हर साल 8 सितंबर को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य साक्षरता के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना और वैश्विक निरक्षरता की चुनौतियों तथा उनसे निपटने के प्रयासों पर रौशनी डालना है। भारत में यह दिन शिक्षा के प्रति हमारे देश के समर्पण को दोहराने, साक्षरता से जुड़ी चुनौतियों पर जागरूकता बढ़ाने और एक ज्यादा साक्षर तथा शिक्षित समाज की दिशा में संयुक्त प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिये एक मंच का काम करता है। इस दिन के सम्मान में एण्डटीवी के कलाकार साक्षरता के महत्व पर अपने विचार रख रहे हैं। इन कलाकारों में ‘एक महानायक-डा. बी. आर. आम्बेडकर के अथर्व (नन्हें भीमराव), ‘दूसरी माँ‘ की नेहा जोशी (यशोदा), ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की गीतांजली मिश्रा (राजेश सिंह) और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ के आसिफ शेख (विभूति नारायण मिश्रा) शामिल हैं। ‘एक महानायक-डा. बी. आर. आम्बेडकर‘ में नन्हे भीमराव आम्बेडकर की भूमिका निभा रहे अथर्व ने बताया, ‘‘ निजी सशक्तिकरण और सामाजिक विकास में साक्षरता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। डा. बी. आर. आम्बेडकर ने सामाजिक प्रगति और व्यक्तिगत सशक्तिकरण के लिये साक्षरता के महत्व पर बहुत जोर दिया था। उनका मानना था कि उत्पीड़ित समुदायों का उत्थान साक्षरता से ही हो सकता है और वे अपने अधिकारों को समझने तथा प्रताड़ना के विरुद्ध लड़ने के लिये समर्थ बन सकते हैं। बाबासाहेब के लिये साक्षरता उपेक्षा और शोषण के चक्र को तोड़ने का एक साधन थी, जो ज्यादा समावेशी और बराबरी वाला समाज निर्मित कर सकती है। उन्होंने शैक्षणिक सुधारों का पक्ष लिया, जो जाति या सामाजिक पृष्ठभूमि का विचार किए बगैर सभी को शिक्षा के समान अवसर प्रदान करता हो। बाबासाहब ने श्क्षिा एवं साक्षरता को भारत में जाति-आधारित भेदभाव और असमानता की श्रृंखला तोड़ने वाले जरूरी साधनों के रूप में देखा था। उन्होंने निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा की हिमायत की थी, ताकि पिछड़े लोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग ले सकें और समाज में अपना उचित स्थान पा सकें।’’
‘दूसरी माँ‘ में यशोदा की भूमिका निभा रहीं नेहा जोशी ने कहा, ‘‘साक्षरता एक कुंजी है, जो सशक्तिकरण का दरवाजा खोलती है। यह लोगों को अपने विचार तथा आइडियाज स्पष्ट तरीके से प्रकट करने और समाज में सक्रियता से शामिल होने के लिये सशक्त करती है। साक्षरता के माध्यम से आप अपना पक्ष रख सकते हैं, सूचित फैसले कर सकते हैं और दुनिया में अर्थपूर्ण तरीके से भागीदार बन सकते हैं।’’ ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में राजेश सिंह की भूमिका निभा रहीं गीतांजली मिश्रा ने कहा, ‘‘अपने मूल स्वभाव में साक्षरता ज्ञान का सेतु है। यह लोगों को जानकारी पाने की शक्ति देती है, जिससे उनके लिये अवसर बढ़ते हैं, वे सीखते हैं और उन मौकों का लाभ उठा लेते हैं, जो अन्यथा उनकी पहुँच में नहीं होते। साक्षरता लोगों को ऐसे साधन देती है, जो तेजी से पेचीदा हो रहे और परस्पर संबद्ध संसार में चलना आसान बनाते हैं।’’ आखिर में, ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में विभूति नारायण मिश्रा की भूमिका निभा रहे आसिफ शेख ने कहा, ‘‘साक्षरता का महत्व पढ़ने और लिखने की योग्यता पाने से कहीं अधिक है, वह तार्किक चिंतन को बढ़ावा देती है। लिखित सामग्री विश्लेषण की कुशलताएं बढ़ाती है, विवेक को प्रोत्साहित करती है और सवाल करने वाली सोच को बढ़ावा देती है। साक्षरता के माध्यम से लोग जानकारी का मूल्यांकन कर सकते हैं, मान्यताओं को चुनौती दे सकते हैं और ऐसी बातचीत में रचनात्मक योगदान दे सकते हैं, जो समाज को आकार देती है। साक्षरता से लोग शिक्षित हो सकते हैं, ज्ञान पा सकते हैं और अपना तार्किक चिंतन बढ़ा सकते हैं, जो कि आधुनिक जीवन की जटिलताओं के अनुकूल बनने के लिये जरूरी है।’’