय अब एक ऐसे ढर्रे पर आ चुका है कि दर्शक उनके अभिनय शुरू करने से पहले ही जान जाता है कि उनके हाव भाव क्या होने वाले हैं। रत्ना पाठक से काफी उम्मीदें फिल्म में रहीं लेकिन उन्होंने भी निराश किया। इस मामले में मनु ऋषि चड्ढा का अभिनय तालियां बजाने लायक जरूर रहा।

निर्माता दिनेश विजन

निर्देशक अभिषेक जैन

कलाकार राजकुमार राव , परेश रावल , कृति सेनन , रत्ना पाठक और अपारशक्ति खुराना

रेटिंग 2.5/5

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