रंगों के उत्सव होली का जश्न देश भर में पूरे जोश एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है। और सबसे दिलचस्प बात यह है कि भारत के हर राज्य में इस त्योहार को मनाने का तरीका बिल्कुल ही अलग और अनूठा है, जिसमें विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का एक बेहद ही खूबसूरत संगम नजर आता है। खुशियों के हर रंग एण्डटीवी के संग के त्योहारी उत्साह के साथ एण्डटीवी के कलाकारों ने बताया कि उनके अपने शहर में इस त्योहार को किस तरह से मनाया जाता है और वहां की सबसे खास बात क्या है। इन कलाकारों में शामिल हैं- बनारस की गोरी मेम विदिशा श्रीवास्तव (अनीता भाबी, भाबीजी घर पर हंै), कोलकाता की बंगाली ब्यूटी मौली गांगुली (महासती अनुसुइया, बाल शिव), दिल्ली के निवासी पवन सिंह (जफर अली मिर्जा, और भई क्या चल रहा है?), इंदौरी बाला कामना पाठक (राजेश, हप्पू की उलटन पलटन), राजस्थान के रहने वाले कपिल निर्मल (ताड़कासुर, बाल शिव), मुंबईकर अकांशा शर्मा (सकीना मिर्जा, और भई क्या चल रहा है), बिहारी बाबू सानंद वर्मा (अनोखे लाल सक्सेना, भाबीजी घर पर हैं), पंजाबी कुड़ी चारूल मलिक (रूसा, हप्पू की उलटन पलटन) और गुजरात की रहने वाली सोमा राठौड़ (अम्माजी, भाबीजी घर पर हैं)।
उत्तर प्रदेश में होली के उत्सव के बारे में बताते हुये विदिशा श्रीवास्तव, जिन्होंने हाल ही में नई अनीता भाबी के रूप में एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर है‘ में एंट्री की है, ने कहा, ‘‘होली उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और यहां पर इसका जश्न राधा एवं कृष्ण की अलौकिक जोड़ी के प्रेम से जुड़ी पौराणिक कथाओं में निहित परंपराओं के आधार पर मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों में होली अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है। मथुरा में राधा रानी मंदिर के परिसर में अपनी तरह की एक अनूठी ‘लट्ठ मार होली‘ खेली जाती है। इस होली को देखने के लिये हजारों लोग आते हैं, जिसमें महिलायें इस त्योहार के उन्माद में डूबकर पुरूषों पर लाठियां बरसाती हैं और इस दौरान होली के मशहूर गीत गाये जाते हैं, एवं श्री राधे व श्री कृष्ण की जयकार लगाई जाती है। कानपुर में होली का त्योहार सात दिनों तक चला है और रंगों से सराबोर रहता है। होली उत्सव के आखिरी दिन गंगा मेला या होली मेला के नाम से बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है। ‘शिव की नगरी‘ के रूप में लोकप्रिय वाराणसी में होली की शुरूआत होलिका दहन (बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिये जलाई जाने वाली होली) के साथ होती है और गंगा घाट होली के खूबसूरत रंगों से भर जाते हैं। लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर होली का जश्न मनाते हैं और गुझिया के साथ ठंडाई के स्वाद का आनंद उठाते हैं। इस पूरे त्योहार को इतनी भव्यता एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है कि कोई भी इसका आनंद उठाने से खुद को रोक नहीं पाता। मैं सभी दर्शकों एवं प्रशंसकों को होली की शुभकामनायें देना चाहूंगी। भगवान करे कि आप सभी का जीवन खुशी, स्वास्थ्य एवं आनंद से भरपूर हो।‘‘
