फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की स्टार कास्ट पहुंची दिल्ली

विवेक अग्निहोत्री ने अपनी फिल्म की पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस फिल्म रिलीज होने के तीन दिन बाद दिल्ली में की। प्रेस कॉन्फ्रेंस को करने का मुख्य मकसद था कि विवेक अग्निहोत्री यह बताना चाहते थे कि फिल्म को बनाने में कितनी मेहनत की गई।फिल्म बनाने में किन बारीक्यों का ख्याल रखा गया।

विवेक बताते हैं कि इस फिल्म को बनाने में पांच हजार घंटे के रिसर्च की गई 15 हजार पेज के डाक्यूमेंट्स इकट्ठे किए गए।लगभग डेढ़ घंटे की प्रेस कॉन्फ्रेंस में विवेक अग्निहोत्री ने 20 मिनट का एक वीडियो भी दिखाया। इस वीडियो में उन कश्मीरी पंडितों का इंटरव्यू था जो असल में उन दिनों कश्मीर में ही मौजूद थे। विवेक बताते हैं कि वह और उनकी पत्नी पल्लवी जोशी ने असली पंडित कश्मीरी पंडितों से मिलने के लिए दुनिया भर के कई देशों और भारत के कई शहरों में चक्कर लगाए और लगभग 700 से ज्यादा पीड़ित कश्मीरी पंडितों का इंटरव्यू रिकॉर्ड किया। इस फिल्म को बनाने में चार साल का लंबा वक्त लगा 20 मिनट के इस वीडियो में कई जगह पंडितों से बात करते-करते विवेक और पल्लवी जोशी अपने आंसू पोछते हुए दिखाई पड़ते है।

विवेक अग्निहोत्री ‘द कश्मीर फाइल्स’लेकर आए हैं, जिसमें उन्होंने 90 के दशक में कश्मीर में हुए कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं के नरसंहार और पलायन की कहानी को दर्शाया है।इस फिल्म में अनुपम खेर, मिथुन चक्रवर्ती जैसे धुरंधर कलाकार तो हैं ही, लेकिन साथ ही फिल्म में पल्लवी जोशी और दर्शन कुमार जैसे मंझे हुए कलाकार भी नजर आएंगे।‘द ताशकंद फाइल्स’ को दर्शकों और क्रिटिक्स से काफी सराहना मिली थी, तो अब देखना होगा कि क्या ‘द कश्मीर फाइल्स’ के जरिए विवेक अग्निहोत्री एक बार फिर दर्शकों का दिल जीत पाएंगे या नहीं?

फिल्म की कहानी कश्मीर के एक टीचर पुष्कर नाथ पंडित (अनुपम खेर) की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है।कृष्णा (दर्शन कुमार) दिल्ली से कश्मीर आता है, अपने दादा पुष्कर नाथ पंडित की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए। कृष्णा अपने दादा के जिगरी दोस्त ब्रह्मा दत्त (मिथुन चक्रवर्ती) के यहां ठहरता है।उस दौरान पुष्कर के अन्य दोस्त भी कृष्णा से मिलने आते हैं।इसके बाद फिल्म फ्लैशबैक में जाती है।

फ्लैशबैक में दिखाया जाता है कि 1990 से पहले कश्मीर कैसा था। इसके बाद 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों को मिलने वाली धमकियों और जबरन कश्मीर और अपना घर छोड़कर जाने वाली उनकी पीड़ादायक कहानी को दर्शाया जाता है।कृष्णा को नहीं पता होता कि उस दौरान उसका परिवार किस मुश्किल वक्त से गुजरा होता है। इसके बाद 90 के दशक की घटनाएं की परतें उसके सामने खुलती हैं और दर्शाया जाता है कि उस दौरान कश्मीरी पंडित किस पीड़ा से गुजरे थे।पूरी कहानी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है।
विवेक अग्निहोत्री ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ के जरिए एक रोंगटे खड़े करने वाली अलग कहानी को दर्शाने की कोशिश की।उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं की कहानी को गहरे और बहुत ही कठोर तरीके से इस फिल्म के जरिए सुनाने की कोशिश की है।वह हमें एक पूरी तरह से एक अलग दुनिया में ले जाते हैं।फिल्म में कई ऐसे सीन हैं जो आपके रोंगटे खड़े कर देंगे। फिल्म आपको पूरे समय अपनी सीट से बांधे रखेगी।फिल्म की कहानी अच्छी है और विवेक अग्निहोत्री अपने कार्य में पूरी तरह से सफल नजर आते हैं।

कलाकारों की एक्टिंग ने इस फिल्म को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है।वैसे तो अनुपम खेर ने कई बार अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीता है, लेकिन इस फिल्म में अनुपम खेर ने पुष्कर नाथ पंडित के किरदार को ऐसे निभाया कि दर्शक आश्चर्यचकित रह जाएंगे।उन्होंने एक बार फिर से ये साबित किया कि वह फिल्म इंडस्ट्री के सबसे शानदार वर्सेटाइल एक्टर हैं। वहीं, मिथुन चक्रवर्ती ने भी अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है।एक स्टूडेंट लीडर के तौर पर दर्शन कुमार ने बहुत ही प्रभावी अभिनय का प्रदर्शन किया। वहीं,पल्लवी जोशी की बात करें तो ‘द ताशकंद फाइल्स’ के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड मिला था और एक बार फिर से उन्होंने साबित किया कि वह ‘द कश्मीर फाइल्स’ के लिए भी पुरस्कार की मजबूत दावेदार हैं।यहां पर चिन्मय की एक्टिंग की भी तारीफ करना चाहेंगे, जिन्होंने फारुक अहमद के तौर पर स्क्रीन पर एक अमिट छाप छोड़ी है।इनके अलावा बाकी कलाकारों ने भी अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है।

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