रोहिताश्व गौड़ हिन्दी टेलीविजन और फिल्मों की दुनिया का एक जाना-पहचाना नाम हैं और वह एण्डटीवी के शो ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में मनमोहन तिवारी की भूमिका निभाकर घर-घर में लोकप्रिय हो चुके हैं। कई सालों से अपनी दमदार काॅमिक टाइमिंग के साथ वह दर्शकों को गुदगुदा रहे हैं और उनके चहेते बन चुके हैं। इस बेबाक बातचीत में उन्होंने ‘तिवारी’ के रूप में अपने सफर पर बात की और बताया कि सात सालों के बाद भी वह इस भूमिका के लिये प्रतिबद्ध क्यों हैं।
आपका किरदार मनमोहन तिवारी घर-घर में जाना-पहचाना नाम बन चुका है। जब आपने ‘भाबीजी घर पर हैं’ की शूटिंग शुरू की थी, तब क्या आपको इतना प्यार मिलने की उम्मीद थी?
जब एक धारावाहिक लोकप्रिय होता है, तब उसके कई प्रमुख किरदार घर-घर में पहचाने जाने लगते हैं। एक एक्टर के तौर पर मुझे ‘भाबीजी घर पर हैं’ ने बड़ी कामयाबी दी है। जब मैंने यह शो शुरू किया था, तब हमें चिंता थी कि भारतीय दर्शक इस शो के काॅन्सेप्ट पर क्या प्रतिक्रिया देंगे। लेकिन आज मैं एक कलाकार के तौर पर मिले प्यार और सराहना के लिये आभारी हूँ और मुझे अपने साथी कलाकारों और पूरे क्रू के लिये भी खुशी है। मेरे किरदार को दर्शकों से लगातार मिल रहा समर्थन मुझे इस शो में अपना सर्वश्रेष्ठ देने और मनोरंजन उद्योग में एक अनोखी पहचान बनाए रखने के लिये प्रोत्साहित करता है।
जब आपको ‘भाबीजी घर पर हैं’ में मनमोहन तिवारी की भूमिका मिली, तब आपके परिवार की प्रतिक्रिया क्या थी?
शुरूआत में मुझे लगा कि मेरी पत्नी रेखा मुझे स्क्रीन पर एक बोल्ड और खूबसूरत भाबी से फ्लर्टिंग करते देखना पसंद नहीं करेगी, लेकिन उसे मेरे किरदार की मजेदार हरकतें और यह शो पसंद आया। मेरा पूरा परिवार काफी सहयोगी रहा है और मेरी एक्टिंग का आनंद उठाता है!
आपके हिसाब से ‘भाबीजी घर पर हैं’ को मिली इतनी बड़ी सफलता का क्या कारण है?
इस शो की सफलता का सबसे बड़ा कारण है इसके अनूठे किरदार और मजेदार कहानियाँ। हमारे किरदारों की परेशानियाँ और हंसाने वाली वेशभूषा दर्शकों को हमारे शो से बांधकर रखती हैं। कई मौकों पर हमारे प्रशंसकों ने बताया है कि कैसे यह शो देखने से उनकी जिन्दगी में खुशियाँ आई हैं। कई मरीजों ने हमें लिखा है कि इस शो की काॅमेडी ने तकलीफ से ध्यान हटाने में कैसे उनकी मदद की है। खुशियाँ फैलाने के लिये हमारी प्रतिबद्धता इस शो की कामयाबी का सबसे बड़ा कारण रही है।
कई साल हो चुके हैं। ‘तिवारी जी’ की भूमिका निभाते रहने के लिये आपको क्या प्रेरित करता है?
सबसे रोमांचक बात यह है कि हम हर हफ्ते अलग कहानियाँ दिखाते हैं। हर कहानी में एक मजेदार स्थिति और उथल-पुथल होती है। मस्ती का स्तर बनाये रखने और हम एक्टर्स को स्क्रीन पर जादू बिखेरते रहने का मौका देने के लिये शो के लेखकों की तारीफ की जानी चाहिये। इसके अलावा, अगर मुझे ओटीटी की दुनिया में कोई दिलचस्प मौका मिलता है, तो मैं उसे जरूर करूंगा, क्योंकि इससे मुझे कलाकार के तौर पर बढ़ने में मदद मिलेगी। हालांकि, मैं कोई ऐसा प्रोजेक्ट नहीं लूंगा, जिसके लिये तिवारी का किरदार छोड़ना पड़े, क्योंकि इस किरदार ने मुझे इंडस्ट्री में बड़ी शोहरत दिलाई है।
कृपया हमें एक्टिंग के लिये आपके जुनून और अपने पूरे सफर के बारे में बताइये।
मैंने शिमला में अपने बचपन के दौरान थियेटर में परफाॅर्म करना शुरू किया था। उसके बाद मैं अमेचर थियेटर से जुड़ गया। मुझे अपना बड़ा ब्रेक 1985 में शिमला में नेशनल स्कूल आॅफ ड्रामा और लैंग्वेज, आर्ट एण्ड कल्चर डिपार्टमेंट शिमला की एक वर्कशाॅप में मिला था। वहाँ मैंने एक महीने का एक्टिंग प्रोग्राम किया और मैं नेशनल स्कूल आॅफ ड्रामा में 3 साल का फुल-टाइम डिप्लोमा करने के लिये तैयार हो गया। कोर्स पूरा करने के बाद मैंने एक्टर के तौर पर अपना सफर शुरू किया। वह सबसे यादगार वक्त था और मैंने बहुत कुछ सीखा। अमेचर आर्टिस्ट से लेकर पेशेवर थियेटर आर्टिस्ट बनने तक। वह सफर काफी फायदेमंद रहा और उससे एक्टिंग में मेरे कॅरियर को आधार मिला। उस वक्त मैंने कई मशहूर और सफल कलाकारों के साथ मंच साझा किया, जैसे कि सौरभ शुक्ला, हिमानी शिवपुरी जी, सीमा बिस्वास जी और श्री अनुपम श्याम, आदि। सीखने के लिये वह बेहतरीन अनुभव था। कुछ वक्त तक थियेटर करने के बाद मुझे टीवी के कुछ प्रोजेक्ट्स मिले और आखिरकार 1991 में ष्फ़िरदौस़’ शो से टेलीविजन में मेरा सफर शुरू हुआ। उसके बाद मैंने बाॅलीवुड की कई फिल्मों जैसे ‘मुन्नाभाई’, मातृभूमिए धुप ‘पीके’ और ‘अतिथि तुम कब जाओगे’ में भी अभिनय किया।