हर साल हमारे जीवन में मौजूद तमाम महिलाओं और लड़कियों की अहमियत बताने और उनकी सराहना करने के लिये नेशनल डाॅटर्स डे मनाया जाता है। इस अवसर पर, एण्डटीवी में नायिकाओं की भूमिका निभा रहीं अभिनेत्रियों के पेरेंट्स ने अपना गौरव, खुशी और प्रशंसा जाहिर की। उनमें शामिल हैं, नेहा जोशी (यशोदा, ‘दूसरी मां‘), कामना पाठक (राजेश सिंह, ‘हप्पू की उलटन पलटन‘) और विदिशा श्रीवास्तव (अनीता भाबी, ‘भाबीजी घर पर हैं‘) के पेरेंट्स।
एण्डटीवी के ‘दूसरी मां‘ की यशोदा, नेहा जोशी की मां हेमा जोशी कहती हैं, ‘‘जब मैंने पहली बार नेहा को अपनी गोद में लिया था, वह एहसास अब भी मेरे जेहन में ताजा है। जब उसने मेरी तरफ देखा था, मेरा मन भर आया था और आंसू मेरे गालों से छलक रहे थे। वहां खड़े काफी सारे लोगों ने सोचा कि बेटी होने की वजह से मैं रो रही हूं और वो मुझे सांत्वना देने लगे। तब मुझे उन्हें टोकना पड़ाः ‘‘नहीं, ये तो खुशी के आंसू हैं, क्योंकि मुझे बेटी हुई है।‘‘ (हंसते हुए)। वो पल अनमोल थे और मैं उन्हें शब्दों में बयां नहीं कर सकती। नेहा हमेशा से ही बहुत शांत, प्यारी, अनुशासन में रहने वाली, पढ़ने में होशियार और क्रिएटिव बच्ची रही है। वह हमेशा ही अपनी सिंगिंग और डांसिंग से अपने दोस्तों और घर के लोगों का दिल बहलाती थी। मैंने हर तरह से उसका साथ दिया और पढ़ाई के अलावा मैंने उसकी एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटीज पर ज्यादा ध्यान दिया। आज मुझे यह देखकर बहुत गर्व महसूस होता है कि वह बड़ी ही अच्छी तरह से अपनी निजी और प्रोफेशनल जिंदगी को संभाल रही है। उसकी सादगी और परिस्थितियों को समझने की काबिलियत उसे औरों से अलग बनाती है। मुंबई आने के बाद और अपने शो ‘दूसरी मां‘ की शूटिंग करते हुए भी, एक दिन भी ऐसा नहीं होता जब नेहा काॅल ना करे और पूछे ‘आई जेवलीस?‘, क्या तुमने खाना खाया?, चाहे वह कितनी भी व्यस्त क्यों ना हो। उसके साथ मेरा रिश्ता मां से ज्यादा एक दोस्त का है। वह मुझे कभी भी काॅल कर देती है और हम सारी बातें एक-दूसरे से शेयर करते हैं। ऐसा कई बार होता है, जब मैं उससे सलाह लेती हूं और यदि मैं कुछ गलत करती हूं तो वह मुझे सही भी करती है। मेरा उस पर पूरा भरोसा है और वही है जो मेरे सार सीक्रेट जानती है। जब नेहा घर आती है, वह एक चहकती चिड़िया जैसी लगती है, जो अपनी खिलखिलाहट और खुशियों से पूरा घर भर देती है। नेशनल डाॅटर्स डे के मौके पर, मैं सारे पेरेंट्स से कहना चाहूंगी कि अपनी बेटी की यह कहकर तारीफ करें कि वे आपके लिये कितनी अहमियत रखती है।‘‘
राजेश सिंह, एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कामना पाठक के पिता अजय कुमार कहते हैं, ‘‘जिस दिन कामना पैदा हुई, मुझे याद है मैंने अपनी पत्नी से कहा, ‘‘आज हमारी मनोकामना पूरी हुई। और इस तरह मैंने और मेरे पिताजी ने उसका नाम कामना रखने का फैसला किया था। वह परिवार की इकलौती ऐसी खुशकिस्मत पोती है, जिसका नाम मेरे पिताजी ने रखा था। इंदौर में हम जिस घर में रहते हैं उसका नाम भी ‘‘कामना‘‘ है, क्योंकि मैं यहां अपनी उम्मीदों और सपनों के फूल को खिलते हुए देख रहा हूं। जब भी कोई आकर मुझसे यह कहता कि मैंने आपकी बेटी को ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में देखा और वह एक बेहतरीन एक्टर है, मेरा सीना चैड़ा हो जाता है। जब कामना को हमें छोड़कर काम के लिये मुंबई जाना था तो वह बहुत दुखी थी। लेकिन मैं आपको बताना चाहूंगा कि वह अब भी इस बात का पूरा ध्यान रखती है कि उसके सभी स्पेशल डे उसके परिवार के साथ हों, बर्थडे से लेकर त्योहार तक। इतने व्यस्त शेड्यूल के बावजूद भी वह लगातार हमारा हालचाल पूछती रहती है। वह मुझसे और मेरी पत्नी से बात करती है और हमारी बातें बड़े ध्यान से सुनती है। उस पर गर्व होने से ज्यादा मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि उसके जैसी बेटी मिली।‘‘
अनीता भाबी, एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की विदिशा श्रीवास्तव की मां, मीना श्रीवास्तव कहती हैं,‘‘ईश्वर ने मुझे दो बहुत ही प्यारी बेटियां दी है। विदिशा और शानवी। मुझे ऐसा लगता है कि बेटी से ज्यादा एक मां को कोई और नहीं समझ सकता। एक वर्किंग पेरेंट होने की वजह से हमने हमेशा अपनी बेटियों के लिये समय निकाला और इससे हमारा रिश्ता और भी मजबूत बना। हमें चाहे जब भी समय मिले, वे हमेशा हमारे साथ होती थीं और उनके दिल में जो भी बात होती थी, वो शेयर करती थीं। जब वे बड़ी हुईं, उन्होंने खाना बनाना और घर को करीने से रखना शुरू कर दिया था, ताकि मेरी जिंदगी आसान हो सके। दोनों ही आज सफल अभिनेत्रियां हैं, लेकिन मुझे यह देखकर बहुत खुशी होती है कि किस तरह दोनों अपना नाम, शोहरत और परिवारों को बैलेंस करती हैं। अपनी बेटियों के बिना मैं अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकती, क्योंकि वो मुझे पूर्ण होने का एहसास कराती हैं। इस मौके पर, मैं कहना चाहूंगी कि आपके पास बेटी है, इसकी खुशी हर दिन मनाएं।‘‘