हमारे स्थानीय समुदायों और दुनिया भर में मौजूद साक्षरता की समस्याओं पर जागरूकता फैलाने और इन समस्याओं के उपायों पर चर्चा के लिये हर साल इंटरनेशनल लिट्रेसी डे या विश्व साक्षरता दिवस मनाया जाता है। एण्डटीवी के कलाकारों ने साक्षरता अथवा शिक्षा को एक मानवाधिकार के रूप में शामिल किये जाने पर अपने विचार साझा किये। इन कलाकारों में शामिल हैं: नेहा जोशी (‘दूसरी मां‘ की यशोदा), अथर्व (‘एक महानायक-डाॅ बी.आर. आम्बेडकर‘ के युवक भीमराव आम्बेडकर), सिद्धार्थ अरोड़ा (‘बाल शिव‘ के महादेव), कामना पाठक (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश सिंह) और शुभांगी अत्रे (‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अंगूरी भाबी)।
एण्डटीवी के आगामी शो ‘दूसरी मां‘ में यशोदा का किरदार निभा रहीं नेहा जोशी ने कहा, ‘‘शिक्षा से सोच विकसित होती है और समझदारी से निर्णय लेने का कौशल आता है। असाक्षर व्यक्ति एक बंद कमरे में कैद शख्स की तरह होता है, जिसके अंदर जाने या बाहर आने का कोई रास्ता नहीं होता है और वह पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कट जाता है। वहीं, साक्षरता व्यक्ति के लिये पूरी दुनिया को खोल देती है। अनपढ़ व्यक्ति कुछ भी पढ़-लिख नहीं सकता है, जिससे किताबों और अन्य साधनों के माध्यम से उपलब्ध ज्ञान एवं बुद्धि तक उसकी पहुंच सीमित हो जाती है। इसलिये शिक्षा को लेकर जागरूकता फैलाना जरूरी है। मुझे बहुत खुशी है कि इसके लिये अलग से दिन निर्धारित है।‘‘
अथर्व, जोकि एण्डटीवी के ‘एक महानायक-डाॅ बी.आर. आम्बेडकर में युवक भीमराव आम्बेडकर का किरदार अदा कर रहे हैं, ने कहा, ‘‘इस अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर आईये शिक्षा की अहमियत पर बाबासाहेब की सीखों को याद करें। मुझे लगता है कि भीमराव का किरदार निभाना मेरे लिये सम्मान की बात है। उन्होंने खुद को जात-पात के भेदभाव और असमानता से मुक्त करने के लिये अपनी शिक्षा का इस्तेमाल किया। उन्होंने कई लोगों के मन में यह विश्वास जगाया कि सिर्फ शिक्षा ही एकमात्र साधन है, जो समाजिक बदलाव ला सकती है और लोगों को सभी सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बाधाओं को पार करने में सक्षम बना सकती है। और मैं उनकी इस बात से सहमत हूं कि शिक्षा हर किसी का अधिकार है और उन्हें यह अधिकार देकर हम समाज में परिवर्तन ला सकते हैं।‘‘
सिद्धार्थ अरोड़ा, जोकि एण्डटीवी के शो ‘बाल शिव‘ में महादेव की भूमिका निभा रहे हैं, ने कहा, ‘‘असाक्षरता भारत में एक बड़ा मुद्दा है। ग्रामीण भारत में कई लोग इससे अनजान हैं और उन्हें अपने शिक्षा के अधिकारों की बहुत कम जानकारी हैं या उनके पास संसाधनों का अभाव है। यदि आपको पढ़ना-लिखना नहीं आता है, तो दुनिया भर की जानकारी प्राप्त करना और कई चीजों का अनुभव करना आसान नहीं है। मेरा मानना है कि स्टूडेंट्स और कामकाजी लोगों को अपने समुदायों के बच्चों को निःशुल्क पढ़ाना चाहिये। आप विद्यार्थियों को अपना कॅरियर शुरू करने में सहयोग देकर, लाइब्रेरी में पुस्तकें दान कर और किसी की शिक्षा का खर्च उठाकर भी लोगों की जिंदगी बदल सकते हैं। हम अपने एनजीओ सहयोग के माध्यम से सुविधाहीन बच्चों की जिंदगियों में परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहे हैं और मैं दूसरों को भी ऐसा करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहूंगा।‘‘
एण्डटीवी के शो ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में राजेश सिंह का किरदार निभा रहीं, कामना पाठक ने कहा, ‘‘साक्षरता व्यक्ति के आत्म-सम्मान को बढ़ा सकती है और जिंदगी को बेहतर बना सकती है। मैं खुशकिस्मत हूं कि मेरा जन्म ऐसे परिवार में हुआ जहां महिलाओं की शिक्षा को तवज्जो दी जाती है। मुझे हमेशा कहा गया कि किताबें पढ़ने और लिखने से दूसरों के साथ संवाद करने की हमारी क्षमता बेहतर होती है और अपनी भाषा दक्षता को बेहतर बनाकर हम अपनी भावनाओं, विचारों एवं आइडियाज को और भी बेहतर तरीके से व्यक्त कर सकते हैं। साक्षरता हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। इसलिये, इस साक्षरता दिवस पर हमें इस बात का संकल्प लेना चाहिये कि हम लोगों को यह समझाने का हर संभव प्रयास करेंगे कि साक्षरता हमारा मानवाधिकार है।‘‘
शुभांगी अत्रे, जोकि एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में अंगूरी भाबी की भूमिका निभा रही हैं, ने कहा, ‘‘यह दिन साक्षरता को मानवाधिकार के रूप में अहमियत दिलाने के लिए जागरूकता फैलाने और दुनिया भर में इसकी प्रतिष्ठा के बारे में है। साक्षरता के मुद्दे के बारे में दुनिया भर में जागरूकता फैलाना और उन अभियानों को समर्थन देना जरूरी है, जो लोगों को साक्षर बनाने से संबंधित हैं। भारत जैसे विशाल देश में, लोगों को यह याद दिलाना जरूरी है कि साक्षरता का उनका अधिकार कितना महत्वपूर्ण है। अब सोशल मीडिया ने इस काम को और भी आसान बना दिया है। हमें कम से कम एक भारतीय को साक्षर बनाने का संकल्प लेना चाहिये ‘‘ क्योंकि दान-धर्म की शुरूआत घर से होती है और धीरे-धीरे हम किसी से कम नहीं होंगे।‘‘