संस्कृत हमारी विरासत है और उसे संभालना हमारा फर्ज़ है

विश्व संस्कृत दिवस प्राचीन भारत के शैक्षणिक वर्ष के रूप में मनाया जाता है। पुराने जमाने में इसी दिन से विद्यार्थी गुरूकुलों में वेदों का अध्ययन शुरू करते थे। इस महत्वपूर्ण दिन को मनाते हुये एण्डटीवी के कलाकारों ने संस्कृत की सांस्कृतिक अहमियत और भारतीय संस्कृति में यह कितना महत्वपूर्ण है, इस बारे में बात की। इन कलाकारों में शामिल हैं- सिद्धार्थ अरोड़ा (‘बाल शिव‘ के महादेव), हिमानी शिवपुरी (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कटोरी अम्मा) और विजय कुमार सिंह (‘भाबीजी घर पर हैं‘ के मास्टर भूप सिंह)।

सिद्धार्थ अरोड़ा ऊर्फ एण्डटीवी के ‘बाल शिव‘ के महादेव ने कहा, ‘‘संस्कृत प्राचीन भाषाओं में से एक है, जिसका इस्तेमाल विभिन्न धर्मों में व्यापक रूप से किया जाता था। यह प्राचीन भारत द्वारा विश्व को दिया जाने वाला एक बेहतरीन खजाना है। मैंने स्कूल में संस्कृत की पढ़ाई की थी, जिससे मुझे इन पर अच्छा नियंत्रण पाने में मदद मिली। पौराणिक शोज में, ज्यादातर डायलाॅग्स संस्कृत में होते हैं और यदि आपको संस्कृत अच्छे से आती है, तो आप इन संवादों को बेहतर तरीके से बयां कर पाते हैं। मेरे लिये संस्कृत भाषा और साहित्य एक सागर की तरह है, जिसमें ज्ञान के कई मोती हैं। हमें इस भाषा को प्राचीन इतिहास और विरासत के एक अभिन्न हिस्से के रूप में संरक्षित करना चाहिये।‘‘

हिमानी शिवपुरी, जोकि एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कटोरी अम्मा की भूमिका निभा रही हैं, ने कहा,‘‘संस्कृत के साथ मेरा एक मजबूत नाता रहा है। मेरे पापा दून स्कूल, जोकि भारत की प्रमुख यूनिवर्सिटीज में से एक है, में संस्कृत और हिन्दी सिखाया करते थे। हालांकि, यह लड़कों का स्कूल था, लेकिन चूंकि, मैं एक टीचर की बेटी थी, इसलिये मुझे वहां पर जाने की इजाजत थी। संस्कृत शब्द के साथ मेरा आकर्षण उस समय शुरू हुआ, जब मैंने अपने पापा को, जोकि एक राइटर भी थे, मां को ‘मातृ‘ बोलकर पुकारते देखा, यह एक ऐसा शब्द है, जो लगभग सभी प्रमुख भाषाओं में मौजूद है। मेरे पापा को भाषाओं पर अच्छी पकड़ थी और उन्होंने सुनिश्चित किया कि हम भी हमारी प्राचीन भाषाओं में निपुण हों। संस्कृत को एक ऐसी भाषा के रूप में पहचान मिली हुई है, जिसमें विश्व के शुरूआती साहित्य लिखे गये हैं। इसने भाषा की इंडो-यूरोपीयन फैमिली की प्राचीन शाखाओं के रूप में अपनी पहचान बनाई है। आधुनिक उत्तर भारतीय भाषाओं की उत्पत्ति इसी से हुई है और यहां तक कि दक्षिण भारतीय भाषाओ में भी संस्कृत के कई शब्द इस्तेमाल होते हैं। लेकिन समय के साथ शैक्षणिक रूप से ऐसा लगता है कि यह भाषा अपना आकर्षण खो रही है और इस प्राचीन खजाने को बचाने के लिये हमें अपनी ओर से थोड़ा प्रयास तो जरूर करना चाहिये।‘‘

विजय कुमार सिंह, जोकि एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में मास्टर भूप सिंह का किरदार निभा रहे हैं, ने कहा, ‘‘पढ़ाई के दौरान मैंने लगभग चार साल तक संस्कृत का अध्ययन किया है। यही कारण है कि मैं आसानी से संस्कृत पढ़-लिख सकता हूं। ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में मैं अक्सर ‘तुम्हारे अंदर संस्कार नाम की चीज नहीं है‘ तकियाकलाम का इस्तेमाल करता हूं, जिसे दर्शक बहुत पसंद करते हैं और इन दिनों यह कई लोगों का मशहूर डायलाॅग बन गया है। इस कथन में ‘संस्कार‘ शब्द भी संस्कृत के संसकारा से लिया गया है। कालिदास मेघदूतम मेरे एक पसंदीदा कवि हैं, जिन्होंने संस्कृत में अपनी कवितायें लिखी हैं। मुझे यह जानकार आश्चर्य होता है कि इतने सालों के बाद भी संस्कृत व्याकरण में किसी दूसरी पश्चिमी भाषाओं की तरह कोई संशोधन नहीं हुआ है। यह संस्कृत भाषा की शक्ति को दर्शाता है और मुझे लगता है कि यह हमेशा ऐसा ही बना रहेगा।‘‘

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