26 नवंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को स्वीकृत किया, और 26 जनवरी, 1950 से यह प्रभाव में आया। हर साल, हमारा देश 26 नवंबर को भारत के संविधान को स्वीकृत किए जाने के दिवस के रूप में मनाता है। ‘संविधान दिवस‘ के मौके पर इस साल, एण्डटीवी के ‘एक महानायक डाॅ बी.आर.आम्बेडकर‘ के लीड कलाकारों, अथर्व (युवा आम्बेडकर), नारायणी महेश वरणे (रमाबाई) और रामजी सकपाल (जगन्नाथ निवानगुने) ने भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता, डाॅ. बी.आर. आम्बेडकर को याद किया और समाज में उनके अत्यधिक योगदान के बारे में चर्चा की। इस शो में युवा भीमराव की भूमिका निभा रहे, अथर्व ने कहा, ‘‘डाॅ.बी.आर.आम्बेडकर को भारतीय संविधान का निर्माता माना जाता है। अगस्त, 1947 में एक विद्वान के रूप में उनकी ख्याति की वजह से वे भारत के पहले कानून मंत्री बने और इसके बाद संविधान का मसौदा तैयार करने के लिये समिति के अध्यक्ष। भारतीय संविधान के निर्माता, डाॅ.बी.आर.आम्बेडकर एक दूरदर्शी थे, जिनकी जगह कोई और नहीं ले सकता। उनका मानना था कि केवल ‘‘एक देश, एक संविधान‘‘ की एकीकृत सोच से भारत में राष्ट्रीय एकता और स्थिरता आ सकती है। उन्होंने संविधान को लिखने के दौरान धार्मिकता, जेंडर और जाति समानता पर जोर दिया। देश की एकता को बनाए रखने के लिये, उनका मानना था कि वर्ग विभेद को खत्म करना और एकसमान अवसर की बात करना, बेहद जरूरी है।
रामजी सकपाल की भूमिका निभा रहे, जगन्नाथ निवानगुने कहते हैं, ‘‘डाॅ. आम्बेडकर, सही मायने में एक सर्वश्रेष्ठ लीडर थे। उनके कार्य ने सारे भारतीयों के जीवन को प्रभावित किया है। उनके व्यापक ज्ञान और सोच की वजह से वे संविधान सभा के एक सदस्य चुने गए, पहले कानून मंत्री बने और मसौदा तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष बने। इस बात पर उनका पक्का विश्वास था कि सामाजिक एकता और राष्ट्रीय एकजुटता, बिना सामाजिक न्याय के हासिल नहीं की जा सकती। उन्होंने सामाजिक लोकतंत्र का प्रचार किया। डाॅ. आम्बेडकर ने आजादी, समानता और भाईचारे पर आधारित हमारे समाज की परिकल्पना की। कई लोगों के जीवन को प्रभावित करने के लिये सामाजिक और आर्थिक सुधार लाने के लिये काफी दूरदर्शिता और विश्वास की जरूरत होती है। कुछ अन्य लीडर्स भी देश को इसी प्रकार से एकजुट कर सकते थे,जिस तरह से बाबासाहेब ने किया।‘‘ रमाबाई का किरदार निभा रहीं, नारायणी महेश वरणे कहती हैं,‘‘डाॅ. बी.आर. आम्बेडकर ने एक देश और एक संविधान की छत्रछाया में लााखों भारतीयों को लाकर भारत को एकजुट करने की नींव रखी। आज भी, देशभर में भारतीय उनकी सीख और दर्शन का अनुसरण करते हैं। अपने पूरे जीवनकाल में, बाबासाहेब ने भारत में महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ी और उनकी सुरक्षा तथा बचाव सुनिश्चित करने के लिये कई सारी नीतियां लागू कीं। उन्होंने हर क्षेत्र में भारतीयों की उच्च भागीदारी की कल्पना की और कानूनी रूप से तलाक लेने तथा अपनी संपत्ति का मालिकाना हक पाने का रास्ता तैयार किया। उन्होंने हिन्दू विवाह अधिनियम, हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, संरक्षकता अधिनियम और हिन्दू कोड बिल, पास कर महिला अधिकारों को आवाज दी। उन्होंने महिलाओं को पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर चलने के लिये प्रेरित किया।