शिक्षक सिर्फ पढ़ाते ही नहीं, बल्कि ज़िंदगी बनाने का हुनर भी सिखाते हैं। वे हमें सही मूल्य, सोच और जीने का तरीका देते हैं। कई कलाकार मानते हैं कि अगर उनके गुरु का साथ और मार्गदर्शन न होता, तो शायद वे आज यहां तक नहीं पहुंच पाते। गुरु ही मुश्किल घड़ी में हाथ थामकर आगे बढ़ना सिखाते हैं और जिंदगी भर याद रहते हैं। इस शिक्षक दिवस पर *एण्डटीवी* के कलाकार अपने उन गुरुओं को याद करते हुये उनका आभार व्यक्त कर रहे हैं, जिनका उनकी ज़िंदगी और कॅरियर पर गहरा असर रहा है और जो आज भी उन्हें प्रेरित करते हैं। इन कलाकारों में शामिल हैं- निहारिका रॉय (‘घरवाली पेडवाली‘ की सावी), योगेश त्रिपाठी (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के हप्पू सिंह), और शुभांगी अत्रे (‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अंगूरी भाबी)। आगामी शो ‘घरवाली पेड़वाली‘ में सावी का किरदार निभा रहीं निहारिका रॉय ने कहा, ‘‘मेरे लिए मेरी सबसे बड़ी टीचर हमेशा मेरी माँ रही हैं। उन्होंने मुझे हर कदम पर रास्ता दिखाया है-सब्र करना, विनम्र रहना और अपने सपनों को पूरा करने का साहस रखना सिखाया है। माँ ने माता-पिता के साथ-साथ गुरु की भूमिका भी निभाई है। मुझे याद है जब मुझे स्क्रीन पर माँ का किरदार निभाने का मौका मिला, तो कई लोगों को शक था कि मेरी उम्र में मैं इसे निभा पाऊँगी या नहीं। लेकिन मैंने इसे चुनौती मानकर अपनी एक्टिंग में सुधार करने का अवसर समझा। माँ का किरदार निभाने के दौरान मेरे मन में अपनी माँ के प्रति इज्ज़त और भी गहरी हो गई। उनकी ताकत, प्यार और बलिदान मुझे रोज़ प्रेरित करते हैं। जब भी मुश्किल आती है, मैं उनकी बातें याद करती हूँ, कि मेहनत और सच्चाई हमेशा अपना रास्ता बना लेती हैं। आज मैं जो भी हूँ, एक इंसान और एक कलाकार के रूप में, वह उन्हीं की दी हुई सीख की वजह से हूँ। वो मेरी असली गुरु हैं।‘‘
योगेश त्रिपाठी, ऊर्फ ‘हप्पू की उलटन पलटन ‘ के दरोगा हप्पू सिंह, बताते हैं, ‘‘जब भी मैं अपने जीवन को आकार देने वाले लोगों के बारे में सोचता हूँ, तो मेरे केमिस्ट्री टीचर, श्री हामिद बेग सबसे पहले याद आते हैं। वे सिर्फ फार्मूलों और नंबरों के टीचर नहीं थे, बल्कि अनुशासन, नफ़ासत और जुनून सिखाने वाले गुरु थे। उनकी कक्षाओं ने मुझे सटीकता और लगन का जो सबक दिया, वही आज भी मेरे अभिनय में झलकता है। जब भी मैं किसी सीन के सबसे छोटे डिटेल पर ध्यान देता हूँ, तो महसूस करता हूँ कि यह उनकी दी हुई सीख का असर है। पिछले साल मैंने उन्हें अचानक मिलने का सरप्राइज़ दिया था, और मुझे देखकर वह बहुत खुश हुए थे। उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व है कि मैंने सही राह चुनी। गुरु का यह आशीर्वाद और स्वीकार करना मेरे लिए हमेशा यादगार रहेगा।‘‘ *शुभांगी अत्रे, ऊर्फ ‘भाबीजी घर पर हैं‘* की *अंगूरी भाबी* कहती हैं, ‘‘मेरे लिए इंदौर की मेरी कथक टीचर सिर्फ एक डांस गुरु नहीं थीं, बल्कि एक ऐसी मार्गदर्शक थीं जिन्होंने मेरा आत्मविश्वास और व्यक्तित्व गढ़ा। कथक के प्रति उनका जुनून और ऊर्जा इतनी प्रेरणादायक थी कि उनके साथ रहकर मैंने न केवल डांस सीखा, बल्कि अनुशासन, गरिमा और सकारात्मकता को भी अपनाया। उन्होंने मुझ पर उस समय भरोसा किया जब मैं खुद पर विश्वास करना सीख रही थी। आज जब उनकी डांस एकेडमी में मेरी तस्वीर लगी देखती हूँ, तो दिल कृतज्ञता से भर जाता है। उन्हीं के प्रोत्साहन ने मुझे बड़े सपने देखने और अभिनय को उसी समर्पण से अपनाने की ताकत दी, जैसे कभी डांस को दी थी। उनकी सीख आज भी मुझे कलाकार और इंसान, दोनों ही रूप में राह दिखाती है।‘‘
