एण्डटीवी के शो ‘दूसरी माँ‘ में यशोदा (नेहा जोशी) और कृष्णा (आयुध भानुशाली) के बीच माँ-बेटे का एक दिल को छू लेने वाला रिश्ता दिखाया गया है, जिसने हम सभी दर्शकों को भाव-विभोर कर रखा है। आॅफ-स्क्रीन भी उनके बीच प्यार और फिक्र से भरा एक अटूट रिश्ता है। मदर्स डे के खास मौके पर हमने नेहा जोशी से उनकी आॅन-स्क्रीन शख्सियत की जटिलताओं, कृष्णा के साथ उनके रिश्ते और असल जिन्दगी में लगाव पर बात की है।
कौन-सी बात यशोदा के किरदार को टेलीविजन की दूसरी मांओं से अलग करती है?
यशोदा के किरदार ने दर्शकों के साथ एक बेहद खास जुड़ाव बनाया है और मैं यह स्वीकार करती हूं कि यह भूमिका चुनौती वाली है। आपको किरदार में असलियत लानी पड़ती है और उसके साथ जुड़ी हुई भावनाओं से न्याय करना होता है। लेकिन इसमें काफी संतोष भी मिलता है। माँ के प्यार और लगाव की कोई सीमा नहीं है। हालांकि, उसमें पेचीदगी हो सकती है, खासकर अगर बच्चा आपके पति की नाजायज संतान हो। टेलीविजन पर मजबूत माताओं के कई चित्रण हुए हैं, लेकिन यशोदा के किरदार को अलग बनाता है अपने पति के अतीत से उसका ताल-मेल बैठाने का सफर, कृष्णा के लिये अपने परिवार और समाज के विरोध में खड़े होना और अपनी मातृत्व की प्रवृत्तियों के बीच संतुलन रखना। धोखेबाजी के कारण दिल पर लगी चोट उसे मातृत्व के विषय पर एक अनोखा किरदार बनाती है।
यशोदा अपनी मातृत्व की जिम्मेदारियाँ कैसे निभा रही है?
यशोदा जीवन की चुनौतियों के बीच अपने बच्चों के लिये अटूट समर्थन दिखाती है। अपने बच्चों के लिये उसका प्यार खून के रिश्तों से बढ़कर है और वह अपने बेटे कृष्णा की सुरक्षा के लिये हर बुराई से लड़ जाती है। यशोदा एक साहसी और अपने बच्चों को हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने वाली मां है और अपने तीन बच्चोंः कृष्णा (आयुध भानुशाली), आस्था (आद्विका शर्मा) और नूपुर (आन्या गलवान) की सुरक्षा और सुख सुनिश्चित करने के लिये वह हदों से आगे बढ़ जाएगी। यशोदा अपने तीनों बच्चों के साथ समान और बिना भेदभाव वाला व्यवहार करती है, उन्हें अच्छे मूल्य सिखाती है और परिवार की एकजुटता को बढ़ावा देती है। वह एक आत्मनिर्भर और मजबूत इच्छाशक्ति वाली महिला है, जिसके बच्चे ही उसकी दुनिया है और इसलिये वह एक आदर्श माँ है।
आप स्क्रीन पर दूसरी बार आयुध भानुशाली की माँ बनी हैं, उनके साथ आपका रिश्ता कैसा है?
आयुध मुझे आॅफ-स्क्रीन भी आई (माँ) कहता है! जिस पल हमने पहली बार इस शो के लिये एक-दूसरे का साथ पाया था, तभी से एक लगाव तुरंत बन गया था, जोकि बीतते वक्त के साथ मजबूत ही होता गया। हमारा रिश्ता कलाकारों के बीच की दोस्ती से बढ़कर है। यह एक असली लगाव है, जो काफी गहरा है। मैं उसके प्रति कुछ ज्यादा ही सुरक्षा की भावना रखती हूँ और उसके लिये बेस्ट ही चाहती हूँ। शूटिंग के वक्त हर काम बढ़िया से होता है, अगर हम साथ हों। हमारे बीच एक अनकही समझ है, जिसने पहले से अटूट हमारे रिश्ते को मजबूती ही दी है। यह एक दुर्लभ और कीमती चीज है, जिसे मैं सबसे ऊपर रखती हूँ।
आप दोनों ने इस साल मदर्स डे कैसे मनाया?
हम पिछले नौ महीनों से जयपुर के ज़ी स्टूडियोज में अपने शो के लिये शूटिंग कर रहे हैं, लेकिन हमें इस शहर में घूमने का मौका नहीं मिला। मदर्स डे आने के साथ हम जयपुर के छुपे हुए खजाने ढूंढने निकल पड़े, एल्बर्ट हाॅल म्युजियम के प्राचीन बड़े कमरों से लेकर बापू बाजार की हलचल तक। हमारा पहला ठिकाना म्युजियम था, जहाँ मैंने आयुध को घुड़सवारी का सरप्राइज दिया। लेकिन चूंकि वह खाने-पीने का शौकीन है, तो हम राजस्थान के सबसे मशहूर पकवानों में से कुछ का मजा लेने से रुक नहीं सके, जैसे कि मुँह में पानी लाने वाले गोलगप्पे और कुरकुरा खिचिया पापड़। हालांकि मेला झूला हमारे दिन की हाईलाइट थी, ऊँचे आसमान की ओर झूलते हुए हम इतना हंसे कि हमारी आवाज नीचे तक जा रही थी। एक पल के लिये मैं अपने बचपन में पहुँच गई थी, बेफिक्र और बिना बोझ वाला बचपन, और यह सचमुच जादुई था। वह दिन हमेशा हमारी यादों में रहेगा, एडवेंचर, हंसी और प्यार से भरा एक दिन। और जब हम वापस लौटे, तब हमारा पेट और दिल, दोनों भरे थे, मैं आयुध के साथ इस कीमती वक्त को बिताने पर आभार व्यक्त किये बिना नहीं रह सकती।