मौली गांगुली, जोकि एण्डटीवी के ‘बाल शिव‘ में महासती अनुसुइया का किरदार निभा रही हैं, ने कहा, ‘‘मेरे शहर कोलकाता में, हम डोल यात्रा या डोल पूर्णिमा का जश्न मनाते हैं, जोकि होली की तरह ही है और लोग और भी ज्यादा पारंपरिक तरीके से इसका जश्न मनाते हैं। यह उत्सव दो दिनों तक चलता है, जबकि पूरे देश में होली सिर्फ एक ही दिन की होती है। डोल जतरा अपने त्योहारी रंगों के लिये मशहूर है और भगवान कृष्ण एवं राधा के शाश्वत प्रेम का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान यदि आप कोलकाता की सड़कों से गुजरते हैं, तो गुलमोहर एवं पलाश के फूलों से लदे पेड़ों को देखकर अपने आप दिल खुश हो जायेगा। डोल परंपरा की शुरूआत बसंत उत्सव का जश्न मनाने के लिये शांतिनिकेतन जाने की योजना बनाने वाले बड़े-बुजुर्गों के पांवों पर अबीर रखने के साथ होती है। आमतौर पर मुझे होली के दौरान परोसे जाने वाले मिष्टी पुलाव और गुझिया बहुत ज्यादा पसंद हैं। इस बार मैं होली का जश्न नहीं मना पाऊंगी, लेकिन कुछ मिठाईयां बनाने की कोशिश कर इस उत्सव में मिठास घोलने की कोशिश जरूर करूंगी। मेरी तरफ से सभी लोगों को होली की शुभकामनायें!‘‘
एण्डटीवी के ‘और भई क्या चल रहा है?‘ में जफर अली मिर्जा का किरदार निभा रहे पवन सिंह ने कहा, ‘‘मेट्रो शहर होने के कारण हमें दिल्ली में विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का संगम देखने को मिलता है। होली के जश्न की शुरूआत आमतौर पर ‘तिलक‘ की परम्परा के साथ होती है, जिसमें व्यक्ति के माथे पर लगाया गया रंगों का टीका सम्मान का प्रतीक है और आत्मविश्वास को दर्शाता है। होली की पूर्वसंध्या पर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिये शहर के प्रमुख केन्द्रों पर होलिका जलाई जाती है। दिल्लीवासी दिन भर गाने बजाकर होली मनाते हैं और ‘म्यूजिकल होली‘ मनाने में विश्वास रखते हैं। दिल्ली में होली के दौरान बड़ी-बड़ी पार्टियां होती हैं, जब लोग टोलियां बनाकर अपने घरों से निकलते हैं और एक-दूसरे के चेहरे पर तब तक रंग लगाते हैं, जब तक कि उन्हें पहचानना मुश्किल न हो जाये। रेजिडेंशियल काॅलोनियों में रंगों का यह त्योहार अपने चरम पर होता है, क्योंकि आमतौर पर लोगों का अपने परिवार वालों के साथ आम दिनों में अपने पड़ोसियों तक से मिलना नहीं हो पाता। दिल्ली में होली मनाने का अपना एक अलग ही मजा है और इस साल मैं होली पर दिल्ली जाने और मौज-मस्ती के साथ इस त्योहार का जश्न मनाने की पूरी कोशिश करूंगा। मेरी ओर से सभी लोगों को सुखद एवं सुरक्षित होली की शुभकामनायें!‘‘
कामना पाठक, जोकि एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में राजेश की भूमिका निभा रही हैं, ने कहा, ‘‘मध्य प्रदेश में कई त्योहार मनाये जाते हैं और यहां पर होली का जश्न दो दिनों तक चलता है। पहले दिन अलग-अलग मंदिरों द्वारा होलिका दहन का आयोजन किया जाता है। दूसरे दिन, होली की असली हुड़दंग शुरू होती है, क्योंकि लोग सर्दियों के मौसम को विदाई देते हैं और एक-दूसरे को रंगों से सराबोर करके नये मौसम का स्वागत करते हैं तथा गुझिया एवं लड्डू जैसी मिठाइयों का एकसाथ बैठकर आनंद उठाते हैं। नाच, गाना और ढोल की पारंपरिक धुन इस अवसर को और भी खुशनुमा बना देती है। होली के पांच दिनों के बाद, राज्य के जनजातीय समुदाय द्वारा रंग पंचमी का जश्न मनाया जाता है। मुझे अपना गृहनगर बहुत पसंद है और मध्य प्रदेश के अपने दोस्तों एवं परिवारवालों के साथ मुझे होली का त्योहार मनाना अच्छा लगता है।‘‘
