नाग पंचमी का महत्व और अलग-अलग प्रदेशों में मनाया जाने वाला जश्न

नागों के देव यानी कि नाग देवता की पूजा के लिये नाग पंचमी का जश्न पूरे भारत में सावन के महीने में पूरे उत्साह एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर एण्डटीवी के कलाकारों ने नाग पंचमी की अहमियत के बारे में बात की और बताया कि उनके शहरों में इसका जश्न किस तरह से मनाया जाता है। इन कलाकारों में शामिल हैं कपिल निर्मल (‘बाल शिव‘ के ताड़कासुर), कामना पाठक (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश सिंह) और सोमा राठौड़ (‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अम्मा जी)।

कपिल निर्मल, जोकि एण्डटीवी के ‘बाल शिव‘ में ताड़कासुर का किरदार निभा रहे हैं, ने कहा, ‘‘नाग देवता की पूजा करने के बारे में मैंने अपनी दादी मां से कई दिलचस्प कहानियां सुनी हैं। यह परम्परा कई प्राचीन संस्कृतियों में मौजूद है, सांपों को ज्ञान, शक्ति और नवीनीकरण के धारक के रूप में दिखाया जाता था। लोगों की ऐसी दृढ़ मान्यता और श्रद्धा है कि यदि वे नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करते हैं और उन्हें दूध पिलाते हैं, तो उनके परिवार के किसी को भी सदस्य को सांप कभी नहीं काटेंगे। यह भी माना जाता है कि नाग पंचमी मानसून के महीनों के दौरान होती है, क्योंकि इस समय बारिश के पानी के बिलों में भर जाने के कारण सबसे ज्यादा सांप नजर आते हैं और लोगों के घरों में घुस जाते हैं। सांपों के बिलों से बाहर आने के कारण हर जगह सांप दिखाई देने लगते हैं और इसलिये नाग देवता को प्रसन्न करने एवं सर्पदंश से बचने के लिये लोग नाग पंचमी का त्योहार मनाते हैं, ताकि नाग देव की कृपा से वे और उनका परिवार सुरक्षित रहे। इस त्योहार से जुड़ी कहानियां दिलचस्प हैं और मैं अपनी तरफ से सभी लोगों को इस पर्व की शुभकामनायें देना चाहूंगा।‘‘

कामना पाठक यानी कि एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश ने कहा, ‘‘भारतीय पुराणों में मौजूद नागों से जुड़ी कहानियां मुझे मंत्रमुग्ध करती हैं। नाग पंचमी के दौरान मेरे परिवार की महिलायें व्रत रखती हैं और पूरी श्रद्धा एवं समर्पण के साथ नाग देवता की पूजा करती हैं। वे भूखी एवं अनुशासित रहकर इस उपवास को पूरा करती हैं। उनका व्रत सूर्योदय से सूर्यास्त तक चलता है। महिलायें अपने भाईयों और परिवार के कल्याण के लिये प्रार्थना करती हैं। इस दिना कोबरा और दूसरे सांपों को दूध पिलाया जाता है और मंदिरों में दिये जलाये जाते हैं, उन्हें फूलों से सजाया जाता है एवं नागों को प्रसाद एवं मिठाईयां अर्पित की जाती हैं। इंदौर में कुछ मजेदार मेले भी आयोजित होते हैं, जहां नाग पंचमी के त्योहार एवं इसकी अहमियत को बताने के छोटे-छोटे नाटकों का मंचन किया जाता है। लेकिन मेरे लिये सिर्फ एक कारण की वजह से यह त्योहार बेहद खास है और वह है मां के हाथ की खीर। इस दिन मेरी मां मंदिर में चढ़ाने के लिये ड्राइ फ्रूट्स से भरपूर बेहद स्वादिष्ट खीर बनाती है और मैं बेसब्री से उनके मंदिर से लौटने का इंतजार करती हूं। उनके मंदिर से लौटने के बाद मैं बचा हुआ प्रसाद चट कर जाती हूं (हंसती हैं)। इस खास मौके पर कई लोग तिल के लड्डु, नारियल मिठाई, डिंड, गुड़ से बनी पाथोली भी बनाते हैं।‘‘

सोमा राठौड़, ऊर्फ एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अम्माजी का कहना है, ‘‘यह सावन के महीने में मनाया जाने वाला एक सबसे पावन हिन्दू त्योहार है। मेरी मां इस दिन व्रत रखती थीं और मेरी काॅलोनी की सभी महिलायें पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर घर पर या पास के मंदिर में पूजा करती थीं। मेरी मां सांप के मस्तक पर फूल एवं हल्दी छिड़कती थीं और उसे दूध पिलाती थीं, जिसे देखकर अच्छा लगता था। इसके साथ ही सपेरे नाग देव को प्रसन्न करने के लिये स्थानीय गीत भी गाया करते थे। मेरी मां ने हमेशा मुझे नाग पंचमी का व्रत और पूजा करने के लिये कहा, लेकिन मुझे सांपों से डर लगता था, हालांकि, इस पर्व से जुड़ी रस्में मुझे हमेशा से ही आकर्षित करती आई हैं।‘‘

getinf.dreamhosters.com

Related posts