शुभांगी अत्रे का पहला टैटू एक पावन प्रतीक को दर्शाता है

टैटू अक्सर सिर्फ डिजाइन से काफी बढ़कर होते हैं और जिन पर बनाये जाते हैं, उनके दिलों में अपनी खास जगह रखते हैं। कला की यह स्थायी कृतियाँ उन महत्वपूर्ण लोगों, जगहों या अनुभवों की मार्मिक याद दिलाती हैं, जिन्होंने जीवन पर अमिट छाप छोड़ी हो। और टैटू बनवाने वालों में नई-नवेली हैं शुभांगी अत्रे, जोकि एण्डटीवी के शो ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में अंगूरी भाबी की भूमिका के लिये लोकप्रिय हैं। करीब 15 साल तक सोच-विचार करने के बाद शुभांगी ने आखिरकार टैटू बनवाया है और उस टैटू का बड़ा आध्यात्मिक अर्थ भी है। हमने बदलाव के इस सफर और टैटू बनवाने के उनके अनुभव पर उनसे बात की है। और एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अंगूरी भाबी, यानि शुभांगी अत्रे का यह कहना था। ‘‘टैटू आपकी अभिव्यक्ति के शक्तिशाली माध्यम होते हैं। मैं करीब दो दशकों से अपना पहला टैटू बनवाने की सोच रही थी। अनिश्चितताओं में गोते लगाने से लेकर डिजाइन के बारे में सावधानी से सोचने तक, त्वचा पर स्थायी कलाकारी करवाने के लिये मेरी इच्छा मेरी पहचान से जुड़े एक अलग अंदाज़ की लालसा से उपजी। इसका महत्व सबसे ज्यादा था, क्योंकि यह जिन्दगीभर मेरे साथ रहेगा। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद वह दिन आया और मैंने खुद पर एक खूबसूरत टैटू बनवाया, जिसमें ओम का प्रतीक और एक कमल है और यह दोनों मेरे लिये गहरे मायने रखते हैं। ओम से भगवान शिव के लिये मेरी भक्ति दिखती है, जबकि कमल से सेहत। इन प्रतीकों में योग का सार भी है, जिसने लगातार मेरी मानसिक और शारीरिक सेहत को पोषित किया है। अब चूंकि मैं यह कदम उठा चुकी हूँ, अपने टैटू को लेकर बहुत खुश हूँ, क्योंकि इससे मेरा आत्म-सम्मान बढ़ा है और जीवन के प्रति मेरे उत्साह में नयापन आया है।’’

शुभांगी की लंबे समय से अधूरी इच्छा आखिरकार पूरी हुई और इसका श्रेय उनकी बेटी आशी को जाता है। ‘‘जब आशी ने यूएस में उच्च शिक्षा के सफर की तैयारी की, तब मैं उसके जाने से पहले उसके साथ अच्छा वक्त बिताना चाहती थी। इसलिये हमने गोवा के एक यादगार दौरे की योजना बनाई, जहाँ आशी ने वह टैटू बनवाने के लिये मुझे मना लिया, जो मैं हमेशा से चाहती थी। इसमें कई कोशिशें हुईं; मुझे शुरूआत में संकोच हुआ और मैंने तीन बार स्टूडियो छोड़ा और फिर आशी ने मुझे समझाया। आशी ने न सिर्फ डिजाइन चुनने में मेरा सहयोग किया, बल्कि मेरी पसंद को भी आसानी से समझ गई, जब मुझे टैटू आर्टिस्ट को अपनी कल्पना समझाने में मुश्किल हो रही थी। सरल, लेकिन आध्यात्मिक सार दिखाने की चाहत में उन्होंने शुभांगी का पहला टैटू भगवान शिव को समर्पित किया, क्योंकि मैं उनकी बड़ी भक्त और एक योगिनी हूँ। उस समय मेरे मन में रोमांच, डर और आशंका की मिश्रित भावनाएं थीं। मैंने उस संभावित दर्द के बारे में सोचा, जो मुझे होना था, क्योंकि मैं कुर्सी पर बैठी थी और मेरी कलाई आर्टिस्ट के सामने थी। मेरी त्वचा के लिये सुई के तैयार होते वक्त पूर्वाभास बढ़ता जा रहा था। आर्टिस्ट ने कुशलता से ओम का प्रतीक बनाकर शुरूआत की, जिसमें सर्वोच्च चेतना, पुरुष, ब्राह्मण या अंतरिक्ष का सार था। इसके बाद, खुलता हुआ कमल का फूल सावधानी से बनाया गया, जो षुद्धता, ज्ञान के प्रकाश और नए आरंभ का प्रतीक है और कठिन संघर्षों को जीवन की महत्वपूर्ण शिक्षाओं में बदल देता है।’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘हालांकि इस काम में सिर्फ लगभग बीस मिनट लगे, पर मुझे स्थायित्व का आभास हुआ। भावनाओं के ज्वार को शब्दों में नहीं समझाया जा सकता- मुझे प्राणशक्ति, स्वतंत्रता और सफलता का तीव्र अहसास मिला। यह टैटू अब मेरी जान बन चुका है और मैं इसे गर्व से दूसरों को दिखाती हूँ। मैं अपने अगले टैटू की कल्पना भी करने लगी हूँ, जोकि मेरी प्यारी बेटी के सम्मान में होगा, क्योंकि वह सचमुच मेरी सबसे बड़ी ताकत है। डिजाइन के लिये मैं एक बार फिर उसी पर भरोसा करुंगी, क्योंकि वह मेरी भावनाओं को गहराई से समझती है (हंसती हैं)।’’

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