अगले हफ्ते एण्डटीवी के ‘अटल‘ में कृष्ण बिहारी वाजपेयी, अटल को बचाने के लिये महाराजा की मदद मांगेंगे। वहीं, ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में हप्पू अपने बच्चों के लिये सीक्रेट सांता बनेगा और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में विभूति अपनी पहचान को लेकर परेशान रहेगा। एण्डटीवी के ‘अटल‘ की कहानी के बारे में कृष्णा देवी वाजपेयी ने बताया, ‘‘पुलिस अटल (व्योम ठक्कर) की ओर गोली चलाती है, लेकिन कृष्णा देवी उसका मुंह दबाकर उसे बोलने से रोक देती हैं। जब अटल घर आता है, तब अपने दादाजी (मिलिंद दस्ताने) और माँ से पूछता है कि उसे पुलिस को सच बताने से क्यों रोका गया। इस बीच, ग्वालियर में कृष्ण बिहारी (आशुतोष कुलकर्णी) को पता चलता है कि पुलिस के आदेश के कारण किराना दुकान वालों ने उनके परिवार को कोई भी चीज देने से मना कर दिया है। तोमर (महमूद हाशमी) आता है और इस स्थिति पर कृष्ण बिहारी को ताना मारता है। बदले में कृष्ण बिहारी उससे बहस करने लगते हैं। अपने अपमान पर तोमर उनकी जिन्दगी को बद्तर बनाने की ठान लेता है। अगले दिन, तोमर और उसके साथी कृष्ण बिहारी के घर पहुँचते हैं और तोड़-फोड़ करना चाहते हैं। लेकिन अटल, श्याम लाल वाजपेयी और अपनी माँ कृष्णा देवी के साथ मिलकर उन्हें रोक देता है। फिर तोमर अटल को पुलिस स्टेशन ले जाता है।’’
एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कहानी के बारे में दरोगा हप्पू सिंह ने बताया, ‘‘हप्पू (योगेश त्रिपाठी) अपने बच्चों के लिये सांता बनने और क्रिसमस की शाम को उनकी इच्छाएं पूरी करने का फैसला लेता है। कटोरी अम्मा (हिमानी शिवपुरी) बच्चों को इसके बारे में बता देती हैं और उनसे चैंकने का नाटक करने के लिये कहती हैं। बच्चे घर पर एक क्रिसमस ट्री लाते हैं और उसकी डालियों पर अपनी इच्छाएं लगा देते हैं। इस बीच कैट (गज़ल सूद) कमेलश (संजय चैधरी) को एक बड़ी लिस्ट देती है और अपनी इच्छाएं पूरी करने की जिद करती है। इसके लिये कमलेश सांता बन जाता है और चीजें चुराने लगता है। हप्पू को सांता के कपड़े नहीं मिलते हैं। हप्पू को पता नहीं है कि कमलेश चोर है और वह सांता के कपड़े पहने चोर को पकड़ने का निश्चय करता है। अपने बच्चों को चैंकाने के लिये वह सांता के कपड़े पाना चाहता है।’’ ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की कहानी के बारे में विभूति नारायण मिश्रा ने बताया, ‘‘क्रिसमस पार्टी में विभूति (आसिफ शेख) सबके के सामने अनीता (विदिशा श्रीवास्तव) को नीचा दिखाता है और कहता है कि कानपुर में लोग उसे विभूति के कारण ही जानते हैं। बदले में अनीता कहती है कि विभूति की समाज में इज्जत उसके सपोर्ट के कारण है। फिर एक तीखी बहस होती है। अनीता की इस बात से दुखी होकर विभूति खुद को उससे दूर कर लेता है और कहता है कि उसकी इज्जत को अब अनीता से न जोड़ा जाए। हर कोई विभूति के खिलाफ हो जाता है और उसका मजाक उड़ाता है। ऐसे में विभूति को सक्सेना (सानंद वर्मा) के पास षांति मिलती है और सक्सेना उसे दोबारा इज्जत पाने के लिये प्रोत्साहित करता है। भरोसा जीतने का संकल्प लेकर विभूति आईएएस परीक्षा में सफल होने का फैसला करता है। वह जमकर पढ़ाई करने लगता है और इसमें सक्सेना उसका साथ देता है। इधर तिवारी (रोहिताश्व गौड़) का खोया पैसा हासिल करने के लिये अम्माजी (सोमा राठौड़) अंगूरी (शुभांगी अत्रे) को यह तरीका बताती हैं कि वह पढ़ाई करने वाले किसी स्टूडेंट का ध्यान भटका दे। अंगूरी मेनका का रूप बनाकर विभूति को पढ़ाई से भटकाने की कोशिश करती है।’’
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