एण्डटीवी की नायिकाओं ने इंटरनेशनल वूमन्स डे की थीम ‘इन्वेस्ट इन वूमनः एक्सीलरेट प्रोग्रेस’ पर रखी अपनी राय

इस साल के इंटरनेशनल वूमन्स डे की थीम है ‘इन्वेस्ट इन वूमनः एक्सीलरेट प्रोग्रेस’। यह थीम महिलाओं और लड़कियों के आर्थिक सशक्तिकरण के महत्व पर जोर देती है, क्योंकि प्रगति में तेजी लाने के लिये ऐसा करना महत्वपूर्ण है। एण्डटीवी की नायिकाओं ‘अटल‘ की नेहा जोशी (कृष्णा देवी वाजपेयी),‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की गीतांजलि मिश्रा (राजेश) और हिमानी शिवपुरी (कटोरी अम्मा) और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की शुभांगी अत्रे (अंगूरी भाबी) और विदिशा श्रीवास्तव (अनीता भाबी) ने भी इस पर अपने विचार रखे हैं। उन्होंने बताया कि लैंगिक समानता और महिलाओं की सेहत किस तरह से समृद्ध अर्थव्यवस्था और हमारे ग्रह को स्वस्थ रखने के लिये जरूरी है। एण्डटीवी के ‘अटल‘ में कृष्णा देवी वाजपेयी की भूमिका निभा रहीं नेहा जोशी ने कहा, ‘‘महिलाओं के अधिकारों को महत्वपूर्ण निवेश के तौर पर पहचान देना सबसे ज्यादा मायने रखता है। इससे बदलाव लाने वाले समाधान मिल सकते हैं, जिनसे महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में पता चलेगा, वे गरीबी के चक्र से मुक्त होंगी और सचमुच में तरक्की करेंगी। महिलाओं में निवेश करना समावेशी समाज बनाने का आधार है और महिलाओं की तरक्की से सभी को फायदा होता है। प्रगति तो अच्छी हुई है, लेकिन महिलाओं को पेशेवर तौर पर अनेक चुनौतियों का सामना अब भी करना पड़ता है। इनमें लैंगिक भेदभाव, सैलरी में अंतर और नेतृत्व की भूमिकाओं में कमी शामिल हैं। ये सभी चीजें आज भी मौजूद हैं और इनसे महिलाओं की क्षमता का पूरी तरह लाभ उठने में बाधा आती है। इसलिये, उन बाधाओं को तोड़ने का समय अब आ चुका है। ऐसे माहौल बनने चाहिये, जो महिलाओं को अपनी पूरी क्षमता को पाने के लिये सशक्त करें।’’

एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में राजेश की भूमिका निभा रहीं गीतांजलि मिश्रा ने कहा, ‘‘मुझे ऐसा समाज बनाने पर मजबूती से यकीन है, जहाँ महिलाओं को पुरुषों के बराबर जिम्मेदारी और अवसर मिलें। समाज अक्सर महिलाओं को कमजोर समझता है, लेकिन मैं आश्वस्त कर सकती हूँ कि महिलाएं भगवान की सबसे शक्तिशाली रचनाओं में शामिल हैं। अपनी क्षमता का अहसास रखने वाली एक महिला अपनी ताकत और निडरता से दुनिया को हिला सकती है। मेरी माँ मेरे लिये इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। मेरे पिता के देहांत के बाद वह सिंगल मदर हो गई। लेकिन उन्होंने इतनी मजबूती से जिम्मेदारियों को निभाया कि मुझे कभी कोई कमी नहीं लगी। उनके अटूट सहयोग ने मुझे मजबूती दी। मैं महिलाओं में निवेश करने और उन्हें समान अवसर देने की पक्की हिमायत करती हूँ, क्योंकि इससे समाज की प्रगति तेजी से होगी।’’ एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में अनीता भाबी की भूमिका निभा रहीं विदिशा श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘महिलाओं की विभिन्न भूमिकाएं स्वीकार करने के मामले में दुनिया एक बड़े बदलाव से गुजर रही है। महिलाओं को अब कमाऊ, पेशेवर और आजाद ख्याल रखने वाली माना जा रहा है। महिलाओं ने हर पहलू में खुद को पुरुषों के बराबर साबित भी किया है। इस साल की थीम ‘‘इन्वेस्ट इन वूमनः एक्सीलरेट प्रोग्रेस’ काफी मायने रखता है। और ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस पर चर्चा करनी चाहिये, ताकि ऐसे समाज का निर्माण हो, जहाँ पुरुषों और महिलाओं को बराबर सम्मान एवं अवसर दिये जाएं। समानता को अपनाने का आशय विविधता और समावेशन को अपनाने से है। इस प्रक्रिया के द्वारा हम समानता ला सकते हैं। इसलिये, वूमन्स डे पर मैं उन सारी ‘‘सुपरवूमन’’ का सम्मान करती हूँ, जिन्होंने मुश्किल हालात के बावजूद तरक्की की है। हैप्पी वूमन्स डे!’’

एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में कटोरी अम्मा की भूमिका निभा रहीं हिमानी शिवपुरी ने कहा, ‘‘बीते वर्षों में हमने पूरी दुनिया की राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में सुधार, आर्थिक अवसरों में बढ़ोतरी और स्वास्थ्यरक्षा के विकास में अच्छी प्रगति देखी है। हालांकि, यह जानकर दुःख होता है कि महिलाएं अब भी विभिन्न क्षेत्रों में भेदभाव से गुजरती हैं। और इस पर तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिये। हम तब तक सफल नहीं हो सकते, जब तक हमारी आधी आबादी को समान अवसर न मिलें। इसलिये हमें मिलकर काम करना होगा और ऐसा निवेश करना होगा, जो नारीत्व के विकास को प्रेरित करे। इस इंटरनेशनल वूमन्स डे पर हम सभी को ऐसी दुनिया बनाने के लिये कोशिश करनी चाहिये, जहाँ नारीत्व को पहचाना और सराहा जाए। हर जगह की महिलाओं की ताकत और मजबूती को तारीफ मिलनी चाहिये! हैप्पी वूमन्स डे।’’ एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में अंगूरी भाबी की भूमिका निभा रहीं शुभांगी अत्रे ने कहा, ‘‘एक महिला और माँ होने के नाते मैंने अपनी बेटी को ऐसा माहौल देने के लिये कड़ी मेहनत की है, जहाँ उसे जिम्मेदारियाँ और मौके, दोनों ही मिल सकें। मेरा मानना है कि ऐसा करने से मैं उसे सशक्त कर सकती हूँ कि वह आजाद रहे, ताकतवर और मजबूत बने और दूसरी महिलाओं का भी उत्थान करे। दुर्भाग्य से, हमारे समाज में हर किसी का ऐसा सौभाग्य नहीं है। इसलिये, इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है। हमें अपने बच्चों और घर पर काम करने वाली उन महिलाओं से महिलाओं की तरक्की के महत्व पर लगातार बात करनी चाहिये, जिनकी अपनी बेटियाँ हैं। इस तरह हम उन्हें इस संदेश को समझने, इस पर काम करने और इसे फैलाने के लिये मदद कर सकते हैं। इंटरनेशनल वूमन्स डे पर मेरा संदेश साफ हैः हमने पुरुषों के समान दर्जा हासिल करने में बहुत प्रगति की है। आज हमारे पास कोई भी रास्ता चुनने और अपनी मर्जी की पहचान को अपनाने की ताकत है।’’

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