डाॅ बी. आर. आम्बेडकर बराबरी वाले एक समाज के निर्माण में शिक्षा की भूमिका और समानता के बड़े पक्षधर थे। उन्होंने अपने समुदाय का पहला ग्रेजुएट बनकर इतिहास रचा था। कई चुनौतियों के बावजूद बाबासाहेब ने सामाजिक और आर्थिक प्रगति के लिये शिक्षा को बढ़ावा दिया, दूसरों को भी उच्च शिक्षा ग्रहण करने और ग्रेजुएट बनने के लिये प्रेरित किया। उनकी विरासत ने लोगों को शिक्षा के अधिकार के लिये लड़ने और बराबरी वाले समाज के लिये कोशिश करने का प्रोत्साहन दिया। एक ग्रेजुएट के रूप में उनका सफर सामाजिक बाधाओं और भेदभाव से उभरने के लिये उनकी अटूट प्रतिबद्धता और दृढ़ता को दिखाता है। और उनकी सफलता ने उन्हें समाज के लिये आशा की किरण बना दिया। ग्रेजुएट होने पर उन्हें बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ से छात्रवृत्ति मिली, ताकि वे एल्फिन्सटन काॅलेज, बाॅम्बे में अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें। एण्डटीवी के शो ‘एक महानायक- डाॅ बी. आर. आम्बेडकर‘ की कहानी के आगामी हिस्से में 20 जून से बाबासाहेब के ग्रेजुएशन की इस महत्वपूर्ण यात्रा को दिखाया जाएगा।
डाॅ आम्बेडकर को याद करते हुए और ग्रेजुएशन की डिग्री पाने के उनके प्रेरक सफर पर बात करते हुए, ‘एक महानायक- डाॅ बी. आर. आम्बेडकर‘ में भीमराव की भूमिका निभा रहे अथर्व ने कहा, ‘‘शो का यह हिस्सा बहुत महत्वपूर्ण है और मैं खुद को बहुत सौभाग्यशाली मानता हूँ कि मुझे ऐसे प्रेरक नेता का किरदार निभाने का मौका दिया गया। हमें यकीन है कि दर्शक इससे बहुत प्रेरित होंगे। बाबासाहेब बहुत बुद्धिमान थे, जिन्होंने बड़ी सफलता पाई, कई डिग्रियाँ लीं, जिनमें कोलम्बिया यूनिवर्सिटी से डाॅक्टर आॅफ फिलोसाॅफी इन इकोनाॅमिक्स की डिग्री भी शामिल है। उन्होंने अपने ज्ञान का इस्तेमाल हाशिये पर खड़े समुदायों की भलाई में किया और सामाजिक न्याय तथा समानता के लिये प्रयास किये। बाबासाहेब सभी के लिये शिक्षा के मुखर पक्षधर बनकर उभरे और खासकर ऐसे समुदायों पर उन्होंने ध्यान दिया, जो सामाजिक भेदभाव के कारण अन्यायपूर्ण ढंग से शिक्षा से वंचित थे। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना के लिये लगातार काम किया, जैसे कि स्कूल और काॅलेज और साथ ही मौजूदा शिक्षा प्रणालियों में भेदभाव से लड़ाई भी की। शिक्षा के लिये बाबासाहेब की अटूट प्रतिबद्धता और सामाजिक तथा आर्थिक प्रगति में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका की पहचान का भारत पर एक अमिट छाप पडा।’’