कपिल निर्मल, जोकि एण्डटीवी के ‘बाल शिव‘ में ताड़कासुर का किरदार निभा रहे हैं, ने कहा, ‘‘राजस्थान की होली दूसरे राज्यों से थोड़ी अलग है। रंगों से होली खेलने के अलावा, होली से जुड़े रीति-रिवाज राजस्थान में इस त्योहार के आकर्षण को और भी ज्यादा बढ़ा देते हैं। यहां पर आप भांग, ठंडाई या होली के ढेरों पारंपरिक पकवानों जैसे कि पनीर लौंगगट्टा, मिर्ची पापड़, केर सांगरी, गट्टे की सब्जी और पकौड़ा कढ़ी का आनंद उठा सकते हैं। आपकी स्वादेंद्रियों को तृप्त करने के लिये यहां पर ऐसे ढेरों पकवान होली के मौके पर खासतौर से बनाये जाते हैं। लेकिन असल में सदियों से चली आ रही कहानियां, रिवाज और परंपरायें राजस्थान की होली को खास बनाते हैं। अलग-अलग शहरों में होली के अलग-अलग भव्य कार्यक्रमों का आयोजन होता है, जैसे कि माली होली, गैर होली, धुलंडी होली और डोलची होली, जोकि भव्य और शाही समारोह हैं। राजस्थान को यहां के राजसी ठाट-बाट के लिये जाना जाता है और यहां पर परिधानों से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक होली का पूरा अनुभव ही भव्य और रोमांचक होता है। मैं सभी लोगों को होली की शुभकामनायें देना चाहूंगा और मेरी कामना है कि होली का त्योहार आप सभी की जिंदगी में खुशियां और आनंद लेकर आये।‘‘
एण्डटीवी के ‘और भई क्या चल रहा है?‘ में सकीना मिर्जा का किरदार निभा रहीं अकांशा शर्मा ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में होली का त्योहार पूरे जोर-शोर से मनाया जाता है। हमारे राज्य में बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक स्वरूप होलिका को जलाने की परम्परा है। इसके अगले दिन फाल्गुन कृष्णपक्ष पंचमी होती है और इसे ‘‘रंगपंचमी‘‘ भी कहा जाता है। होली खेलते समय गुलाल और पानी में घुले रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। मछुराओं के बीच यह त्योहार बेहद मशहूर है, क्योंकि वे नाच-गाकर और भगवान को प्रसाद के रूप में अर्पित करने के लिये ढेरों पकवान बनाकर होली का उत्सव मनाते हैं। ‘पूरन पोली‘ होली के दौरान बनने वाला सबसे मशहूर व्यंजन है। यह एक मीठा पराठा होता है, जिसमें चने की दाल एवं गुड़ से बना एक खास मिश्रण भरा जाता है और यह मुझे बहुत पसंद है। यदि मुंबई शहर की बात करें, तो होली के दिन यह शहर और भी ज्यादा खुशनुमा और रंगीन नजर आता है। इस दिन मुंबई में कई सेलीब्रिटी होली पार्टियां रखी जाती हैं, जिसमें लोगों को अपने पसंदीदा कलाकारों के साथ होली मनाने का मौका मिलता है। होली का त्योहार मेरे दिल को खुशियों से भर देता है। मेरी ओर से सभी लोगों को होली की हार्दिक शुभकामनायें!‘‘
चारूल मलिक, जोकि एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में रूसा का किरदार निभा रही हैं, ने कहा, ‘‘हम पंजाबी होली को हमारे अपने स्टाइल में मनाने के लिये मशहूर हैं। पंजाब में, इसे ‘होला मोहल्ला‘ कहा जाता है, जिसमें लोग दिल खोलकर चिल्लाते हैं और अनूठी परंपरा का पालन करते हैं। इसके साथ एक मार्शल आर्ट्स का शो भी होता है, जिसमें रंगों के साथ एक विशेष प्रकार की कुश्ती खेली जाती है। होली के मौके पर लोग आमतौर पर मुंह में पानी भर देने वाले जो पकवान बनाते हैं, उनमें हलवा-पूरी, गुझिया, मालपुए और कच्चे कटहल से बने व्यंजन शामिल हैं। होली वसंत के आगमन का पैगाम लेकर आता है और सर्दियों की विदाई के साथ आने वाला यह हल्की गरमाहट वाला खुशनुमा दिन सभी लोगों से होली के जश्न में सराबोर होने का आग्रह करता है। दिन में रंगों के साथ खेलने और ढ़ोल की धुनों पर दिल खोलकर नाचने के बाद शाम का समय होता है आराम से बैठने और मजेदार कहानियां सुनने एवं सुनाने का। होली का त्योहार मनाकर मुझे हमेशा ही बहुत ज्यादा खुशी मिलती है। मेरी तरफ से आप सभी को होली की ढेर सारी शुभकामनायें।‘‘
