फिल्म ‘सत्यमेव जयते 2’ एक तरह से मनमोहन देसाई को उनकी श्रद्धांजलि है। ये एक ऐसी फिल्म है जिसमें पटकथा की तमाम गलतियां इसके नायक के शोर में गुम हो जाती हैं।
फिल्म ‘सत्यमेव जयते 2’ एक ऐसी विधानसभा से शुरू होती है जहां सदन के नेता की मौजूदगी के बगैर ही एक अहम विधेयक प्रस्तुत कर दिया जाता है। बिना किसी बहस के वोटिंग होती है। बहस के बाद विधेयक प्रस्तुत करने वाले गृहमंत्री को बाद में दो मिनट बोलने को मिलते हैं। कानून बनवा पाने में नाकाम गृहमंत्री इसके बावजूद तुकांत कविता जैसे संवादों में भ्रष्टाचार को अपने बूते मिटाने का संकल्प लेता है। गुनहगारों के कत्ल होने शुरू होते हैं। और, सरकार को उस पुलिस अफसर को बुलाना होता है जिसके काम करने का तरीका आम पुलिस वालों से बिल्कुल अलग है। ये गृहमंत्री का छोटा भाई भी है। पता चलता है कि दोनों के पिता 25 साल पहले लोकपाल बिल को लेकर चली लंबी लड़ाई के दौरान मारे गए थे। उनकी आदमकद प्रतिमा अब विधानसभा के सामने लगी है। यहां एक लाचार मां है। बिलखते, लड़ते झगड़ते बच्चे हैं। बस एक बिंदास नायिका की बजाय मिलाप ने यहां उसे एक जिम्मेदार और संस्कारी पत्नी बना दिया है। फिल्म में दिल्ली, हैदराबाद और उन्नाव में हुई बलात्कार की घटनाओं के संदर्भ हैं। किसान की हालत पर भी कैमरा घूमता है। और, फिल्म यहां वहां से भटकती हुई आखिर में बुराई पर अच्छाई की जीत की अपनी तयशुदा मंजिल पर पहुंचकर खत्म हो जाती है।
कलाकार – जॉन अब्राहम , दिव्या खोसला कुमार , हर्ष छाया , गौतमी कपूर , जाकिर हुसैन , दया शंकर पांडे और अनूप सोनी
लेखक – मिलाप मिलन जवेरी
निर्देशक – मिलाप मिलन जवेरी
रेटिंग 3.5 /5
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