हिन्दी सिनेमा के शोमैन कहे जाने वाले अभिनेता राज कपूर की आज पुण्यतिथि है

@shahzadahmed

एक बेहतरीन अभिनेता होने के साथ-साथ राज कपूर एक कामयाब निर्देशक और निर्माता भी थे

तीन राष्ट्रीय पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर अवार्ड जीतने वाले राज कपूर की दो फिल्मों ने कांस फिल्म फेस्टीवल में धूम मचाई थी

राज कपूर की परवरिश और उन्हें स्टार बनाने में उनके पिता पृथ्वीराज कपूर का बहुत बड़ा हाथ था। राज कपूर के करियर की शुरुआत एक थप्पड़ से हुई थी।
‘मेरे दादा जी कहते थे कि बॉम्बे टॉकीज में जिसने भी थप्पड़ खाया, उसे सफलता मिली। राजकपूर को भी थप्पड़ पड़ा। राजकपूर फिल्म ज्वारभाटा कि शूटिंग कर रहे थे।’

उन्होंने बताया था, ‘केदार शर्मा उस फिल्म के असिस्टेंट डायरेक्टर थे। जब वो शूट पर क्लैप कर के शूट शुरू करने के लिए बोलते थे तब-तब राजकपूर कैमरे के सामने आकर बाल ठीक करने लग जाया करते थे। दो-तीन बार देखने के बाद केदार शर्मा ने उन्हें एक थप्पड़ लगा दिया। फिर उन्हीं केदार शर्मा ने अपनी फिल्म नीलकमल में राजकपूर को मधुबाला के साथ लिया। उस थप्पड़ ने राजकपूर की किस्मत ही बदल कर रख दी।’

राज कपूर के बारे में एक और कहानी मशहूर है कि वो कभी बिस्तर पर नहीं सोते थे, हमेशा जमीन पर सोते थे। उनकी बेटी ऋतु नंदा ने बीबीसी को बताया था, ‘राज कपूर जिस भी होटल में ठहरते थे, उसकी पलंग का गद्दा खींच कर जमीन पर बिछा लेते थे। इसकी वजह से वो कई बार मुसीबतों में फंसे। लंदन के मशहूर हिल्टन होटल में जब उन्होंने ये हरकत की तो होटल के प्रबंधकों ने उन्हें चेताया कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। लेकिन जब उन्होंने दोबारा वही काम किया, तो उन्होंने उन पर जुर्माना लगा दिया। वो पांच दिन उस होटल में रहे और उन्होंने खुशी-खुशी पलंग का गद्दा जमीन पर खींचने के लिए रोज जुर्माना दिया।’1988 में राज कपूर को ‘दादा साहेब फाल्के’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जब वो सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में पुरस्कार लेने पहुंचे तो उन्हें दमे का दौरा पड़ा। राष्ट्रपति वेंकटरमण सारे प्रोटोकॉल तोड़ते हुए मंच से खुद नीचे उतर कर आए और उन्होंने राज कपूर को सम्मानित किया। राज कपूर को वहां से दिल्ली के एम्स अस्पताल ले जाया गया जहां वो कोमा में चले गए और  2 जून, 1988 को रात 9 बजे उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

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