संजय मिश्रा और विनीत कुमार ने बचाई थी रोहिताश्व गौड़ की जान!

बाॅलीवुड की चमक-दमक से भरी दुनिया में कभी-कभार परदे के पीछे भी सच्ची जांबाजी के कुछ उदाहरण देखने को मिल जाते हैं। ऐसा ही कुछ रोहिताश्व गौड़ के मामले में भी हुआ। एण्डटीवी पर वे ‘भाबीजी घर पर हैं’ के अपने किरदार मनमोहन तिवारी के लिए बेहद मशहूर हैं। गौड़ ने अपने कॅरियर के शुरूआती दिनों के कुछ बेहद ही डरावने अनुभवों के बारे में बताया। खासतौर से उन्होंने अपने करीबी दोस्त और जाने-माने एक्टर संजय मिश्रा व विनीत कुमार से जुड़ी उस घटना के बारे में बताया जहां उन्होंने रोहिताश्व की जान बचाई थी। इस बारे में बताते हुए, रोहिताश्व गौड़ कहते हैं, ‘‘ये सन् 1990 की बात है, संजय, विनीत और मैं, मुंबई के संाताक्रूज में किराए के एक अपार्टमेंट में साथ रहते थे। वो एयरपोर्ट के काफी करीब था। भयानक गर्मी वाली एक रात हमने छत पर ही सोने का फैसला किया, क्योंकि वहां मकानमालिक के बेटे का बर्थडे मनाया जा रहा था और हमें गर्मी से राहत भी पानी थी। लेकिन हम इस बात से बेखबर थे कि ऊपर लगे टैंक से पानी गिरा हुआ है। हवाईजहाजों के जबर्दस्त शोर के बावजूद हमें नींद आ गई। अगली सुबह, मैं एक बेहद ही खौफनाक सच्चाई के साथ जगा। मैं अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रहा था। कुछ अनहोनी को भांपते हुए, संजय और विनीत बिना किसी देरी के तुरंत हरकत में आए। उन्होंने मुझे खड़ा करने और चलाने की पूरी कोशिश की, लेकिन उनकी कोशिश नाकाम रही। वे किसी तरह मुझे लेकर समय पर अस्पताल पहुंच गए। डाॅक्टर ने कहा कि मेरी पूरी रीढ़ रातभर पानी के संपर्क में रही, इसलिए मैं लगभग लकवाग्रस्त होने की स्थिति में पहुंच चुका था। यदि मेरे दोस्त तत्काल हरकत में नहीं आते तो मैं गंभीर रूप से चोटिल हो सकता था। वो बेहद ही डरावना अनुभव था, लेकिन मैं संजय और विनीत का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने तुरंत कदम उठाया और निःस्वार्थ रूप से सहयोग किया। रोहिताश्व कहते हैं, ‘‘उस घटना के बाद मेरी रिकवरी का सफर काफी लंबा और तकलीफदेह रहा, इसलिए मैंने मुंबई छोड़कर अपने होमटाउन लौटने का फैसला किया। वहां मैं कई महीनों तक बेड रेस्ट पर रहा। जब मुझमें थोड़ी ताकत आई तो मैंने दिल्ली में नेशनल स्कूल आॅफ ड्रामा रिपर्टरी कंपनी में दाखिला ले लिया। 1997 में मुंबई लौटकर अपना सफर शुरू करने का फैसला लेने से पहले मैंने छह साल तक अपनी इस कला को संवारने का काम किया। उस घटना का मुझ पर बेहद ही गहरा प्रभाव पड़ा था। संजय और विनीत ने मेरे मुश्किल समय में जो किया उसके लिए मैं हमेशा ही उनका आभारी रहूंगा। मैं तहे दिल से उनका शुक्रिया करता हूं। इस इंडस्ट्री में हमेशा ही एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ और प्रतिस्पर्धा की कहानियां ही ज्यादातर सुनने को मिलती हैं, लेकिन दोस्ती और जांबाजी का यह किस्सा याद दिलाता है कि मनोरंजन जगत की चकाचैंध से भरी दुनिया में भी गहरे रिश्ते बन सकते हैं।’

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