फिल्म ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ये फिल्म देखा जाए तो आज की नई पीढ़ी से ज्यादा उन लोगों को देखनी चाहिए जो उम्र की फिफ्टी लगा चुके हैं या लगाने वाले हैं। इसके बाद ये फिल्म उन शोहदों और माताओं बहनों के लिए है जो हर दम सामने पड़ने वालों की पसंद-नापसंद को लेकर ‘जज’ बने फिरते हैं। फिल्म ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ सबसे बड़ी बात जो समझाती है वह ये कि बच्चे मां बाप की जागीर नहीं होते। बेटा हो या बेटी उसे अपनी मर्जी से अपनी पसंद की जिंदगी जीने का…
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