फिल्म ‘सत्यमेव जयते 2’ एक तरह से मनमोहन देसाई को उनकी श्रद्धांजलि है। ये एक ऐसी फिल्म है जिसमें पटकथा की तमाम गलतियां इसके नायक के शोर में गुम हो जाती हैं। फिल्म ‘सत्यमेव जयते 2’ एक ऐसी विधानसभा से शुरू होती है जहां सदन के नेता की मौजूदगी के बगैर ही एक अहम विधेयक प्रस्तुत कर दिया जाता है। बिना किसी बहस के वोटिंग होती है। बहस के बाद विधेयक प्रस्तुत करने वाले गृहमंत्री को बाद में दो मिनट बोलने को मिलते हैं। कानून बनवा पाने में नाकाम गृहमंत्री…
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