एण्ड टीवी के ‘एक महानायक डाॅ बी.आर. आम्बेडकर में दर्शकों ने देखा है कि रामजी सकपाल (जगन्नाथ निवांगुणे) ने बाबासाहेब की जिंदगी को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
रामजी एक दार्शनिक, मार्गदर्शक और बेहतरीन मेंटर की मिसाल थे। उन्होंने नन्हें भीमराव (आयुध भानुशाली) को हमेशा से यही सिखाया कि शिक्षा किस तरह से आपकी परिस्थितियों को बदलने का साधन बन सकती है और हम सबकी जिंदगी में सबसे ज्यादा मायने रखती है। रामजी का दृढ़ विश्वास था कि चाहे हालात जैसे भी हों, व्यक्ति को हमेशा सही का साथ देना चाहिये और उसके लिये लड़ने से भी पीछे नहीं हटना चाहिये। अब, रामजी खुद एक ऐसी परिस्थिति में फंस गये हैं, जहां वे मजबूर हैं। वह काफी कश्मकश की स्थिति में हैं और भावनात्मक उतार-चढ़ाव का सामना कर रहे हैं। उनके सामने दो रास्ते हैं- या तो वे अपने बेटे बाला के लिये खड़े हों और उसे सपोर्ट करें या फिर सच का साथ दें, जिसका मतलब है अपने बेटे के खिलाफ जाना। रानी को अपमानजनक शादी से बचाने के लिये उसके साथ भाग जाने का बाला (सौद अंसारी) का फैसला रामजी और उसके परिवार को एक मुश्किल हालात में डाल देता है। इस घटना के बाद महाराज और उनके चेले उन पर ऊंगली उठाने लगते हैं। अब रामजी का फैसला क्या होगा और इससे बाला के साथ उनके रिश्ते पर क्या असर पड़ेगा? एक पिता अपने बेटे को सही और गलत का पाठ कैसे पढ़ाएगा?
इस ट्रैक के बारे में विस्तार से बताते हुए, जगन्नाथ निवांगुणे ऊर्फ रामजी सकपाल ने कहा, ‘‘रामजी अपने हर बच्चे से एकसमान प्यार करते हैं और उन्होंने हमेशा ही उन्हें अच्छे संस्कार दिये हैं। भीमराव दृढ़ इच्छाशक्ति वाला एक बालक है, जो सही के साथ खड़े रहने में विश्वास करता है। दूसरी ओर, बाला के इरादे बुरे नहीं है, लेकिन वह जो रास्ता चुनता है और जो भी करता है, वो हमेशा सही नहीं होते हैं। इससे रामजी और उसके बीच हमेशा ही नोंकझोंक होती रहती है और बाला को लगता है कि रामजी उसे प्यार नहीं करते और हमेशा भीमराव का पक्ष लेते हैं। रानी के साथ बाला के भाग जाने से रामजी बहुत बड़ी दुविधा में फंस गये हैं। इस मामले में वह भीमराव का सपोर्ट करते हैं, जिससे बाला के मन में अलगाव की भावना पैदा हो जाती है। कैसे करेंगे रामजी इस चुनौती का सामना? वह बाला को फिर से सही रास्ते पर कैसे लायेंगे?‘‘
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