सानंद वर्मा, जोकि एण्डटीवी ‘भाबीजी घर पर है‘ में अनोखे लाल सक्सेना का किरदार अदा कर रहे हैं, ने कहा, ‘‘बिहार में होली का त्योहार सबसे अनोखा और भव्य होता है। हम सभी जानते हैं कि बिहार के होली के लोकगीत पूरे भारत में मशहूर हैं। यहां पर लोग होली को ‘‘फाल्गुन‘‘ कहते हैं। फाल्गुन पूर्णिमा की शाम को लोग होलिका दहन करते हैं और मान्यता है कि ऐसा करने से उन्हें सारी समस्यओं एवं बुरी शक्तियों से छुटकारा मिल जाता है। वे सरसों के दानों और तेल से बने उबटन को अपने शरीर पर लगाते हैं और उससे स्क्रब करते हैं। शरीर से इस उबटन को छुड़ाने के बाद उसे होलिका की अग्नि में डाल दिया जाता है, और ऐसा कहा जाता है कि इससे आपके शरीर की सारी बीमारियां होली की अग्नि में जलकर नष्ट हो जाती हैं। लोगों का मानना है कि होली के दिन एक-दूसरे को रंग लगाकर हमें आपसी बैर और दुश्मनी को भुलाकर दोस्ती के एक नये रिश्ते की शुरूआत करनी चाहिये। होली रंगों, पानी और पानी वाले गुब्बारों तथा लोकगीतों के साथ मनाई जाती है। आमतौर पर होली का त्योहार दो दिनों तक मनाया जाता है, ताकि हम ज्यादा समय तक इस उत्सव का आनंद उठा पायें। बिहार में होली के मौके पर हर घर में तरह-तरह के पकवान जैसे कि दही भल्ले, मालपुआ और कचैड़ी बनाई जाती है। इसके अलावा लोग दूसरी मिठाईयों का आनंद उठाने के साथ ही भांग या ठंडाई भी पीते हैं। मुझे अपने गृहनगर में होली का त्योहार मनाना बहुत अच्छा लगता है और मैं त्योहारों पर अपने घर जाने की पूरी कोशिश करता हूं। आप सभी को मेरी तरफ से सुखद एवं सुरक्षित होली की शुभकामनायें।‘‘
एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में अम्माजी का किरदार निभा रहीं सोमा राठौड़ ने कहा, ‘‘गुजरात में, होली दो दिनों की होती है। पहले दिन शाम को लोग होलिका जलाते हैं और उसमें नारियल एवं मक्का डालते हैं। होली के दूसरे दिन को धुलेती कहा जाता है, जिसका मतलब है रंगों का त्योहार और इस दौरान लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और उन पर रंगीन पानी फेंकते हैं। गुजरात के मशहूर तटीय शहर द्वारका में द्वारकाधीश मंदिर में संगीतमय समारोहों एवं काॅमेडी से भरपूर कार्यक्रमों के साथ होली का जश्न मनाया जाता है। अहमदाबाद में, गलियों में मटके में भरपूर छाछ ऊंचाई पर लटकाई जाती है और नौजवान मानवीय पिरामिड बनाकर उस मटके तक पहुंचकर उसे तोड़ने की कोशिश करते हैं, जबकि लड़कियां उन पर रंगीन पानी की बरसात कर उन्हें ऐसा करने से रोकने की कोशिश करती हैं। हालांकि, कई जगहों पर संयुक्त हिन्दू परिवारों में महिलाओं द्वारा अपने देवरों को अपनी साड़ी की रस्सी बनाकर पीटने का रिवाज है और यह सब एक नकली गुस्से में किया जाता है, जब अपनी भाभियों को रंग लगाने की कोशिश करते हैं और फिर शाम को उनके लिये मिठाईयां भी लेकर आते हैं। इस त्योहार को पूरे जोश एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है और मुझे यह बहुत पसंद है।‘‘