स्मार्टफोन्स आज के जमाने में हमारी जिन्दगी का अटूट हिस्सा बन चुके हैं और हमारे रोजमर्रा के कामों में उनकी जरूरी भूमिका है। ऐसे में ज्यादातर लोगों का मानना है कि अब स्मार्टफोन्स के बिना उनका काम ही नहीं चल सकता। लेकिन हाथ में रखे जाने वाले इन डिवाइसेस पर काफी निर्भरता के बीच, जाने-माने एक्टर आसिफ शेख एक अपवाद बने हुए हैं। एण्डटीवी के बेहद लोकप्रिय शो ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में अपने मशहूर किरदार विभूति नारायण मिश्रा के लिये प्रसिद्ध शेख फोन के लगातार इस्तेमाल का नियम तोड़ रहे हैं। अपने शो की एक कहानी में फोन के अत्यधिक इस्तेमाल के कारण लोगों के बीच बढ़ती दूरियों की बात देखकर शेख ने हाल ही में टेक्नोलाॅजी के मामले में एक अलग तरीका अपनाया है। वह शूटिंग शेड्यूल्स के दौरान सेल फोन्स के लालच से दूर रहते हैं और डिजिटल डीटाॅक्सिंग की प्रैक्टिस भी करते हैं। इस बेबाक खुलासे में शेख ने स्मार्टफोन के इस्तेमाल को छोड़ने के अपने फैसले पर बात की है। वह जोर देकर कहते हैं कि इस तरह से उन्हें अपना फोकस बनाये रखने और अपनी रचनात्मकता को बेहतर बनाने में कैसे मदद मिलती है।
शूटिंग के दौरान सेल फोन का इस्तेमाल करने के नुकसान बताते हुए, आसिफ शेख ने कहा, ‘‘भाबीजी घर पर हैं’ की हालिया कहानी में दिखाया गया है कि हर कोई अपने फोन में इतना मगन हो जाता है कि अगर फोन को उनसे दूर कर दिया जाए, तो उन्हें असहाय महसूस होता है। इसके साथ ही उनकी महत्वपूर्ण मीटिंग छूट जाती है, वह परेशान हो जाते हैं और उन्हें बोरियत लगती है। यह मौजूदा कहानी एक सटीक उदाहरण देती है कि सेल फोन्स का अत्यधिक इस्तेमाल लोगों को फोन के बिना कैसे अपाहिज होने का एहसास देता है। मैं अपने फोन को हमेशा मेक-अप रूम में रखता हूँ और ध्यान भटकने से बचने के लिये उसे सेट पर नहीं ले जाता हूँ। यह मेरे मिनी ‘डिजिटल डीटाॅक्स’ का हिस्सा है। रिहर्सल के दौरान फोन के नोटिफिकेशंस अक्सर ध्यान भटकाते हैं, बाधित करते हैं और फोन को देखना ही पड़ता है। काम करते वक्त अपना पूरा ध्यान लगाना, भटकाव से बचना और काम को प्राथमिकता देना मेरी आदत बन चुका है। अगर आपका फोन बजता रहे या वाइब्रेट होता रहे, तो काम करने में बड़ी चुनौती होती है। सोशल नेटवर्किंग प्लेटफाॅम्र्स भी ध्यान खींचते ही हैं। मुझे जानने वाले लोग अच्छी तरह से समझते हैं कि अगर मैं उनके काॅल का जवाब नहीं दे रहा हूँ, तो इसका मतलब है मैं काम कर रहा हूँ। मेरे हिसाब से लोगों के अपने फोन पर अत्यधिक निर्भर होने का कारण सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल है। मैं इसके खिलाफ नहीं हूँ, लेकिन सीमाएं तय करने के पक्ष में हूँ। मैं सोशल मीडिया पर अपने प्रशंसकों से जुड़ने और उनसे संपर्क करने के लिये दिन में कभी-कभी आता हूँ।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘इसके अलावा, फायदों के साथ-साथ नुकसान भी होते हैं। मेरा पक्का मानना है कि सेल फोन्स ने हमारी ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता पर असर डाला है। आजकल लोग अपने फोन और दिमाग में होने वाली कई गतिविधियों के कारण आसानी से ध्यान भटका लेते हैं। मैंने सेल फोन्स का विकास देखा है और मैं समझता हूँ कि पहले लोग कितने फोकस्ड और सचेत रहते थे। एक बात मुझे बहुत अच्छी लगती है कि ‘टेक्नोलाॅजी से आपकी जिन्दगी बेहतर होनी चाहिये, वह आपका जीवन नहीं बनना चाहिये’। मैं सभी से कहता हूँ कि दिन में कम से कम एक या दो घंटे अपने फोन से दूर रहें। यह डीटाॅक्स होने और ध्यान केन्द्रित करने का बेहतरीन तरीका है।’’