सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का देसी डांस रियलिटी शो ‘इंडियाज़ बेस्ट डांसर 3’ इस शनिवार को लेडीज़ स्पेशल एपिसोड में नारी शक्ति को सलाम करेगा। भारत की कुछ सुपर महिलाओं और उनके हुनर को सम्मानित करते हुए सभी कंटेस्टेंट्स और उनके कोरियोग्राफर्स, लेडी कैडेट नं. 1 एवं भारतीय सेना में शामिल की गईं 25 लेडी ऑफिसर्स के पहले बैच की सिल्वर मेडलिस्ट – मेजर प्रिया झिंगान, भारत की पहली महिला डिटेक्टिव रजनी पंडित और जानी-मानी डांसर एवं एक्ट्रेस सुधा चंद्रन जैसी प्रेरणादायक हस्तियों को ट्रिब्यूट देंगे।
कंटेस्टेंट देबपर्णा गोस्वामी और उनके कोरियोग्राफर तरुण राज निहलानी ने ‘नचदी फिरा’ और ‘या देवी सर्वभूतेषु’ जैसे गीतों पर एक मनमोहक डांस एक्ट के साथ सुधा चंद्रन की ज़िंदगी का प्रेरणादायक सफर प्रस्तुत किया, जिस पर सभी ने उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन दिया।
इस परफॉर्मेंस से प्रभावित होकर सुधा चंद्रन इस जोड़ी को नटराज की मूर्ति और एक जोड़ी घुंघरू देकर उनके प्रति आभार जताएंगी। इस एक्ट की तारीफ करते हुए सुधा चंद्रन ने अपने चुनौती भरे सफर के बारे में भी चर्चा की। सुधा ने कहा, “मुझे गर्व है कि मैं एक औरत होकर यह कर सकी। आमतौर पर लोग पूछते हैं, ‘महिलाएं क्या कर सकती हैं?’ अरे औरतें ही तो कर सकती हैं! नारी शक्ति बहुत ही खतरनाक है। लोग मेरे सफर के बारे में बात करते हैं लेकिन आज उन 3 वर्षों का मेरा सफर और वो यादें, जो मेरे अंदर बंद थीं, अचानक मेरी आंखों के सामने से गुजर गईं। मैंने इस परफॉर्मेंस में अपने पिता को देखा। मुझे याद है एक्सीडेंट के बाद जब डॉक्टरों ने मुझसे कहा था, ‘तुम अपना पैर खो दोगी’, तब मेरे पिता कमरे में आए और मुझसे कहा, ‘मैं तुम्हारे कदम बनूंगा।’ और फिर मैंने उनसे पूछा, ‘कब तक, क्या आप मुझे गारंटी दे सकते हैं।’ फिर उन्होंने वादा किया, ‘जब तक तुम सफलता की ऊंचाइयों को नहीं छूतीं, तब तक मैं तुम्हारे साथ चलूंगा।’ उन्होंने अपना वादा निभाया। उन्होंने मेरी सफलता देखी और मैं किसी भी बच्चे के लिए हमेशा यह कहती हूं कि आपके पैरेंट्स के लिए आपकी सफलता से बड़ा उपहार कुछ नहीं होता। कभी उम्मीद ना हारें, हर दिन चलते रहें और अपने सारे सपने पूरे करें। मैं आज भी इसे फॉलो करती हूं और खुद से यह कहती रहती हूं कि आई एम द बेस्ट!”
सुधा चंद्रन से अपने इमोशनल कनेक्शन के बारे में बताते हुए टेरेंस लुइस कहेंगे, “जब सुधा जी के साथ यह हादसा हुआ था, उस वक्त मैं 5 या 6 साल का था। मेरी सबसे बड़ी बहन सुधा जी की क्लासमेट थीं और जब वो स्कूल से आईं और हमें उस एक्सीडेंट के बारे में बताया, तो हम सभी कांप उठे। हमारी हर शाम की प्रार्थना में हम उनके लिए दुआ मांगते थे। मुझे याद है मेरे पिता उनके ठीक होने के लिए लंबे समय तक एक प्रार्थना जरूर करते थे। जब सुधा जी को जयपुर फुट लगाया गया, तो हम सभी ने खुशियां मनाईं और वो हम सभी के लिए एक बहुत भावुक पल था।”
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