साड़ियों का अपना अलग ही जलवा है और विभिन्न अवसरों के लिये ये साड़ियां एक शानदार और फैशनेबल परिधान के रूप में मशहूर हंै। फैशन के मामले में लोग अक्सर अपने चहेते किरदारों को फाॅलो करते हैं और उनके स्टाइल को अपनाने की कोशिश करते हैं। एण्डटीवी की अभिनेत्रियों ने भारतीय टेलीविजन पर साड़ियों के चलन को लोकप्रिय बनाने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। इनमें शामिल हैं नेहा जोशी (यशोदा, ‘दूसरी माँ’), कामना पाठक (राजेश, ‘हप्पू की उलटन पलटन’) और शुभांगी अत्रे (अंगूरी भाबी, ‘भाबीजी घर पर हैं’)। एण्डटीवी के शो ‘दूसरी माँ’ में यशोदा की भूमिका निभा रहीं नेहा जोशी ने कहा, ‘‘मुझे यशोदा का किरदार बहुत पसंद है, क्योंकि वह दमदार और सादगीपूर्ण है। शो में इसका अपीयरेंस मुझे वाकई बहुत पसंद आता है। उसके द्वारा पहनी जाने वाली साड़ियाँ इस किरदार के आकर्षण को बढ़ाती हैं। उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि की यशोदा न सिर्फ एक समर्पित माँ की भूमिका को बखूबी निभाती है, बल्कि एक आदर्श बहू और संवेदनशील सामाजिक कार्यकर्ता भी है। क्रियेटिव टीम ने उसके साड़ी कलेक्शन को बिना किसी गलती के चुना है, जोकि उसकी विभिन्न भूमिकाओं पर फबता है। आप मेरे किरदार यशोदा को अक्सर रंगीन छटाओं वाले चैड़े बाॅर्डर्स की प्लेन काॅटन साड़ियों में देखेंगे। ब्लाउज पर क्लासिक शानदार प्रिंट्स वाली यह काॅटन साड़ियाँ उसकी शख्सियत से पूरी तरह मेल खाती हैं। यशोदा जिस तरह से साड़ी पहनती है और खुद को कैरी करती है, वह उसके किरदार का सार दिखाता है। मेरी निजी जिन्दगी में भी यशोदा का स्टाइल झलकता है। मेरे पास काॅटन की साड़ियों का एक बेहतरीन कलेक्शन है, जिसे मुझे सभाओं, पार्टियों, औपचारिक अवसरों और पारंपरिक समारोहों में पहनना पसंद है। साड़ी स्टाइल को दमदार बनाती है, और बडी ही सहजता से बोल्डनेस और सौम्यता का संयोजन करती हैं। मेरे लिये यह अपनी शान और अभिव्यक्ति का प्रतीक है।’’
‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश, यानि कामना पाठक ने बताया, ‘‘इस शो में राजेश द्वारा पहना जाने वाला साड़ियों का आकर्षक कलेक्शन उसके किरदार को सचमुच उम्दा बना देता है। कानपुर के जीवंत परिदृश्य में उसकी अलमारी उत्तम पारंपरिक कारीगरी से सजी साड़ियों से भरी है। राजेश को देसी साड़ियों का स्टाइल पसंद है, लेकिन उन्हें लुभावने प्रिंट्स से मिलाकर वह एक ट्विस्ट लेकर आती है। राजेश का फिल्मी अवतार देखने लायक होता है और हर किसी को भाता है। उसकी साड़ियों में स्वैग झलकता है और हर साड़ी में उसकी खूबसूरती बढ़ जाती है। निजी तौर पर साड़ियों की मेरे दिल में एक खास जगह है। साड़ियों के लिये मेरा प्यार छोटी उम्र से ही था और जब मैं सफर करने लगी, तब जिन शहरों में गई, वहाँ से प्रामाणिक पारंपरिक साड़ियाँ लेने से खुद को रोक नहीं सकी। बीतते वक्त के साथ मेरा साड़ी कलेक्शन बढ़ता गया और मैंने इस खजाने को रखने के लिये अलग से एक जगह बनाई। कुछ लोग मुझे रोजाना साड़ी पहने देख सकते हैं, खासकर शूटिंग के दौरान, लेकिन यह अनुभव मुझे बहुत खुशी देता है।’’ ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अंगूरी भाबी, यानि शुभांगी अत्रे ने बताया, ‘‘साड़ियों के स्टाइल के मामले में अंगूरी और शुभांगी, दोनों ही उस्ताद हैं (हंसती हैं)। शो में अंगूरी का किरदार पूरी तरह से एक फैशन आइकाॅन है, क्योंकि वह मंत्रमुग्ध करने वाली साड़ियों में लिपटी रहती है और हर स्टाइल के साथ उसका प्रयोग तो कल्पना से परे होता है। उसकी ड्रेसिंग में कोई सीमा नहीं है; उसने हर स्टाइल को अपना बनाया है। वह खुद से प्यार करती है और फैशन के किसी भी चलन में बिना डरे उतर जाती है। लहंगा और चोली साड़ी का उसका दो-पीस वाला लुभावना काॅम्बो दिल चुरा लेता है और साथ में दुप ट्टा खूबसूरती को और बढ़ाता है। अंगूरी के स्टाइल में देसी टच के साथ विदेशी तड़का भी होता है और इस तरह वह अपना ही फ्यूजन बनाती है। उसका दमदार व्यक्तिवाद और स्टाइल स्टेटमेंट दिखाने में उसकी खूबसूरती स्क्रीन पर हमेशा ध्यान खींचती है। मैं इंदौर की हूँ और जब भी अपने होमटाउन जाती हूँ, मुझे बहुत खुशी होती है, जब मेरे दोस्त और रिश्तेदार अपनी शाॅपिंग की कहानियाँ सुनाते हैं कि उन्होंने दुकानदारों से ‘‘अंगूरी-स्टाइल’’ की साड़ियाँ मांगीं। इससे साबित होता है कि अंगूरी के फैशन का लोगों के दिल-दिमाग पर कैसा असर हुआ है। अंगूरी और मेरा नारीत्व साड़ी पहनने से जागता है और ऐसा ग्लैमर आता है, जो कभी पुराना नहीं लगता है। यह मेल अलग ही दिखता है और निश्चित तौर पर अपना प्रभाव छोड़ता है।’’