“हमने संदेश नहीं, दिल से निकली एक सच्ची प्रेम कहानी कही है”इशिता सिंह और संजय बिश्नोई ‘पारो पिनाकी की कहानी’

मुख्यधारा के सिनेमा से अलग हटकर, समाज के हाशिए पर खड़े लोगों के प्रेम, संघर्ष और सपनों को बेहद संवेदनशीलता के साथ पेश करती फिल्म ‘पारो पिनाकी की कहानी’ इन दिनों चर्चा में है। फिल्म के टीज़र को मिल रही ज़बरदस्त प्रतिक्रिया के बीच, इशिता सिंह और संजय बिश्नोई ने पहली बार मीडिया से खुलकर बातचीत की और फिल्म से जुड़े कई अनछुए पहलुओं पर रोशनी डाली।

इशिता सिंह के लिए यह फिल्म सिर्फ एक किरदार नहीं, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा है। वह कहती हैं,

“हमने इस फिल्म में कोई संदेश थोपने की कोशिश नहीं की। यह एक सच्ची प्रेम कहानी है, और जब कहानी सच्ची होती है तो उसका असर खुद-ब-खुद दर्शकों तक पहुँचता है।”

फिल्म की स्क्रिप्ट पहली बार सुनते ही इशिता इससे जुड़ गई थीं। उनके मुताबिक, कहानी की सबसे बड़ी खूबी उसकी ईमानदारी और सादगी है।“यह उन लोगों की कहानी है जिन्हें समाज अक्सर अनदेखा कर देता है, लेकिन जिनके जज़्बात बेहद गहरे होते हैं,”वह बताती हैं।अपने किरदार की तैयारी के लिए इशिता ने सिर्फ अभिनय नहीं, बल्कि उस जीवन को जीने की कोशिश की।

इशिता कहती हैं “मैंने ऐसे लोगों से मुलाक़ात की, उनके संघर्ष, उनकी सोच और उनके सपनों को समझा। मेरे लिए ज़रूरी था कि परदे पर दिखने वाला हर भाव सच्चा लगे

वहीं, फिल्म में मुख्य पुरुष किरदार निभा रहे संजय बिश्नोई के लिए यह प्रोजेक्ट आत्मिक रूप से बेहद खास रहा। वह कहते हैं,
“इस फिल्म ने मुझे कलाकार के तौर पर और ज़्यादा संवेदनशील बना दिया। यह उन लोगों की कहानी है जिनके सपने अक्सर दबा दिए जाते हैं।”

शूटिंग के दौरान कई ऐसे दृश्य रहे जिन्होंने संजय को भीतर तक छू लिया। “एक सीन है जहाँ बिना किसी बड़े संवाद के बहुत कुछ कह दिया जाता है। वह पल आज भी मेरे दिल के बहुत करीब है,” वह साझा करते हैं।

टीज़र को मिल रही शानदार प्रतिक्रिया दोनों कलाकारों के लिए उत्साह के साथ-साथ जिम्मेदारी भी लेकर आई है। इशिता मानती हैं कि यह प्यार उन्हें और बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करता है।
“दर्शकों की उम्मीदें बढ़ गई हैं, और यही हमें हर फ्रेम में ईमानदार बने रहने की ताक़त देती है।

फिल्म ने दोनों कलाकारों को अभिनय के नए मायने सिखाए हैं।
“इस फिल्म ने सिखाया कि अभिनय सिर्फ डायलॉग नहीं, बल्कि खामोशी, आंखों और ठहराव में भी होता है।”

भविष्य को लेकर इशिता स्पष्ट हैं कि वह आगे भी समाज से जुड़े, मजबूत और संवेदनशील किरदारों को चुनना चाहेंगी।
“मैं चाहती हूँ कि मेरा काम लोगों के दिल को छुए और उन्हें सोचने पर मजबूर करे।

अंत में, दोनों कलाकार दर्शकों से खास अपील करते हैं।
इशिता कहती हैं, “यह फिल्म सिर्फ देखने के लिए नहीं, महसूस करने के लिए है।”
संजय बिश्नोई जोड़ते हैं, “‘पारो पिनाकी की कहानी’ उन आवाज़ों की कहानी है जो अक्सर खामोश रह जाती हैं। सिनेमाघर आकर इस प्रेम कहानी का हिस्सा बनिए।

 

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