शहज़ाद अहमद
यह फिल्म मौजूदा समय में बेहद प्रासंगिक है
जैसे-जैसे नावेल कोरोनावायरस के विरुद्ध लड़ाई तेज हो रही है, इसका प्रसार रोकने के लिए दुनिया भर में करोड़ों लोग स्वैच्छिक अलगाव की अवधि का सामना कर रहे हैं। ऐसे में सोनी बीबीसी अर्थ अपनी विशेष पहल के हिस्से के रूप में भारत में एक महत्वपूर्ण डाक्यूमेंट्री फिल्म ‘कोरोनावायरस : हाउ टू आइसोलेट योरसेल्फ’ प्रस्तुत करने जा रहा है। डॉ। जैंड वान तुलेकेन और मनोवैज्ञानिक किम्बर्ली विल्सन द्वारा प्रस्तुत 1 घंटे की यह फीचर एक व्यावहारिक और इस वैश्विक महामारी के बारे में ज़रूरी बातों की वन-स्टेप गाइड है और इसमें उपयोगी एवं विश्वसनीय नुस्खों एवं सुझावों का खजाना है।जैंड वान तुलेकेन यूनाइटेड किंगडम के जेनरल मेडिकल कौंसिल में पंजीकृत डॉक्टर और विख्यात प्रेजेंटर हैं। मौजूदा हालत को समझने के लिए उनहोंने अग्रणी विशेषज्ञों से मुलाक़ात की जिन्होंने बताया की कोरोनावायरस से इस लड़ाई में क्यों सेल्फ-आइसोलेशन (स्वच्छिक अलगाव) सबसे अधिक ज़रूरी है और लोगों के सेल्फ-आइसोलेशन की वास्तविक चुनौतियों का पता लगाया है। इस डाक्यूमेंट्री फिल्म में किम्बर्ली पर भी फोकस किया गया है जो सेल्फ-आइसोलेशन से उत्पन्न मनोवैज्ञानिक चुनैतियों की गहरी जानकारी दे रहे हैं। वे चिंता को संभालने के बारे में बताते हैं और सेल्फ-आइसोलेशन के दौरान हर किसी के अपनाने योग्य अनिवार्य सलाह देते हैं।कोरोनावायरस एक गंभीर चिंता का विषय है और इससे उबरने में काफी समय लगेगा। ऐसे में समझने की ज़रूरी चीज यह है कि हर व्यक्ति सेल्फ-आइसोलेशन में रहकर इसे कम करने में भूमिका निभा सकता है। इसके अलावा, हर किसी के लिए इतनी अधिक जानकारियाँ सुलभ हैं कि उनसे भ्रम और विरोधाभास पैदा हो सकता है, लेकिन यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि ठीक वायरस के तरह ही गलत जानकारी भी संक्रामक होती है। इसलिए सोनी बीबीसी अर्थ वर्तमान समय के लिए सबसे ज़रूरी डॉक्यु-फिल्म ‘कोरोनावायरस : हाउ टू आइसोलेट योरसेल्फ’ का प्रीमियर शो दिखाने जा रहा है।
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